कालिमा: कैसे बेटे-बहू ने समझी अम्मां-बाबूजी की अहमियत
बेटेबहुओं द्वारा तिरस्कृत होने पर अम्मांबाबूजी अपने घर लौट आए. ऐसे में पैसे से लाचार उन्हें सहारा दिया बेटीदामाद और उन के किराएदार रंजन और श्रुति ने. उस थोड़े से सहारे से अम्मांबाबूजी के ऐसे दिन फिरे कि बेटेबहू अपनी करनी पर शर्मसार खड़े रह गए.