इक्कीसवीं सदी ने दुनिया का स्वरूप कई मानों में बदल दिया है और इस बदलाव में सब से प्रमुख है तकनीक, जो हमारे लिए उतनी ही जरूरी बन गई है जितना कि सांस लेना. हालांकि कुछ वर्षों पहले तक माना जाता था कि इस पर केवल पुरुषों का अधिकार है और औरतों की इस में कोई दिलचस्पी नहीं है. लेकिन अब समय बदल गया है. कौरपोरेट जगत में अपनी पैठ बना चुकी औरतें अपनी तकनीकी जरूरतों के लिए स्मार्ट सोल्यूशंस को तलाश रही हैं, इसीलिए आज बोल्ड और ब्यूटीफुल मोबाइल हैंडसैट, स्लीक टच स्क्रीन आई पैड्स इन औरतों को आकर्षित कर रहे हैं.

कौरपोरेट जगत में अपनी एक खास जगह बनाने वाली अनन्या वर्मा उन औरतों में से हैं, जो तकनीक को ले कर न सिर्फ सजग हैं, बल्कि अपडेट भी रहना पसंद करती हैं. उन के लिए गैजेट्स ट्रैंड को अपनाना वैसा ही है, जैसे लेटैस्ट डिजाइन के कपड़ों को सलैक्ट करना. मार्केट में जैसे ही कोई नया गैजेट आता है, वे उसे अवश्य खरीदती हैं. लेकिन उन्हें स्लीक और बोल्ड डिजाइंस पसंद हैं, फिर चाहे वे मोबाइल में हों या लैपटौप में.

तकनीक के आसान और यूजर फैं्रडली होने के कारण कामकाजी महिलाएं, गैजेट्स को अपना बैस्ट फ्रैंड मानने लगी हैं. अगर वे मीटिंग में व्यस्त होती हैं तो    टैबलेट मेल चैक करने, वीडियो काल्स करने, अपनी प्रैजेंटेशन डाउनलोड करने तथा अपने परिवार से संपर्क में रहने का बेहतरीन साधन होता है.

टारगेट हैं औरतें

विज्ञापनों से होने वाले प्रचार और बाजार के रुख की ओर अगर देखें तो पाएंगे कि इन दिनों गैजेट्स के बाजार में एक जबरदस्त विस्तार आया है. लेकिन इस बार इन्हें बनाने वाली कंपनियों का टारगेट पुरुषों के बजाय औरतें हैं. यही वजह है कि कंपनियां अलगअलग रंगों में औरतों के लिए लैपटौप और मोबाइल बाजार में उतार रही हैं. दूसरी ओर अब इस तरह के मोबाइल अपनी पैठ जमा रहे हैं, जो फिटनैस के प्रति सतर्क औरतों की सेहत पर नजर रखेंगे. फिटनैस टे्रनर की तरह काम करने के साथ ये फोन स्ट्रैस लैवल व हार्ट रेट को भी मौनीटर करेंगे. कैमरा, म्यूजिक प्लेयर और इंटरनैट का फायदा उठाने से कहीं आगे ऐडवांस हो चुके इस मोबाइल की सहायता से अब औरतें अपने शरीर के फैट व सांसों की बदबू तक की जांच कर सकेंगी.

कैमरे के एक क्लिक के साथ खूबसूरत पलों को कैद करना और घर में तमाम जिम्मेदारियां पूरी करना, यही खाका है टैक्नो स्मार्ट औरत का जो कौरपोरेट वर्ल्ड में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथसाथ अपनी राह तलाशने और मंजिल पाने की कोशिश में किसी भी विकल्प को खोने देना नहीं चाहती.

हिचकिचाहट है अभी भी

फिर भी कुछ प्रतिशत महिलाएं अभी भी ऐसी हैं, जो गैजेट्स का इस्तेमाल करने की इच्छुक तो हैं, पर उन्हें अपनाने से कतराती हैं. कई महिलाएं मोबाइल फोन का उपयोग केवल फोन करने और रिसीव करने के लिए ही करती हैं, बाकी ऐप्लिकेशंस का उपयोग करना या तो उन को आवश्यक नहीं लगता या फिर वे सीखने में उलझन महसूस करती हैं. घरेलू उपकरणों को हालांकि महिलाओं ने जरूरत और सुविधाजनक जिंदगी पाने की चाह में अपना लिया है, पर बाकी लेटैस्ट गैजेट्स अभी भी उन्हें इतने आकर्षित नहीं करते. मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि गैजेट्स का इस्तेमाल करने में जो हिचकिचाहट या घबराहट आज के तकनीकी युग में महिलाओं में देखने को मिलती है, उस की वजह एक ही है और वह है किसी भी नई चीज को अपनाने में शौक की कमी. जबकि पुरुष रिस्क फैक्टर से कम डरते हैं और ऐक्सपैरिमैंट करने के इरादे से चीजों का प्रयोग करते हैं. इस के विपरीत महिलाएं इस मामले में ‘कौन सीखे’ की सोच ले कर चलती हैं. गैजेट्स गुरुओं का मानना है कि किसी भी गैजेट को खरीदने से पहले महिलाएं पूरी रिसर्च करती हैं और विज्ञापनों से कम ही प्रभावित होती हैं.

