समीर ने अपनी घड़ी की तरफ देखा और उठ गया. आज रविवार था तो समय की कोई पाबंदी नहीं थी. आज न तो कोई मीटिंग थी, न ही औफिस जाने की जल्दी, न ही आज उस को सुबहसुबह अपने पूरे दिन का टाइमटेबल देखना था.
समीर की नौकरानी की आज छुट्टी थी या फिर यह कहा जा सकता है कि समीर नहीं चाहता था कि आज कोई भी उस को डिस्टर्ब करे. समीर ने खुद अपने लिए कौफी बनाई और बालकनी में आ कर बैठ गया. कौफी पीतेपीते वह अपने बीते दिनों की याद में डूबता गया.
अपना शहर और घर छोड़े उसे 2 साल हो चुके थे. यह नौकरी काफी अच्छी थी, इसलिए उस ने घर छोड़ कर दिल्ली आ कर रहना ही बेहतर समझा था, वैसे यह एक बहाना था. सचाई तो यह थी कि वह अपनी पुरानी यादों को छोड़ कर दिल्ली आ गया था.
उस की पहली नौकरी अपने ही शहर लुधियाना में थी. वहां औफिस में पहली बार वह सुमेधा से मिला था. औफिस में वह उस का पहला दिन था. वहां लंच से पहले का समय सब लोगों के साथ परिचय में ही बीता था. सब एकएक कर के अपना नाम और पद बता रहे थे...
एक बहुत प्यारी सी आवाज मेरे कानों में पड़ी. एक लड़की ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा, ‘हैलो, आई एम सुमेधा.’
सीधीसादी सी दिखने वाली सुमेधा में कोई खास बात तो थी जिस की वजह से मैं पहली ही मुलाकात में उस की तरफ आकर्षित होता चला गया था और मैं ने उस से हाथ मिलाते हुए कहा, ‘हैलो, आई एम समीर.’
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- 24 प्रिंट मैगजीन
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स