पहलेजमाने में लड़केलड़की का विवाह कुंडली मिलान पर निर्भर करता था. पंडितजी कुंडली से लड़केलड़की के गुणों का मिलान करते थे. अगर ज्यादातर गुण मिल जाते थे तो दोनों परिवारों में खुशी की लहर दौड़ जाती थी कि अरे 34 गुण मिल रहे हैं. चलो अब पूरा रास्ता आगे के लिए साफ है. फिर गोद भराई, फलदान, सगाई आदि रस्मों की तिथि तय कर दी जाती थी. मगर इतने सारे गुणों के मिलने के बावजूद हर स्त्रीपुरुष में कुछ अवगुण या कहें कमियां तो होती ही हैं, जिन के कारण पतिपत्नी में मतभेद हो जाते हैं. यदि ये मतभेद बढ़तेबढ़ते मनभेद बन जाएं तो फिर अलगावरूपी नफरत व घृणारूपी अलाव में दोनों जलने लगते हैं और फिर जिंदगी की लौ बुझने की बेला आने तक यह अलगाव का अलाव जलता रहता है.

मगर अब नए दौर में कुंडली देख कर गुण मिलाने का चलन कम होता जा रहा है. अब तो दूसरी चीजें देखी जाती हैं. अब सब से बड़ा गुण लड़की की शिक्षा है और उस के ऊपर भी वह कितनी कमाऊ  है. लड़के में भी यही चीजें देखी जाती हैं. कमाऊ  लड़की बाकी गुणों के नाम से कितनी भी उबाऊ क्यों न हो वह सहर्ष पसंद कर ली जाती है. इस सब के बावजूद रिश्ते में अलगाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में मातापिता क्या करें कि ऐसा रिश्ता, ऐसी लड़की मिल जाए जिस से कि जिंदगी भर निभ जाए? वैसे अब निकट भविष्य में इस बात पर भी आश्चर्य प्रकट किया जाएगा... न कहो ऐसे लोगों को सार्वजनिक कार्यक्रमों में सम्मानित किया जाने लगे.

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