Viji Venkatesh : कैंसर की देखभाल से ले कर सिनेमा तक विजी वैंकटेश ने इस बात का उदाहरण दिया है कि बदलाव लाते हुए नए सपनों का पीछा करने में कभी देर नहीं होती. इस बात में कोई दोराय नहीं कि गृहशोभा इंस्पायर अवार्ड्स 2025 में न्यू बिगिनिंग्स कैटेगरी के लिए विजी वैंकटेश ही उस की असली हकदार थीं. 71 साल की उम्र में विजी वैंकटेश न केवल बाधाओं को तोड़ रही हैं बल्कि नौनस्टौप माइलस्टोन अचीव भी कर रही हैं.
विजी वैंकटेश हैल्थकेयर ऐडवोकेट होने के साथसाथ ऐक्ट्रैस भी हैं. आज भी उन के कौन्फिडैंस को देख कर कोई नहीं कह सकता कि वे 71 साल की हैं. जोश से भरी, आंखों में चमक और हर तरह की चुनौती से लड़ने को तैयार विजी वैंकटेश की कहानी पर एक नजर:
71 साल की उम्र में वैंकटेश एक पावरहाउस हैं
विजी वैंकटेश 37 सालों से अधिक समय से रोगी सहायता और वकालत में सब से आगे रही हैं. ‘द मैक्स फाउंडेशन’ में भारत और दक्षिण एशिया के रीजन हैड के रूप में उन्होंने दुनियाभर में लोअर और मिडिल इनकम वाले देशों में कैंसर पेशैंट्स के लिए जीवनरक्षक दवाओं तक पहुंच प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई है. उन के इस काम ने अनगिनत परिवारों को केंसर के इलाज की चुनौतियों से निबटने में मदद की है.
वैंकटेश की कैंसर देखभाल की यात्रा
1987 में शुरू हुई. घरघर जा कर फंड जुटाने का उन का काम उन्हें नरीमन पौइंट के आलीशान औफिस से ले कर कलवा और बेलापुर की मिलों तक ले गया जहां 1200 रुपए के सैलरी पर काम करने वाले कर्मचारी 25 रुपए दान करते थे. उन की उदारता के बदले में कुछ करने के लिए शुरुआती दौर में उन्होंने ब्रिटिश काउंसिल लाइब्रेरी से कैंसर शोध की किताबें पढ़ीं और वर्कर्स के लिए तंबाकू जागरूकता अभियान और उन की पत्नियों के लिए ब्रैस्ट सैल्फ ऐग्जामिनेशन वर्कशौप्स शुरू कीं जो कैंसर का एक अहम कारण माना जाता है. तब से उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
पूरे साउथ एशिया में 60 हजार से भी ज्यादा कैंसर मरीजों के लिए विजी ने लाइफ सेविंग थेरैपीज की फैसिलिटी दिलाई. वहीं 30 हजार से ज्यादा क्रोनिक माइलायड ल्यूकेमिया के पेशैंट्स को ट्रीटमैंट दिलवाने में सफल रहीं.
गौरतलब है कि विजी के पास कैंसर का अपना कोई पर्सनल ऐक्सपीरियंस नहीं था. इस के बावजूद उन्हें इस काम में योगदान देने, फंड जुटाने और जागरूकता बढ़ाने की जरूरत महसूस हुई.
विजी के लिए ऐज इज जस्ट ए नंबर
साढ़े 3 दशकों से कैंसर देखभाल के क्षेत्र में काम कर रहीं विजी वैंकटेश अब ऐक्टिंग के क्षेत्र में भी अपने कदम रख चुकी हैं. वैंकटेश ने हाल ही में अखिल सत्यन के डाइरैक्शन में ऐक्टर फहद फासिल के साथ ‘पाचुवुम अल्बुथाविलक्कम’ (जिस का अर्थ है पाचू और द मैजिक लैंप) से सिनेमाई शुरुआत की.
गृहशोभा इंस्पायर अवार्ड्स में बातचीत में उन से पूछा गया कि आप बदलते दौर में महिलाओं को क्या मैसेज देना चाहेंगी तो इस के जवाब में उन्होंने सभी महिलाओं को बताया कि अपने दिल की सुनो. वही करो जो तुम्हारा मन कहता है. निडर बनो. आप में खुश करने या मदद करने की शक्ति है- उस शक्ति को अपने पास रखो और जब अवसर तुम्हारे पास आए तो तुम्हें डरना नहीं चाहिए उस मौके का फायदा उठाओ.
विजी कहती हैं कि ऐसे अवार्ड्स इवेंट्स महिलाओं को कुछ अच्छा और बड़ा करने के लिए प्रेरित करते हैं. अगर ऐसे इवेंट्स होते रहें जो महिलाओं की अचीवमैंट को दुनिया के सामने पेश करते हों, तो उन्हें समाज में आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है.
अचीवमैंट
ग्लोबल हैल्थ आर्गेनाईजेशन द्वारा लाइफटाइम अचीवमैंट अवार्ड.
दक्षिण एशिया में कैंसर देखभाल के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रोनिक माइलौयड ल्यूकेमिया फाउंडेशन (आईसीएमएलएफ) द्वारा सम्मानित.