सीख गई हैं अपडेट होना

अगर आज के संदर्भ में यह बात कही जाए कि ज्वैलरी महिलाओं की पहली पसंद है तो कोई भी वर्ग इसे मानने को तैयार नहीं होगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि अब वे तकनीकी खिलौनों जैसे, प्लाज्मा टीवी, सैलफोन, लैपटौप या आईपौड को अपनी जिंदगी में शामिल कर चुकी हैं. कीबोर्ड पर तेजी से चलती उन की उंगलियों ने इंटरनैट और ब्लौग की दुनिया का सफर बड़ी कुशलता से तय करना सीख लिया है. औनलाइन बिजनैस में सफलता पाती आज की महिला भारी साड़ी या कीमती जेवरों में लिपटी गुडि़या नहीं रही है, बल्कि वह टैक्नोलौजी के विकास के साथ अपडेट होना सीख गई है.

वीजे सोफिया चौधरी के अनुसार, मेरे लिए तकनीक का अर्थ है एक नया संसार. इस का अर्थ है अपनी उंगलियों से असंभव को भी संभव बनाना. मेरे गैजेट्स मेरे लिए यही करते हैं. सैलफोन मेरा सही माने में साथी है. मेरा आईपोड एक अमूल्य वस्तु है. उस पर मैं सिर्फ गाने नहीं सुनती, वरन जब भी मैं रिकौर्डिंग कर रही होती हूं तो अपने म्यूजिक डायरैक्टर को यह बताने में मुझे आसानी होती है कि कौन सा यंत्र किस गाने के साथ अच्छा लगेगा.

पिछले कुछ दशकों में महिलाओं ने जिस तेजी से अपनी कामयाबी का परचम लहराते हुए समाज में अपनी एक जगह बनाई है, उस का असर सिर्फ उन की सोच पर नहीं दिखाई दे रहा, बल्कि उन की जीवनशैली और कार्यशैली में भी दिख रहा है. पिछले कुछ दशकों में महिलाओं की सोच ने जिस तरह से करवट ली है, उस ने तो उन की दिशा ही बदल दी है.

मददगार हैं गैजेट्स

 आज की औरत जानती है कि वह क्या चाहती है. आईटी कंपनी में कार्यरत मनीषा का कहना है, ‘‘लैपटौप ने मेरी जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है. इस की वजह से मैं घर में रह कर भी काम कर पाती हूं. यहां तक कि अपने पारिवारिक दायित्वों को निभाते हुए भी मुझे इतना मौका तो मिल ही जाता है कि अपने क्लाइंट को ईमेल कर सकूं या डाटा भेज सकूं.’’

कौरपोरेट वर्ल्ड में महिला की घुसपैठ ने जहां उस के लिए तरक्की की राह खोली है, वहीं एक से एक गैजेट्स चुनने की आजादी भी दे दी है. कैमरे से तसवीरें उतारना या लैपटौप पर काम करने पर अब केवल पुरुषों का ही अधिकार नहीं रहा है, एक आम महिला भी इन के प्रति चैतन्य हो गई है. वह तकनीक से जुड़े हर साधन को पूर्ण रूप से अपना रही है. लेकिन वह इन साधनों का प्रयोग केवल इसलिए नहीं करती कि वह खुद को आधुनिक साबित करना चाहती है, बल्कि इसलिए करती है क्योंकि वह इन के द्वारा पूरा लाभ उठाना चाहती है. ये साधन उस के कार्य में उस की मदद करते हैं, इसलिए वह उन्हीं चीजों को अपना रही है, जो उस की क्षमता में इजाफा करते हैं. जैसे, वह इंटरनैट का प्रयोग इसलिए करती है, क्योंकि जानकारी हासिल करने के साथसाथ वह दूर रहने वाले उस के परिवार के सदस्यों से उसे जोडे़ रखता है.

