‘‘अमन,कहां हो तुम? बाय द वे जहां भी हो, मुझे आ कर मिलो अभी, इसी वक्त,’’ फोन पर और्डर देते हुए भावना बोली.
मगर अमन ने यह कहते हुए आने से मना कर दिया कि उस के घर पर कुछ मेहमान आने वाले हैं, तो वह अभी उस से मिलने नहीं आ सकता है.
‘‘ओके... फिर मैं ही आ जाती हूं तुम्हारे घर.’’
‘‘नहीं... तुम यहां मत आना, प्लीज,’’
अमन ने रिक्वैस्ट की, ‘‘ठीक है मैं ही आता हूं.’’
‘‘यह हुई न बात,’’ अपना मुंह गोल कर भावना ने फोन पर ही अमन को बड़ा सा चुम्मा दिया और यह कह कर फोन रख दिया कि उसे इंतजार करना जरा भी नहीं पसंद, इसलिए वह जल्दी आ जाए.
अब अमन को सम झ नहीं आ रहा था कि वह घर से निकले तो कैसे क्योंकि अगर उस की मां छाया पूछेंगी कि वह कहां जा रहा है तो क्या बहाना बनाएगा? लेकिन जाना तो पड़ेगा वरना उस भावना का कोई भरोसा नहीं कि यहां पहुंच जाए. अपने मन में सोच अमन उठ खड़ा हुआ.
‘‘मां, एक जरूरी काम है, बस थोड़ी देर में आता हूं,’’ बोल कर अमित घर से निकलने ही लगा कि छाया ने उसे रोका, ‘‘पर जा कहां रहा है? अरे, घर पर मेहमान आने वाले हैं और तुम...’’
‘‘हां मां, पता है मु झे. लेकिन मैं बस थोड़ी देर में आता हूं,’’ झल्लाता सा अमन घर से निकल गया. छाया कुछ और पूछतीं उस से पहले वह गाड़ी स्टार्ट कर पलभर में ओ झल हो गया.
दरअसल, आज शाम रागिनी अमन की मंगेतर के भैयाभाभी अमन से मिलने उस के घर आने वाले हैं. वे लोग चाहते हैं कि अगर हफ्ता 10 दिनों में ही अमन और रागिनी की शादी हो जाए, तो बहुत अच्छा रहेगा. रागिनी का भाई राकेश गूगल कंपनी में सीओओ है और वे अपने परिवार सहित यहां इंडिया आए हुए हैं. राकेश की सास की हार्ट सर्जरी हुई है इसलिए वे लोग उन्हें देखने आए थे. चूंकि राकेश की पत्नी अपने मातापिता की एकलौती संतान है, इसलिए अपने मातापिता की सारी जिम्मेदारी उन की ही है. इंडिया आने के लिए राकेश को बड़ी मुश्किल से महीनेभर की छुट्टी मिल पाई थी, इसलिए अब वह सोच रहा है कि अगर रागिनी और अमन की शादी इधर ही हो जाए, तो फिर उन्हें तुरंत छुट्टी ले कर यहां नहीं आना पड़ेगा और उन का समय और पैसा दोनों बच जाएंगे.