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सुबह सुबह काम की ऐसी मारामारी रहती है कि अखबार पढ़ना तो दूर की बात, पलट कर देखने तक का टाइम नहीं होता मेरे पास. बच्चों को स्कूल और देवेन को औफिस भेज कर मुझे खुद अपने औफिस के लिए भागना पड़ता है. शाम को औफिस से आतेआते बहुत थक जाती हूं. फिर रात के खाने की तैयारी, बच्चों का होमवर्क कराने में कुछ याद ही नहीं रहता कि अपने लिए भी कुछ करना है. एक संडे ही मिलता है जिस में मैं अपने लिए कुछ कर पाती हूं.

आज संडे था इसलिए मैं आराम से मैं अखबार के साथ चाय का मजा ले रही थीं. तभी एक न्यूज पढ़ कर शौक्ड रह गई. लिखा था एक पति ने इसलिए अपनी पत्नी को घर से बाहर निकाल दिया क्योंकि शादी के पहले उस का बलात्कार हुआ था.

मुझे अखबार में आंख गड़ाए देख देवेन ने पूछा कि ऐसा क्या लिखा है अखबार में, जो मैं चाय पीना भी भूल गई. चाय एकदम ठंडी हो चुकी थी सो मैं ने एक घूंट में ही सारी चाय खत्म की और बोली, ‘‘देखो न देवेन, कैसा जमाना आ गया. एक पति ने इसलिए अपनी पत्नी को धक्के मार कर घर से बाहर निकाल दिया क्योंकि शादी से पहले उस का बलात्कार हुआ था. पति को लगा उस की पत्नी ने उस से झूठ कहा. उसे धोखे में रखा आज तक.

‘‘उस की नजर में वह अपवित्र है, इसलिए अब वह उसे तलाक देना चाहता है. लेकिन बताओ जरा, इस में उस औरत का क्या दोष? क्या उस ने जानबूझ कर अपना बलात्कार करवाया? यह सोच कर नहीं बताया होगा कि कहीं उस का पति उसे छोड़ न दे और हादसा तो किसी के साथ भी हो सकता है न देवेन, लेकिन वह अपवित्र कैसे बन गई? फिर तो वह बलात्कारी भी अपवित्र हुआ.’’

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