Writer – Nidhi Mathur

‘‘अनन्या, चल न, घर जा कर फोन पर बात कर लेना,’’ नंदिनी ने अपनी सखी अनन्या का हाथ खींचते हुए कहा.

‘‘अरे, बस एक मिनट. मेरी होने वाली भाभी का फोन है,’’ अनन्या बोली.

तीसरी सहेली वत्सला कुछ नाराज होते हुए बोली, ‘‘तू तो अब हमारे साथ शौपिंग करेगी नहीं. दुनिया में सिर्फ तेरे भाई की शादी नहीं हो रही है जो तू घंटों फोन पर अपनी होने वाली भाभी से चिपकी रहती है. आज इतनी मुश्किल से हम तीनों ने अपना शौपिंग का प्रोग्राम बनाया था. तू फिर से फोन पर चिपक गई.’’

नंदिनी बोली, ‘‘तुम दोनों को भूख लगी है या नहीं? मुझे तो जोर की भूख लगी है.’’

शौपिंग करते हुए अनन्या बोली, ‘‘न बाबा मेरी भाभी एम.जी. रोड के एक रैस्टोरैंट में मुझे लंच के लिए बुला रही है, तो आज तुम दोनों मुझे माफ करो. मैं तो अपनी भाभी के साथ ही लंच करने वाली हूं. अपना प्रोग्राम हम लोग फिर किसी दिन बना लेंगे.’’

वत्सला और नंदिनी के कुछ कहने के पहले ही अनन्या ने एक औटो एम.जी. रोड के लिए किया और फिर वह फुर्र हो गई.

‘‘नंदिनी, इस की भाभी को वाकई गर्व होना चाहिए कि उसे अनन्या जैसी ननद मिल रही है,’’ वत्सला बोली, ‘‘अरे तू उस की दीदी को क्यों भूल गई? वान्या दीदी भी तो अपनी भाभी को उतना ही प्यार करती है.’’

‘‘हां भई,’’ नंदिनी ने कहा, ‘‘फैमिली हो तो इस अनन्या के जैसी, इतना प्यार करते हैं सभी घर में एकदूसरे को. वह तो भैया ने थोड़ी सी शादी में लापरवाही कर दी.’’

वत्सला बोली, ‘‘ठीक है न, जब उन का मन किया तभी तो शादी के लिए हां की. इस की भाभी को तो कोई भी कष्ट नहीं होगा ससुराल में. चलो हम लोग तो लंच करें.’’

अनन्या, वान्या और जलज अपनी मां के साथ बैंगलुरु में रहते थे. जलज सब से बड़ा था, उस के बाद वान्या और सब से छोटी थी अनन्या. जलज और वान्या में तो 2 साल का फर्क था पर अनन्या जलज से 5 साल और वान्या से 3 साल छोटी थी. उन के पिताजी की कुछ वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी और तब से ये चारों ही बैंगलुरु में रहते थे. जलज एक आईटी कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर था और उस की कैरियर ग्रोथ बहुत अच्छी थी. बस उस ने अभी तक कोई लड़की पसंद नहीं की थी. वान्या और अनन्या की शादी हो चुकी थी और दोनों के 1-1 बेटा था. अब इतने सालों बाद जलज को अपनी कम्युनिटी में ही एक लड़की पसंद आई तो मां ने चट मंगनी और पट शादी करने का फैसला कर लिया.

वान्या और अनन्या तो खुशी से उछल ही पड़ीं. उन की होने वाली भाभी का नाम समृद्धि था. अब तो आए दिन उन के भाभी के साथ प्रोग्राम बनने लगे. जलज कभी उन के साथ चला जाता था पर ज्यादातर तो वान्या और अनन्या ही समृद्धि को घेरे रहती थीं.

इतने सालों बाद यह खुशी उन के जीवन में आई थी तो वे अपने होने वाली भाभी पर ढेरों प्यार लुटा रही थीं. करीब 1 महीने बाद जलज और समृद्धि की धूमधाम से शादी हो गई. नंदिनी और वत्सला तो खासतौर से समृद्धि के पास अनन्या की शिकायत ले कर पहुंचीं, ‘‘पता है भाभी, आप के साथ टाइम स्पैंड करने के लिए यह अनन्या तो अपनी सखियों को भूल ही गई.’’

अनन्या चहकते हुए बोली, ‘‘तुम लोग भी देख लो. मेरी भाभी है ही ऐसी.’’

समृद्धि भी यह छेड़छाड़ सुन कर धीमेधीमे मुसकराती रही. समय अपनी गति से चल रहा था.

नंदिनी और वत्सला अनन्या से उस की भाभी के बारे में बात करती रहती थीं. अनन्या अपनी भाभी को ले कर शौपिंग पर जाती थी तो सहेलियों का मिलनाजुलना कुछ कम हो चला था. हां, फोन पर अकसर बातें हो जाया करती थीं.

