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छाया अपने कमरे में यह सोचसोच कर करवटें बदल रही थी कि आखिर अमन को हो क्या गया है? क्यों वह इस तरह से सब से व्यवहार करने लगा है? रागिनी भी पूछना चाहती थी उस से कि कोई समस्या है तो बताएं, साथ मिल कर सुल   झा लेंगे. लेकिन अमन कैसे बताए किसी को कि वह एक बहुत बड़ी मुसीबत में फंस चुका है जिस से वह चाह कर भी बाहर नहीं निकल पा रहा है.

‘काश, काश मैं समय को पलट पाता. काश, मैं उस भावना का असली रूप देख पाता, तो आज मेरी जिंदगी कुछ और ही होती.’

अमन अपने मन में सोच ही रहा था कि उस का फोन घनघना उठा. भावना का ही फोन था. ‘नहीं, मैं इस का फोन नहीं उठाऊंगा’ फोन को घूरते हुए अमन बड़बड़ाया. लेकिन अंजाम के डर से उस ने फोन उठा लिया.

‘‘इतनी देर लगती है तुम्हें फोन उठाने में?’’ भावना गुर्राई.

‘‘नहीं, वह मैं सो गया था इसलिए... फोन की आवाज सुन नहीं पाया, सौरी. बोलो न क्या बात है?’’

‘‘बातवात कुछ नहीं, वह कल मु   झे 2 लाख रुपयों की सख्त जरूरत है, तो तुम मेरे घर आ कर दे जाओगे या मैं ही आ जाऊं पैसे लेने?’’ भावना के लफ्ज काफी सख्त थे.

‘‘द... द... दो लाख... पर इतनी जल्दी 2 लाख रुपए कहां से आएंगे?’’

‘‘वह तुम जानो... मु   झे तो बस 2 लाख रुपए चाहिए, वह भी कल के कल,’’ कह कर भावना ने फोन रख दिया और अमन अपना सिर पकड़ कर बैठ गया. मन तो किया उस का अपनी मां की गोद में सिर रख कर खूब रोए और कहे कि अब उसे नहीं जीना है.मर जाना चाहता है वह. मगर छाया हाई बीपी की मरीज है. इसलिए वह अपने आंसुओं को खुद ही पीता रहा घंटों तक. रागिनी से भी वह कुछ नहीं बता सकता था क्योंकि हो सकता है यह सब जानने के बाद वह उस से शादी करने से मना कर दे और वह रागिनी को किसी भी हाल में खोना नहीं चाहता था. अपने ही गम में डूबे कब अमन की आंखें लग गईं और कब सुबह हुई उसे पाता ही नहीं चला. घड़ी में देखा तो सुबह के 7 बज रहे थे.

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