कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

रमाकांत की सारी बात सुन डाक्टर सतीश धवन कुछ पलों के लिए सोच में पड़ गया और फिर बोला, ‘‘शारदा भाभी कहां तक पढ़ी हैं?’’

‘‘जहां तक मैं जानता हूं 12वीं से ज्यादा नहीं,’’ रमाकांत ने कहा.

‘‘आजकल डीएनए वाली

बात तो हरकोई जानता है. जगहजगह आईवीएफ के बोर्ड लगे हैं. सैरोगेट मदर का भी नाम उछलता रहता है,’’ डाक्टर सतीश ने गंभीरता से कहा.

‘‘जब आप के घर के अंदर व्हाट्सएप जैसा शुरू हो तो आप उन चीजों के बारे में भी आसानी से जान जाते हैं जोकि देखने में आप से बहुत दूर होता है और फिर वह पंडित रामकुमार तिवारी भी तो है जो लैब का कार्ड ले गया.’’ रमाकांत ने कहा तो वह व्हाट्सएप और पंडितों के जरिए मिला ज्ञान है. तब समस्या कोई बड़ी नहीं, तुम कल ही शारदा और खुशबू को ले कर वहां आ जाना. बाकी मैं देख लूंगा. सतीश ने कहा.

अगले दिन रमाकांत ने शारदा को खुद तैयार होने

और खुशबू को भी तैयार करने

को कहा.

‘‘कहां चलना है?’’ शारदा

ने पूछा.

इस पर रमाकांत ने फुसफुसाती हुई आवाज में कहा, ‘‘डाक्टर सतीश के कहां.’’

‘‘किसलिए?’’ शारदा ने पूछा.

‘‘तुम खुशबू को ले कर जो डीएनए टैस्ट करवाने की बात कर रही थी न, उसी के सिलसिले में,’’ रकामांत ने कहा.

रमाकांत के शब्द सुन कर शारदा एकाएक सकते में आ गईं. बोलीं, ‘‘इतनी अचानक ये सब? तुम ने मु झे इस के बारे में पहले कुछ बताया भी नहीं?’’

‘‘मैं ने कल ही डाक्टर सतीश से इस बारे में बात की थी. मैं तुम को बतलाना भूल गया था. डाक्टर सतीश हम तीनों के शरीर में से कुछ चीजों के नमूने ले कर बाहर किसी ऐसे शहर भेजेगा जहां किसी प्रयोगशाला में डीएनए टैस्ट की व्यवस्था होगी. रिपोर्ट के आने में 8-10 दिन का वक्त लगेगा.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...