अभी जलज की शादी को 1 साल ही हुआ था कि एक दिन अनन्या बड़े दुखी मन से अपनी सहेलियों नंदिनी व वत्सला से मिली.

नंदिनी बोली, ‘‘क्या हुआ मैडम? आज मुंह क्यों लटका रखा है?’’

वत्सला ने कहा, ‘‘चल पहले चाट खाते हैं, फिर आगे की बातें करेंगे.’’

मगर अनन्या बोली, ‘‘नहीं यार. मुझे तुम दोनों को कुछ बताना है. चाट आज रहने दो.’’

नंदिनी बोली, ‘‘क्या हुआ? कुछ सीरियस है क्या? तू ऐसे क्यों बैठी हुई है?’’

इस पर अनन्या सिर झुका कर बोली, ‘‘मेरे भैया का डिवोर्स फाइल हो रहा है.’’

वत्सला चौंक कर बोली, ‘‘यह तू क्या बोल रही है? तू तो अपनी भाभी की इतनी तारीफ करती थी? तेरी उस के साथ इतनी पटती थी? अचानक से डिवोर्स कैसे?’’

फिर जो अनन्या ने बताया उसे सुन कर तो नंदिनी और वत्सला दोनों हक्कीबक्की रह गईं.

जलज की शादी के बाद मां ने गांव जाने की इच्छा प्रकट की. अब उन के मन को तसल्ली हो गई थी और वह अपना समय अपने रिश्तेदारों के साथ बिताना चाहती थीं. जलज को ले कर उन के मन में जो चिंता थी वह अब दूर हो गई थी.

अपनी बहू समृद्धि का उन्होंने खूब दुलार किया. उसे गहनों और कपड़ों से लाद दिया और फिर मां मन की शांति के लिए अपने गांव चली गईं. उन का मन वहीं लगता था क्योंकि उन के सारे रिश्तेदार वहीं थे.

जलज और समृद्धि अपना जीवन अपने हिसाब से जी रहे थे. न कोई टोकाटाकी, न कोई हिसाबकिताब और न ही कोई रिश्तेदारी का ?ां?ाट. हां, वान्या और अनन्या जरूर समृद्धि के साथ अपने कार्यक्रम बनाती रहती थीं. फिर अचानक समृद्धि का व्यवहार बदलने लगा. वह अपनी ननदों के साथ कुछ रूखेपन से पेश आने लगी.

पहले तो ननदों को समझ नहीं आया कि समृद्धि अब हर बार मिलने से मना क्यों कर देती. मगर वान्या सम?ादार थी तो उस ने अनन्या को भी समझाया कि जलज और समृद्धि को एकदूसरे के साथ समय देना ही बेहतर होगा. अनन्या और वान्या ने भाईभाभी के साथ अपने प्रोग्राम बनाने बिलकुल बंद कर दिए. वे दोनों तो वैसे भी नई भाभी का अकेलापन मिटाने का प्रयास कर रही थीं.

जलज और समृद्धि अब ज्यादातर समय एकदूसरे के साथ बिताने लगे थे. समृद्धि क्योंकि पूरा दिन घर पर रहती थी तो जलज ने उसे औनलाइन योगा क्लास जौइन करने की सलाह दी.

शादी के बाद वैसे भी पकवान खाखा कर समृद्धि का वेट थोड़ा सा बढ़ गया था. वैसे समृद्धि को दिनभर में कोई काम नहीं होता था क्योंकि वह जौब नहीं कर रही थी और जलज को काफी अच्छी सैलरी मिल रही थी.

समृद्धि के परिवार में 1 भाई और 1 बहन ही थी. उस के भाई की भी शादी नहीं हुई थी. समृद्धि की शादी हो जाने की वजह से उस के भाई को घर का काम संभालने में बहुत परेशानी आने लगी. जब तक समृद्धि थी उस का खानापीना नियमपूर्वक चल रहा था पर अब उसे औफिस के साथसाथ घर भी देखना पड़ता था तो वह खीज जाता था.

एक दिन वह समृद्धि के घर आया तो समृद्धि खुशीखुशी उसे अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में बताने लगी, ‘‘पता है भैया, अब तो मैं नीचे बाजार जा कर घर का सारा सामान ले आती हूं और घर के छोटीमोटी रिपेयर भी कर देती हूं, साथ ही मैं ने एक औनलाइन योगा क्लास भी जौइन कर ली है.’’

समृद्धि का भाई समीर थोड़े खुराफाती दिमाग का था. बहन की बातों से उस के दिमाग का बल्ब जला. ऊपर से तो उस ने अपनी खुशी जताई पर अंदर से वह अपनी बहन की खुशी से जलभुन गया.

