गत 22 मार्च को देश के दूसरे हिस्सों की तरह भोपाल में भी होली के त्योहार की गहमागहमी थी. इस के चलते मिनी बसों और लो फ्लोर बसों में बहुत भीड़ थी. ऐसे ही एक लो फ्लोर बस रूट क्रमांक एस.आर. 5 में मंत्रालय स्टौप से एक महिला बस में चढ़ी, जो बेहद सुंदर थी. महंगी साड़ी पहनने का उस का सलीका भी उस के कुलीन होने का संकेत दे रहा था.

रईसी और ठसक के भाव भी इस महिला के चेहरे पर थे जिन्हें बस में मौजूद यात्रियों ने भी महसूस किया. बस में इस ने इधरउधर ऐसे देखा मानों बता रही हो कि आमतौर पर वह बस में बैठने वाली नहीं है, इसलिए असहज महसूस कर रही है. पूरी बस का मुआयाना करने के बाद उस ने अपने बैठने की जो सीट चुनी उस की बगल में एक और महिला यात्री बैठी थी.

सीट में बैठ कर उस ने लंबी सांस ली और फिर कुछ सोचने की मुद्रा में आ गई पर उस का ध्यान अपनी बगल में बैठी महिला के पर्स पर था. जल्द ही उस की उंगलियों ने पर्स टटोल भी डाला और जब काम का कुछ नहीं मिला तो दूसरे स्टौप पर ही उतरने का उपक्रम करती हुई अगली सीट पर जा बैठी. पर वह यह नहीं समझ पाई कि उस महिला ने उसे पर्स टटोलते हुए देख लिया है पर वह न जाने क्यों कुछ बोली नहीं.

दूसरी सीट पर बैठने के बाद भी उस ने वही दोहराना चाहा लेकिन इस दफा कामयाब नहीं हो पाई. जैसे ही उस ने अपनी सहयात्री का पर्स खोला दूसरी यात्री ने उस का हाथ पकड़ लिया. दरअसल, वह महिला पुलिसकर्मी थी, जिस ने इस कथित संपन्न दिखने वाली महिला को रंगे हाथों पकड़ लिया.

गिरफ्तार करने के बाद जब उस से पूछताछ की गई तो पता चला कि उस का नाम निशा है और वह इटारसी की रहने वाली है. वह केवलजेबकतरी के लिए इटारसीभोपाल अपडाउन करती थी. लेकिन उस दिन भोपाल ट्रैफिक पुलिस ने एडीशनल एस.पी. ट्रैफिक समीर यादव की अगुआई में एक मुहिम छेड़ी हुई थी, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि शहर में महिला जेबकतरों का गिरोह सक्रिय है. इसलिए पुलिस वाले सादी ड्रैस में लो फ्लोर बसें और मिनी बसों में चल रहे थे. उन्हें निशा पहचान नहीं पाई और पकड़ी गई.

कैसे पहचानें इन्हें

देश भर में निशा जैसी बहुत सारी महिलाएं ट्रेनों, मिनी बसों और स्थानीय बसों में मौजूद रह कर कैसे अपराध को अंजाम देती हैं यह बात किसी से छिपी नहीं रह गई है. पर इन्हें वक्त पर पहचान पाना हर किसी के बस की बात नहीं. सभ्य समाज में आमतौर पर लोग महिलाओं से इस स्तर के अपराधों की उम्मीद नहीं करते, इसलिए लुटपिट जाते हैं. बाद में पछताते देखे जाते हैं.

क्या इन महिला जेबकतरों को पहचाना जा सकता है? इस सवाल का जवाब कई लोगों और पुलिस वालों ने ‘नहीं’ में दिया. लेकिन यह जरूर माना कि इन के हावभाव देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन की मंशा असल में है क्या.