आउटसोर्सिंग कंपनी ग्लोबल लौजिक की सीनियर मैनेजर, एचआर, माधवी गोयल के अनुसार, आज अधिकतम औरतें कौरपोरेट कल्चर का हिस्सा बन रही हैं. वे तमाम ग्लास सीलिंग्स को तोड़ते हुए ऐसे उच्च पदों पर पहुंच गई हैं, जहां जिम्मेदारियां बहुत हैं. परिवार व काम के बीच संतुलन बनाए रखने व अपनी विभिन्न भूमिकाओं को निभाने में तकनीक उन की बहुत सहायता कर रही है. औफिस से बाहर होने पर या यात्रा करने पर ये गैजेट्स, खास कर लैपटौप और मोबाइल बहुत ही काम आते हैं. मैं जब भी औफिस की किसी और ब्रांच में होती हूं तो अपनी टीम के सदस्यों से संपर्क कायम रखना मुश्किल नहीं होता. आज की औरत ऐसे गैजेट्स पसंद कर रही है, जो पर्सनैलिटी को बढ़ाएं.

आत्मनिर्भरता है वजह

क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डा. मेघा गोरे के अनुसार, औरत के टैक्नो स्मार्ट होने की सब से बड़ी वजह है उस का आत्मनिर्भर होना. वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के साथ अपनी सोच से भी आत्मनिर्भर हुई है. उसे समाज में समान दर्जा मिल रहा है, यह प्रत्यक्ष ढंग से दिख रहा है, इसीलिए वह आज अपनी बात कहने में घुटन महसूस नहीं करती. समाज व परिवार का सहयोग व समर्थन उसे मिल रहा है, जिस ने उसे शक्ति व सामर्थ्य प्रदान किया है. तकनीक से उस की जिंदगी में लचीलापन आ गया है, क्योंकि उस के माध्यम से वह अपनी विभिन्न भूमिकाओं को एकसाथ निभा पाती है. परिवार व अपनी इच्छाओं को पूरा करने की एक क्षमता उसे तकनीक ने दी है.

इन दिनों इलैक्ट्रौनिक स्टोर्स में न सिर्फ औरतों को तकनीक में हो रहे विकास व लेटैस्ट मौडल की जानकारी दी जाती है, वरन सेल भी बहुत लगती है. वैसे भी आज की नारी अब खुद यह तय करती है कि उसे क्या खरीदना है. इन सब चीजों को खरीदने के लिए उसे अब पुरुषों की राय नहीं लेनी पड़ती. वह इतनी काबिल हो चुकी है कि अपने हिसाब से हर स्तर पर जी सके. अपनी मांगों को ले कर मुखर होने के बाद बाजार का रुख उस की सुविधाओं को जुटाने की ओर हो गया है.

स्टाइल में करते हैं इजाफा

हैदराबाद स्थित सौफ्टवेयर टैस्टिंग कंपनी एपलैब की असिस्टैंट वाइस प्रैसिडैंट रीमा सरीन का मानना है, ‘‘कौरपोरेट वर्ल्ड में काम करने के कारण मुझे हर समय अपने लैपटौप की आवश्यकता पड़ती है. मुझे लगता है कि यह समय की मांग है जिस ने मार्केट का रुख बदल कर औरतों को एक नई सोच व दिशा दी है.’’

टैक्नो ऐक्सैसरीज की मौजूदा चीजों पर अगर एक नजर डालें तो पाएंगे कि मोटोरोला ने महिलाओं के लिए पिंक कलर का और सीमंस ने फूलों के डिजाइन वाला मोबाइल उतारा और उस की डिसप्ले स्क्रीन को ऐसा बनाया कि वह शीशे का काम भी कर सके. सैमसंग के एक फोन में अरोमा थेरैपी व खुशबू की गाइड इनबिल्ट है. उस में कैलोरी काउंटर, बौडी मास इंडैक्स कैलकुलेटर व शौपिंग लिस्ट और्गनाइजर भी है. लेकिन केवल इन सुविधाओं के आधार पर ही औरतें उन्हें नहीं खरीदतीं. वे जब टैक्नो ऐक्सैसरीज को अपनाती हैं तो एक भारी दाम चुकाते हुए भी उस से होने वाले फायदों को नजरअंदाज नहीं करतीं. वे पैनी निगाहों से उस की तमाम बारीकियों को भी जांचती हैं.

कला के क्षेत्र में अगर औरत डिजिटल हो रही है तो अपनेआप को फिट रखने के लिए भी मशीनों को बड़ी तेजी से अपना रही है. बाजार में मौजूद विभिन्न उपकरण और जिम में बढ़ती औरतों की तादाद इस का प्रमाण है.

जि स तरह औरत ने सुंदरता के पैमानों को अपनी काबिलीयत के द्वारा नया आयाम दिया है, उसी तरह वह अपने स्टाइल कोतकनीक के माध्यम से संवार चुकी है.

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