रचित के विवाह को पूरे 2 साल हो  गए पर शांता हैदराबाद नहीं जा सकी. रचित उस का इकलौता बेटा है. उस की पत्नी स्नेहा कितनी ही बार निमंत्रण दे चुकी है पर कहां जा पाई है वह? कभी घर की व्यस्तता तो कभी राहुल की प्राइवेट कंपनी का टूर. एक बार प्रोग्राम बनाया भी तो उन दोनों के विदेश ट्रिप के कारण रद्द करना पड़ा, टिकट भी कैंसिल करना पड़ा. दोनों ही विदेशी कंपनी में साथ काम करते हैं, अकसर बाहर जाते ही रहते हैं.

शादी के बाद हनीमून मनाने में 1 महीना निकल गया. कहां ये दोनों बहू के पास रह पाए? सच में शांता को अपनी बहू से ठीक से परिचय भी नहीं हो पाया है. सिर्फ एकदो दिन ही साथ बिताए हैं. फोन पर बात कर लेना ही भला कोई परिचय हुआ. कुछ दिन उस के साथ रहें, तब कुछ बात बने. कुछ उस की सुनें और कुछ अपनी कहें.

खैर, चलो 2 साल बाद ही सही, अब तो राहुल ने पटना से हैदराबाद का रिजर्वेशन भी करा लिया है. रचित के विवाह की वर्षगांठ जो है. शांता शौपिंग में व्यस्त है. लड्डूमठरी और गुझिया बनाने में लगी है. ये सब रचित को बहुत पसंद हैं. अब स्नेहा को क्या पसंद है, यह रचित से पूछ कर बना लेगी. वह भी खुश हो जाएगी.

सभी सामान पैक हो गए हैं. थोड़ी देर में चलना है. मन खुशियों से भरा है. राहुल आएंगे तो आते ही जल्दी मचा देंगे. इसलिए सामान को बाहर निकालना शांता ने शुरू कर दिया.

स्टेशन आने पर पता चला कि गाड़ी समय पर पहुंच रही है, जान कर राहत मिली. टे्रन आने पर कुली ने सारा सामान सैट कर दिया. अटैंडैंट कंबल, चादर, तकिया आदि दे गया. शांता को अब थकावट महसूस हो रही थी. लेकिन रात के करीब 12 बजे तक लोगों का उतरनाचढ़ना लगा रहा. टीटीई भी टिकट चैक कर के चला गया. राहुल को तो लेटते ही नींद आ गई. शांता सोने की कोशिश करने लगी. गाड़ी तेज रफ्तार से चलने लगी थी. सभी यात्री सो चुके थे. ट्रेन में खामोशी छाई थी.

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