आमतौर पर सफर में लोग महिलाओं को ले कर शिष्टता दिखाते हैं पर चूंकि ये महिलाएं एक खास मकसद ले कर चढ़ी या बैठी होती हैं, इसलिए कुछ असामान्य भी दिखती हैं. अगर बारीकी से एक नजर में इन की हरकतों को ताड़ लिया जाए तो लुटने से बचा जा सकता है. मसलन:

– जेबकतरी महिलाएं आमतौर पर शिष्ट, सभ्य और संपन्न या मध्यवर्गीय दिखने की कोशिश करती हैं, इसलिए इन के चेहरे पर बनावटीपन, बेचैनी या तनाव भी रहता है.

– ये खुद को व्यस्त दिखाने की कोशिश करती हैं जिस से लोग इन की मंशा के बारे में सोच ही नहीं पाते.

– अधिकांश जेबकतरी महिलाएं बैठते ही इधरउधर की बातचीत करती हैं. मसलन, आज मौसम ऐसा या वैसा है, आप कहां जा रहे हैं, यह कौन सा स्टेशन या स्टौप आ गया वगैरहवगैरह.

– ऐसा करने के पीछे उन की मंशा खुद को सहज दिखाने और लोगों का ध्यान बंटाए रखने की होती है, क्योंकि अपराध करने के लिए इन के पास वक्त कम होता है.

– बस या ट्रेन में ये खाली सीट पर नहीं बैठतीं, बल्कि जहां कोई पहले से बैठा हो उस सीट को चुनती हैं.

– ये खुद को लापरवाह दिखाने की भी कोशिश करती हैं.

– इन की निगाहें बेहद सतर्क होती हैं और आप के सामान या जेब के इर्दगिर्द ज्यादा रहती हैं.

– अगर ये गिरोहबद्ध तरीके से काम करती हैं, तो एक के बाद एक स्टौप से चढ़ती हैं और एकदूसरे की मौजूदगी की तसल्ली करती हैं. इस दौरान अपने चेहरे के हावभाव और उतेजना वे नहीं छिपा पातीं पर यह सब इतनी जल्दी होता है कि आम लोग इस पासवर्ड को तोड़ नहीं पाते.

– अलगअलग स्टौप से चढ़ने की इन की मंशा या योजना यह रहती है कि एक जेब काटे, पर्स या मोबाइल उड़ाए और चुपचाप दूसरी को दे. इसे ये लोग पास करना बोलती हैं.

– कई बार बिलकुल फिल्मी स्टाइल में अपने गिरोह की महिला या पुरुष सदस्य से किसी भी बात पर झगड़ पड़ती हैं, जिस से दूसरों का ध्यान बंटे और ये अपने काम को कामयाबी से अंजाम दे पाएं. बीचबचाव के दौरान ही ये या इन का तीसरा साथी मौका देख माल उड़ा ले जाता है.

– ये अपने साथ ज्यादा सामान नहीं रखतीं.

– कई दफा ये खुद को काफी हैरानपरेशान या तनाव में दिखाने की कोशिश करती हैं ताकि लोग अपने सामान की हिफाजत के बजाय इन के बारे में सोचना शुरू कर दें.

ऐसे बचें इन से

जरूरी नहीं कि हर कोई इन्हें पहचान पाए या इन की मंशा ताड़ पाए, इसलिए ये अपने महिला होने का पूरा फायदा उठाती हैं. कुछ सावधानियां बरती जाएं तो इन से एक हद तक बचा जा सकता है:

– अगर खाली सीट है और उसे छोड़ महिला आप के पास आ बैठी है तो सतर्क हो जाएं. वह जेबकतरी हो सकती है.

– वह उपरोक्त बताए सवाल पूछे तो जवाब बहुत संक्षिप्त यानी हां, न या फिर पता नहीं में बेरुखी से दें और अपनी जेब, पर्स व सामान के प्रति सावधान हो जाएं.

– किसी भी आगुंतक महिला से दूरी बना कर बैठें, क्योंकि ऐसे अपराधों के लिए उन्हें कम दूरी चाहिए होती है.

