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लेखिका- विनिता राहुरीकर

सच तो यह था कि शैली अब यह महसूस करने लगी थी कि विनीत जीवन में उसे क्या दे पाएगा? वह उस से शादी तो करेगी नहीं. ऐसे वह सिर्फ उस की प्रेमिका बन कर कैसे सारी उम्र गुजार दे? विनीत के साथ उस का क्या भविष्य होगा? आकाश दिखने में अच्छा है और अच्छी नौकरी भी है. अच्छी कार में आता है तो जाहिर है पैसे वाला ही होगा. शैली भी आकाश में अपनी खुली दिलचस्पी दिखाने लगी. हां, वह यह ध्यान जरूर रखती कि ये सारी बातें विनीत की जानकारी में न आ जाएं, क्योंकि वह आकाश के बारे में सब कुछ जानने और उस की तरफ से पक्का आश्वासन मिलने तक विनीत के मन में अपने प्रति व्यर्थ का कोई संशय पैदा नहीं करना चाहती थी.

मौका देख कर शैली आकाश के साथ बाहर भी जाने लगी. अब शैली को इंतजार था आकाश के प्यार का इजहार करने और शादी का वादा करने का.

अब उसे दोपहर में विनीत का इंतजार नहीं रहता था, बल्कि विनीत के आ जाने से उसे कोफ्त ही होती थी. अकसर वह दोपहर और रात में आकाश के साथ उस की कार या बाइक पर घूमती या दोनों किसी दूर और एकांत जगह पर जा कर बैठे रहते. विनीत के पूछने पर वह यह बहाना बना देती कि किसी सहेली के साथ गई थी. आकाश से एकांत में मिलने पर शैली का मन मचलने लगता था, लेकिन आकाश का मर्यादित व्यवहार देख कर उसे अपने ऊपर संयम रखना पड़ता था. आकाश कभी उसे हाथ तक न लगाता. अत: शैली को भी अपनी उच्छृंखल मनोवृत्तियों को काबू में रखना पड़ता ताकि आकाश के मन में उसे ले कर कोई गलत धारणा न बैठ जाए. वह नहीं चाहती थी कि किसी भी तरह से आकाश के मन में उस के उन्मुक्त आचरण को ले कर कोई संशय उभरे और वह उसे छोड़ दे. इसलिए आकाश के सामने वह अपनेआप को सौम्य, शालीन और मर्यादा में रहने वाली दिखाने की हर संभव चेष्टा करती.

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