Young Generation :आज सूचना संचार खासतौर से इंटरनैट ने युवावर्ग को और सशक्त बना दिया है. युवा आज इस विकसित तकनीक के माध्यम से हर क्षेत्र में ब्लौग लिख कर, सोशल नैटवर्किंग साइट विकसित करने, फोटो शेयर कर के लाखों लोगों के साथ संपर्क बना कर एकदूसरे के नजदीक आ रहे हैं. मगर क्या वे वाकई नजदीक आ रहे हैं या फिर रिश्तों और जिम्मेदारियों से दूर जा रहे हैं? केवल वर्चुअल रिश्तों या सपनों की दुनिया में व्यस्त रहना और हकीकत के रिश्तों से कटना कहां की समझदारी है...
ज्यादातर युवाओं के दिलोदिमाग में आगे बढ़ने का या अपने सपनों को पूरा करने का जज्बा तो है मगर वह जनून नहीं. वे स्थिर दिमाग नहीं रखते. आज कुछ सोचते तो कल कहीं और भटक जाते हैं. इस से उन के बढ़ने की स्पीड सही दिशा में न होने के कारण वे खुद में ही उल?ा कर रह जाते हैं. सपने बड़े हैं और शरीर में ताकत भी है. बेधड़क कुछ करने को निकल भी पड़ते हैं मगर विचारों में ठहराव न होने की वजह से कहीं पहुंच नहीं पाते. दिशाहीन भटकते रह जाते हैं...
अमित अपनी नईनई बनी गर्लफ्रैंड के साथ होटल युवराज में न्यू ईयर पार्टी सैलिब्रेशन में व्यस्त था. नाचगाने और शोरशराबे के बीच वह ऋचा को बांहों में ले कर झूम रहा था. उस के दोस्त पार्टी को फुल ऐंजौय कर रहे थे. तभी उस के फोन में किसी का मैसेज आया. पहले तो उस ने मैसेज पढ़ कर इग्नोर कर दिया मगर फिर फोन बज उठा. उस ने फोन साइलैंट पर कर दिया मगर कौल्स आनी बंद नहीं हुईं. तब थोड़ा चिढ़ कर उस ने फोन उठाया मगर बात करते समय आवाज में मधुरता बनाए रखी और बोला, ‘‘यार सुरभि मैं अभी बिजी हूं कहीं. बस मुझे 1 घंटे का समय दो मैं तुम्हारे पास पहुंचता हूं.’’
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