– जेबकतरी महिलाएं ट्रेन में अकसर एक से दूसरे जंक्शन तक ही चलती हैं, इसलिए उन के चढ़नेउतरने को ले कर सावधान रहें. मसलन ट्रेन में भोपाल से सवार महिला खुद अपनी तरफ से यह बताने की कोशिश करे कि वह दिल्ली तक जा रही है, तो उस पर भरोसा न करें. आजकल ऐसी महिलाएं रिजर्वेशन तो दूर का करवाती हैं पर मौका मिलते ही दूसरे या तीसरे जंक्शन पर सामान ले कर गायब हो जाती हैं. किसी भी स्टेशन पर अपना सामान सहयात्री के भरोसे न छोड़ें.

– आजकल जो जेबकतरी महिलाएं पकड़ी जा रही हैं वे इतनी सफाई से पर्स की चैन खोल कर समान उड़ाती हैं कि लुटने वाले को

पता ही नहीं चलता कि कब नगदी पर्स से गायब हो गई. इसलिए कम से कम चैन वाला पर्स रखें और उसे साइड में रखने के बजाय गोद में रखें.

– अगर आप के साथ अपराध घटित हो जाए  तो नजदीकी थाने में रिपोर्ट जरूर दर्ज कराएं. यह न सोचें कि जो चला गया उस का क्या अफसोस करना या कि फिर वह नहीं मिलने वाला, बल्कि यह सोचें कि आप की यह उदासीनता जेबकतरों को प्रोत्साहन देने वाली साबित होगी.

पुलिस कुछ नहीं करती या इन लोगों से मिली रहती है जैसी सोच एक हद तक सच

हो सकती है, लेकिन भोपाल में इटारसी की निशा के पकड़े जाने की वजह लगातार हो रही शिकायतें व रिपोर्टों का ही दबाव था. इसलिए रिपोर्ट जरूर दर्ज कराएं और कोशिश करें कि अपराधी महिला का हुलिया ज्यादा से ज्यादा वक्त तक याद रख पाएं. 

समारोह में चाहिए अतिरिक्त सावधानी

विवाह समारोह से उड़ाए लाखों के जेवर जैसे शीर्षक वाले समाचार अब बेहद आम हो चले हैं और इन में से अधिकांश महिलाओं या बच्चों द्वारा किए जाते हैं. ऐसे में रेल या बस से सफर के बराबर ही सावधानी समारोहों में रखने की होती है. समारोहों में भी भीड़ इकट्ठा और अनुशासनहीन होती है और लोग अपनेआप में या दूसरों के साथ गप्पें लड़ाने में इतने खोए रहते हैं कि इन्हें पर्स या सामान उड़ाने में ज्यादा मेहनत नहीं करती पड़ती. इसलिए जब भी विवाह या दूसरे किसी समारोह में जाएं तो इन बातों का ध्यान रखें:

– यहां कीमती और नक्दी सुरक्षित रखने के ज्यादा विकल्प नहीं होते, इसलिए उन्हें कम से कम ले जाना चाहिए.

– कुरसी या किसी दूसरी जगह पर्स नहीं रखना चाहिए.

– स्टेज पर चढ़ते वक्त पर्स अपने साथ ही रखें. उसे नीचे किसी के भरोसे छोड़ कर न जाएं.

– अगर कोई महिला लगातार आसपास मंडराती दिख रही है, तो उस से सावधान हो जाएं. वह जेबकतरी हो सकती है. वजह आजकल शादियों में परिचित कम अपरिचित ज्यादा मिलते व दिखते हैं.

– खाने की मेजों पर आइटम लेने में हड़बड़ी न मचाएं न ही धक्कामुक्की के दौरान वहां जाएं. अगर कोई साथ है तो एक को पर्स व सामान की देखभाल के लिए रुकना चाहिए. उस के आने के बाद ही दूसरे को जाना चाहिए.

– पर्स को लटकाए या झुलाए रखने के बजाय कैरी बैग में रखें.

– अनावश्यक बातचीत करने वाले अपरिचितों से दूर रहें.

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