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राज्य के चीफ सैक्रेटरी विशाल दिल्ली से आए कुछ उच्च अधिकारियों के साथ हाईलेवल और मोस्ट सीक्रेट मीटिंग में अपना मोबाइल साइलैंट तथा वाइब्रेट मोड पर रख कर बैठे हुए थे. मीटिंग की अध्यक्षता राज्य के मुख्यमंत्री कर रहे थे. मीटिंग शुरू हुए आधा घंटा हुआ था कि उन के सामने उन का रखा मोबाइल वाइब्रेट हुआ.

विशाल ने देखा कि मोबाइल की एक्स्ट्रा लार्ज स्क्रीन पर ‘एम एन’ ये 2 अक्षर बारबार उभर रहे थे. विशाल को यह समझने में देर न लगी कि यह मीनाक्षी नाईक की कौल है. एसी रूम होने के बावजूद विशाल के माथे पर पसीने की बूंदें फैल गईं, उस ने धीरे से अपनी जेब से रूमाल निकाल कर माथे पर फेर दिया, फिर सब से नजरें चुराते हुए ‘मैं मीटिंग में हूं’ लिख कर मैसेज भेज दिया.

विशाल की आंखों के सामने ‘एम एन’ अर्थात मीनाक्षी नाईक की मदहोश करने वाली मोहक छवि उभर आई जिस ने पिछले कुछ समय से उस की नींद हराम कर दी थी. शहर के एक कुख्यात गुंडे अरुण नाईक की पत्नी मीनाक्षी अपने पति के मुकदमे के सिलसिले में करीब 4 साल पहले एक दिन उस से मिलने उस के औफिस आई थी जब वह राज्य के सचिव के पद पर आसीन था.

जब मीनाक्षी नाईक पहली बार उस की केबिन में दाखिल हुई थी तब वह उसे देखते ही रह गया था. विशाल की नजरें मीनाक्षी के चेहरे से हटने का नाम नहीं ले रही थीं. उस ने अपनी जिंदगी में पहली बार इतनी खूबसूरत महिला देखी थी. बड़ेबड़े कजरारे नशीले नैन, गुलाब की पंखुडियों से रसभरे होंठ, उफनता वक्षस्थल जहां से साड़ी का पल्लू किंचित नीचे खिसक गया था जिसे वह उचित स्थान पर स्थिर करने की असफल कोशिश कर रही थी. काली और घनी रेशमी जुल्फों की लटें उस के चांद से चेहरे पर अठखेलियां करते हुए कभी आंखों, तो कभी गालों, तो कभी लरजते लबों को छू रही थीं जिन्हें वह बारबार कभी अपने कोमल हाथ से तो कभी अपनी सुराही सी गरदन से झटक कर हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन हर बार उसे नाकामयाबी ही मिल रही थी.

मीनाक्षी ने मुसकराते हुए कहा, ‘गुडमौनिंग सर.’

मीनाक्षी नाईक की मधुर और खनकती आवाज से विशाल की तंद्रा टूटी, वह संभलते हुए बोला, ‘यस, यस वैरी गुडमौर्निंग, प्लीज हैव ए सीट.’

‘थैंक्यू सर,’ कहते हुए मीनाक्षी कुरसी पर बैठ गई. अब मीनाक्षी विशाल के बिलकुल समीप आ गई थी.

‘बोलिए मैडम, मैं आप की क्या सहायता कर सकता हूं,’ मीनाक्षी के चेहरे से नजर हटाते हुए विशाल ने कहा.

‘सर, मैं पहले अपना परिचय देना चाहूंगी. मैं मीनाक्षी नाईक, अरुण नाईक की पत्नी हूं. मैं अपने पति पर चल रहे मुकदमे के सिलसिले में आप से सहायता मांगने आई हूं.’

अरुण नाईक का नाम सुनते ही विशाल की भौंहें तन गईं. वह क्रोधित होते हुए बोला, ‘तो तुम नाईक गैंग के मुखिया अरुण नाईक की पत्नी हो जिस ने पुलिस और सरकार की नाक में दम कर रखा है. शार्पशूटर अरुण नाईक के अपराधों का कोई हिसाब नहीं है. मु?ो माफ करना इस बारे में मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता,’ कहते हुए विशाल ने दोनों हाथ जोड़ दिए.

‘सर, मेरी बात तो सुनिए. इस मामले को प्रैस ने जरूरत से ज्यादा उछाला है. दरअसल,’ मीनाक्षी अपनी बात पूरी भी न कर पाई थी कि तभी विशाल की केबिन में उन के सहायक ने आ कर बताया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें तुरंत बुलाया है. इसी बीच मीनाक्षी ने विशाल का विजिटिंग कार्ड ले लिया और उन से विदा लेते हुए वह केबिन से बाहर आ गई.

मीनाक्षी नाईक केबिन से बाहर जरूर चली गई थी मगर उस की मादक और मोहक छवि युवा अफसर विशाल की नजरों के सामने बारबार आ रही थी. विशाल की पत्नी दिल्ली में थी, वह मायानगरी में अकेला ही रह रहा था. बैठेबैठे न जाने उस के मन में ऐसेवैसे विचार आने लग गए. वह अपनेआप को संयमित रखने की नाकाम कोशिश करता रहा. उस का काम में भी मन नहीं लग रहा था. विशाल सोचने लगा कि राज्य के ज्यादातर मंत्री भी तो भ्रष्ट हैं. वे कई बार उस से अपने रिश्तेदारों या यारदोस्तों के फेवर में काम करवाते रहते हैं. फिर उस के विभाग के छोटेमोटे अफसर भी तो दूध के धुले नहीं हैं.

