हवाईजहाज में प्रथम श्रेणी की आरामदायक सीट पर बैठ मयूरी ने चैन की सांस ली. आज वह महसूस कर रही थी कि जब दिल में उमंग हो और दिमाग तनावरहित, तो हर चीज कितनी अच्छी लगने लगी है. मानो हर तरफ वसंत खिल उठा हो. बगल की सीट पर बैठे मात्र 24 घंटे पहले ही जीवनसाथी बने राहुल को एक नजर देख उस ने चारों तरफ नजर दौड़ाई. अभी भी लोग अंदर आ कर अपनी सीटों पर बैठ रहे थे. एयर होस्टैसेस अपने काम में मुस्तैदी से लगीं यात्रियों की जरूरतें पूरी कर रही थीं, उन्हें उन की सीट बता रही थीं.
थोड़ी ही देर बाद जहाज का द्वार बंद होते ही माइक्रोफोन पर एनाउंसर की मधुर आवाज गूंजी, ‘‘कृपया अपनी सीट बैल्ट्स बांध लें. कुछ ही मिनटों में प्लेन टेकऔफ करने वाला है.’’
सब अपनीअपनी बैल्ट्स बांधने में लग गए. मयूरी को बैल्ट बांधने में असुविधा होते देख राहुल ने उस की मदद कर के अपनी सीट बैल्ट भी बांध ली. कुछ ही मिनटों में जहाज आकाश की ऊंचाइयों को छूता उसे अपने देश, अपने परिवार से दूर ले जा रहा था.
पिछले 24 घंटों से विवाह की आपाधापी व रातभर ट्रेन के सफर की भागदौड़ से थके राहुल और मयूरी अब थोड़ा बेफिक्र हो आराम से बैठ पाए थे. पिछले 2 दिनों में तेजी से घटे घटनाक्रम ने मयूरी को ज्यादा सोचनेसमझने का मौका ही नहीं दिया था. राहुल को आंखें बंद किए बैठे देख वह भी अपनी सीट पर सिर पीछे टिका कर शीशे से बाहर नीले आकाश में हाथभर की दूरी पर हवा में उड़तेइतराते बादलों को देखने लगी. बादलों के पीछे से आती सूरज की किरणों ने हर बादल के टुकड़े पर एक सिल्वर लाइनिंग सी बना दी थी, मानो हर बादल के पीछे चांदी सा चमकता साम्राज्य छिपा है. उस का जी चाहा कि हाथ बढ़ा कर वह उसे अपनी मुट्ठी में भर ले. पर हवा की तेजी से भी तेज, विचारों के पंछी कब उसे अपने साथ उड़ाते अतीत की ओर ले चले, उसे पता ही न चला...