जाति का कहर आज भी इतना ज्यादा है कि यह बच्चों तक में घुस रहा है. उत्तर प्रदेश के एक गांव सैलोन में एक ओबीसी युवती ने दलित लड़के से शादी कर ली और 7 सालों से पति के साथ मजे से रह रही थी. वह गांव के बाहर थी तो उस के घर वाले ज्यादा कुछ न कर पाए पर जब सितंबर के पहले सप्ताह में वह ससुराल आ कर अपने गांव में ठहरी थी तो उस के छोटे भाई और चचेरे भाइयों ने उसे क्रिकेट के बैटों से पीटपीट कर मार दिया.
इन 7 सालों में वह लुधियाना में रह रही थी पर 1 साल पहले पति के घर गांव में आ कर रहने लगी. युवती की अपने मायके वालों से बातचीत बंद थी.
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एक शादी को जब 7 साल बीत जाएं तो जाति का दंभ भुला दिया जाना चाहिए पर बढ़ती धार्मिक सोच का नतीजा है कि लोग और कट्टर और तंग सोच वाले होते जा रहे हैं. उदारता और भाईचारा खत्म हो गया है. दूसरी जाति अब दुश्मन बन गई है. अपनी ही बेटी दूसरी जाति में चली जाए तो मारी जा सकती है.
इस घटना पर न सरकार आंसू बहाएगी न मुख्यमंत्री. यहां तक कि अब तो भक्तिरस में डूबा मीडिया भी ऐसी घटनाओं को दिखाने में कतराने लगा है, क्योंकि ज्यादातर ऐंकर बेहद दकियानूसी और भक्तिभाव रखने वाले हैं. आजकल देशभक्ति, धर्मभक्ति, जातिभक्ति और सरकारभक्ति को मिक्स कर दिया गया है और खमियाजा उस युवती जैसी को उठाना पड़ता है, जिस ने 7 साल पति के साथ खुशी से गुजारे और जिसे अपनी ऊंची जाति के मातापिता को छोड़ने का गम नहीं था और लुधियाना में 7 साल अकेले रहने के बाद वह छोटी जाति के सासससुर के साथ रहने को तैयार थी.
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