काश, वह मीनाक्षी की पूरी बात सुन लेता. उसे अपनेआप पर गुस्सा आने लगा. दोचार दिन बीत गए. न तो मीनाक्षी का फोन आया न ही वह दोबारा मिलने औफिस में आई. शिकार खुद चल कर आया था और उस ने सुनहरा मौका गंवा दिया था. उस की फाइल ले कर रख लेता, फिर टिपिकल सरकारी अफसर की तरह ‘अभी देख रहा हूं’, ‘कोशिश कर रहा हूं’, ‘मैं ने ऊपर बात कर ली है’, ‘आगे बात हो रही है’, ‘कुछ वक्त लगेगा’, ‘मामला थोड़ा पेचीदा है मगर तुम्हारा काम हो जाएगा’ आदि जुमलों में तो वह भी माहिर है.

एक दिन दोपहर में विशाल लंच से फारिग हो कर अपनी केबिन में सुस्ताते हुए किसी पत्रिका के पन्ने पलट रहा था. तभी टेबल के एक कोने में रखे मोबाइल की घंटी बजी. उस ने लपक कर मोबाइल उठाया. उधर से आवाज आई-

‘हैलो सर, मैं मीनाक्षी बोल रही हूं.’

मधुर आवाज सुन विशाल की सुस्ती पलभर में फुरती में बदल गई. ‘हां, बोलो मीनाक्षी, उस दिन मु?ो मुख्यमंत्री ने बुला लिया था, इसलिए मैं तुम्हारी बात ध्यान से नहीं सुन सका. फिर औफिस में दिनभर काम का टैंशन भी रहता है.’

‘कोई बात नहीं सर, मैं दोबारा आ जाती हूं. अगर आप बुरा न मानें तो मैं फाइल ले कर शाम को आप के बंगले पर आ जाऊं?’

विशाल मन ही मन खुश होते हुए बोला, ‘नेकी और पूछपूछ.’ फिर उस ने अपने उतावलेपन व उत्साह पर अंकुश रखते हुए गंभीर स्वर में कहा, ‘ठीक है, वैसे मैं बंगले पर किसी को बुलाता नहीं हूं, पर तुम आ जाना.’

‘ओके सर, मैं आज शाम को आती हूं,’ कहते हुए मीनाक्षी ने फोन काट दिया.

बंगले पर पहुंच कर विशाल ने सब से पहले अपने किचन स्टाफ को वीआईपी गैस्ट के आने की सूचना दी. फिर अन्य कर्मचारियों को बारबार यहांवहां न घूमने की सख्त हिदायत दी. रात को 8 बजे मीनाक्षी खूबसूरत गुलदस्ते के साथ विशाल के बंगले पर पहुंच गई.

विशाल ने धन्यवाद देते हुए गुलदस्ता स्वीकार किया. गुलदस्ता लेते वक्त मीनाक्षी के कोमल हाथों का जादुई स्पर्श उस के रोमरोम को रोमांचित कर गया. विशाल ने गुलदस्ता मेज पर रखा और मीनाक्षी को सोफे पर अपने करीब बैठने का इशारा किया. मीनाक्षी झक कर सोफे पर बैठने लगी तो उस की साड़ी का पल्लू उस के उभरे हुए वक्षस्थल से हट गया, जिसे उस ने तुरंत संभाला. पर विशाल की पैनी नजरों ने इस नजारे को कैद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

औपचारिक बातों के बाद मीनाक्षी अपने बैग से मुकदमे से संबंधित फाइल निकालने लगी. तो विशाल ने उस का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘अरे, रहने दो मीनाक्षी. इसे बाद में देख लेंगे. तुम पहली बार हमारे आशियाने में आई हो, पहले डिनर करेंगे, फिर तुम्हारी फाइल देख लेंगे.’

डाइनिंग हौल में डिनर लग चुका था. डिनर करने से पहले हौट डिं्रक की भी व्यवस्था थी. विशाल ने मीनाक्षी को डिं्रक की ओर चलने का इशारा किया तो पहले तो उस ने आनाकानी की, मगर विशाल के खास आग्रह करने पर वह मना नहीं कर सकी और अपने हाथ में पैग ले लिया.

मीनाक्षी अपने प्लान में कामयाब हो रही थी. वह पूरी तैयारी के साथ यहां पर आई थी. उस ने विशाल कुमार से हुई पहली मुलाकात में ही उस की नजरों में छलकती उस की ‘खास मंशा’ को भांप लिया था. कहते हैं कि औरतों में ‘सिक्स्थ सैंस’ भी होता है जो पुरुष की आंखों के भावों को अनायास ही समझ लेता है.

मीनाक्षी ने अपने बालों में लगे गजरे के बीच एक ‘हाई पावर माइक्रो कैमरा’ छिपाया था जिस का आकार हेयरपिन की तरह था. पहले जाम टकराए, मीनाक्षी ने बड़े प्यार से विशाल को दोएक जाम ज्यादा पिला दिए और स्वयं बेसिन में हाथ धोने के बहाने अपना प्याला खाली कर देती. इस के बाद डिनर हुआ और डिनर के बाद दोनों बैडरूम में पहुंच गए.

नशे में धुत विशाल भूखे भेडि़ए की तरह उस पर टूट पड़ा था. मीनाक्षी ने बहुत ही सावधानी से शूटिंग कर ली. फिर बाथरूम जाने का बहाना बना कर कैमरेरूपी हेयरपिन को अपने पर्स में संभाल कर रख दिया.

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