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लेस्बियन संबंधों के बारे में सिर्फ पढ़ा भर ही था बीहू ने पर पिछली रात अनुभव भी कर लिया.

‘‘कल रात जो भी हुआ वह ठीक नही था,’’ बीहू ने कहा.

‘‘क्या ठीक नहीं था, लेस्बियन होना कोई नई बात नहीं, हर जगह होता है यह और फिर लड़कों के साथ सैक्स करने से तो अच्छा है, कम से कम बच्चे पैदा होने का तो कोई डर नहीं रहता,’’ यह बात पर्सी ने इस अंदाज से कही थी कि बीहू भी मुसकरा उठी.

बीहू को भी तो लड़कों से दर्द के अलावा कुछ नहीं मिला था पर ऐसा नहीं था कि अपने लेस्बियन होने के गुण को बीहू ने एक ही रात में स्वीकार कर लिया था पर यह तो सच था कि पहली बारिश के बाद जिस तरह से माहौल हलकाफुलका सा हो जाता है वैसा ही हलकापन जरूर महसूस किया था बीहू ने.

शायद इसी कारण अब बीहू कुछ नए किरदारों में भी फिट बैठ रही थी और ‘थिएटर दिवस’ पर रवींद्रालय में आने वाले एक विशेष कार्यक्रम के लिए बीहू और पर्सी ने जम कर मेहनत करी थी. एक प्ले तैयार किया था जिस में यह संदेश था कि औरत किसी तरह से मर्द पर आश्रित नहीं, बच्चा पैदा करने के लिए भी नहीं.

इस प्ले में तमाम तथ्य दिए गए थे जिन से दर्शकों को लगा कि अगर पुरुष पूरी तरह से हिंसक या बलात्कारी बनते जा रहे हैं तो फिर महिलाओं को उन का बहिष्कार कर देना चाहिए और चाहे इस के लिए उन्हें लेस्बियन कल्चर ही क्यों नहीं अपनाना पढ़े.

मगर क्या पुरुषविहीन समाज संभव है? अगर हां तो यह कैसे हो पाएगा? इस प्रश्न के साथ इस प्ले को खत्म किया गया था.

दर्शकों की तालियां बता रही थीं कि उन लोगों को ड्रामा बहुत पसंद आया. सभी कलाकारों ने एकसाथ स्टेज पर आ कर सभी दर्शकों का अभिनंदन किया.

बीहू और पर्सी अपने चेंजिंगरूम में आ कर अभी बैठे  ही थे कि दरवाजे पर खटखट की आवाज आई तो बीहू ने दरवाजा खोला. देखा सामने 30-35 साल की एक शादीशुदा औरत खड़ी थी जो देखने से ही काफी पैसे वाली लग रही थी.

वह बड़ी बेपरवाही से अंदर आ गई और सोफे में धंस गई. अपना परिचय देते हुए उस ने बताया कि उस का नाम शांति है. उस ने उन दोनों की ऐक्टिंग की जम कर तारीफ करी और लेस्बियन कल्चर पर खूब सवालजवाब करने लगी. शांति की सारी बातों के जवाब पर्सी ने बखूबी दिए.

शांति का मिजाज बहुत खुला हुआ और दोस्ताना था जातेजाते वह अपना मोबाइल नंबर भी दे गई और जल्दी ही फिर मिलने का वादा भी कर गई.

उस ने अपना वादा जल्द ही निभाया जब  फोन कर के पर्सी और बीहू को ‘सन ऐंड

शाइन’ नाम के रेस्तरां में बुलाया जहां का तेली भाजा (एक बंगाली डिश)बहुत प्रसिद्ध था. रेस्तरां में शांति जिस तरह से खाने का और्डर दे रही थी उस से वह खाने की शौकीन तो लगी ही, साथ ही साथ बीहू और पर्सी को यह भी पता चल गया कि वह काफी खुले विचारों वाली है.

‘‘पर मुझे ऐसे पैसे का क्या करना,’’ शांति जैसे आज अपना दुख कह ही देना चाहती थी और उस ने अपना सारा दुख बयां कर ही दिया.

शांति और उस के पति बाबुल की शादी एक लव मैरिज थी जोकि भावावेश के चलते करी गई. बाबुल एक ब्राह्मण परिवार से था और शांति एक लोहार परिवार से. दोनों कालेज में थे तभी दोनों में प्यार हुआ. बाबुल एक दिलफेंक लड़का था. दोनों में जिस्मानी संबंध बन गए और शांति को गर्भ ठहर गया.

जब शांति ने बाबुल को इस बारे में बताया तो उस ने इसे अपना बच्चा मानने से ही इनकार कर दिया और उसे नीच जाति का कह कर उलटा आरोप शांति के चरित्र पर ही लगाने लगा. शांति ने रोते हुए सारी बात अपने भाई और घर वालों को बताई. उस के घर वालों ने पुलिस की मदद ली और पुलिस ने ईमानदारी से काम करते हुए बाबुल और उस के मातापिता के समक्ष शांति से शादी करने का प्रस्ताव रखा. पुलिस के दबाव और बदनामी के डर से बाबुल ने शांति से शादी कर ली.

अब घर में पैसा और नौकरचाकर किसी चीज की कमी नहीं है. कमी है तो बस बाबुल के प्रेम की, महीनों बीत जाते हैं वह शांति को छूता तक नहीं और बाबुल के मांबाप बातबात में शांति को लोहार की बेटी होने का ताना देते रहते हैं. उसे लगता है कि उस की जरूरत किसी को नहीं.

इसीलिए जब मैं ने आप का वह प्ले देखा तब मैं ने सोचा कि कितना अच्छा हो अगर इस दुनिया से ये निर्दयी पुरुष खत्म ही हो जाएं.’’

पर्सी और बीहू ने उसे धैर्य बंधाया. बातों का दौर कुछ देर तक चलता रहा. अब समय चलने का हो गया था. तीनों बाहर निकले तो शांति ने उन दोनों को अपनी गाड़ी में ही लिफ्ट दे दी.

बीहू और पर्सी पीछे वाली सीट पर बैठ गईं और शांति भी आगे न बैठ कर उन्हीं के साथ पीछे वाली सीट पर बैठ गई.

तीनों चुप थीं कार में कोई बंगाली संगीत बज रहा था. तभी पर्सी का हाथ शांति की जांघ पर रेंगने लगा. कुछ देर शांति कुछ नहीं बोली फिर उस की सवालिया नजरें पर्सी की ओर उठीं तो पर्सी ने भी निगाहों से ही उसे चुप बैठने को कह दिया, शांति पुरुष संसर्ग की प्यासी थी. फिर भी उसे पर्सी का स्पर्श भा रहा था.

पर्सी और बीहू की मंजिल आ गई थी. दोनों के कमरे को जान और पहचान लिया था शांति ने. जब शांति ने अगली बार मिलने की इच्छा जताई तो पर्सी ने वार्डन की दुहाई देते हुए किसी और जगह मिलने को कहा.

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