इस का एक कारण शायद यह भी था कि वह सम?ाता था उस का आराम समृद्धि की शादी की वजह से खत्म हो गया है. अब उस ने अपना पासा फेंका. बोला, ‘‘अरे तू जब मेरे पास थी तो तु?ो घर की कोई रिपेयरिंग नहीं करने देता था मैं. औनलाइन किसी को बुला क्यों नहीं लेती है? रिपेयरिंग वगैरह के काम क्या लड़कियां करती हैं? जलज पूरा दिन क्या करता है? घर में तेरा हाथ नहीं बंटाता?’’

‘‘अरे नहीं भैया. जलज तो रात को आते हैं तो उन्हें इन सब की फुरसत नहीं होती. मैं पूरा दिन घर में रहती हूं इसलिए ये सब अपनेआप ही कर लेती हूं.’’

‘‘अच्छा, पहले तो तू कभी ऐक्सरसाइज वगैरह नहीं करती थी. अब यह योगा क्लास क्यों जौइन की है?’’

‘‘वह जलज ने कहा कि मेरा शादी के बाद डिनर पार्टीज अटैंड करकर के थोड़ा सा वेट बढ़ गया है, बस इसीलिए.’’

‘‘अच्छा तो अब जलज मेरी बहन को खाने पर ताने भी देगा?’’

‘‘नहीं भैया क्या बात कर रहे हैं? उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा.’’

‘‘मैं सब समझ गया हूं, जलज को भी आजकल की लड़कियों की तरह एक सुंदर, स्लिम लड़की चाहिए. इसीलिए वह तुझे ऐसी सलाह दे रहा है. पर मुझे तो मेरी बहन बिलकुल मोटी नहीं लगती. आगे से अगर तुझे कुछ रिपेयरिंग का काम कराना हो तो मुझे फोन कर देना. तेरी ननदें भी बस घूमनेफिरने की ही शौकीन हैं. काम में तेरी मदद क्यों नहीं करतीं?’’

थोड़ी देर बाद समीर चला गया पर उस के हाथ एक मौका लग गया. अब वह जलज के पीछे घर जाजा कर समृद्धि के कान भरता रहता. उसी ने सब से पहले समृद्धि को अनन्या और वान्या से मुंह मोड़ने को कहा, जिस की वजह से वह उन से बेरुखी जता रही थी.

एक दिन उस ने समृद्धि के जेवर देख कर कहा, ‘‘तेरी ननदें यहां आतीजाती रहती हैं. तू अपने सारे गहने उन से छिपा कर हमारे घर में रख दे. क्या भरोसा किसी त्योहार के बहाने तुझ से कुछ मांग लें और फिर वापस न करें. उन्हें बोल देना तेरे सारे जेवर बैंक में हैं.’’

‘‘पर भैया, वे तो अब यहां नहीं आतीं. उन्होंने कहा है कि जलज और मैं अपना वक्त एकदूसरे के साथ बिताएं.’’

‘‘तू बहुत भोली है समृद्धि पर इन ननदों से जरा बच कर रहना,’’ कह कर समीर चला गया. मगर समृद्धि के मन में जहर का बीज बो गया.

समीर अब समृद्धि को जलज और उस के पूरे परिवार के खिलाफ भड़काता रहता, ‘‘तेरी सास को अभी गांव नहीं जाना चाहिए था. तेरा काम में हाथ बंटाती, तुझे अपने साथ रखती, घर संभालना सिखाती.

‘‘ मेरी छोटी बहन के ऊपर कितनी जिम्मेदारी आ गई है. तेरी ननदें शादी के पहले तो बहुत आती थीं, अब उन्होंने भी तुम दोनों से मुंह मोड़ लिया है. तू कैसे इन सब के साथ निभा रही है? मुझे तो तुझे देख कर बहुत दुख होता है.’’

समीर से आए दिन यह सब सुनसुन कर समृद्धि का भी मन बदलने लगा. अब वह अपने भाई की बातों में सचाई ढूंढ़ने लगी. हालांकि भाई का सच उसे नजर नहीं आया.

समीर चाह रहा था कि समृद्धि किसी तरह वापस घर आ कर उस का खानापीना संभाल ले. वह स्वार्थ में इतना अंधा हो गया कि उसे अपनी बहन के सुखदुख की कोई परवाह नहीं थी.

धीरेधीरे समृद्धि के सारे अच्छे जेवर और कपड़े समीर ने मंगवा कर अपने घर रख लिए. एक दिन जलज जब घर आया तो खाना नहीं बना था. जलज का दिन काफी व्यस्त रहा था और वह जल्दी खाना खा कर सोना चाहता था पर समृद्धि ने जानबूझ कर देर करी.

समीर ने समृद्धि के दिमाग में बैठा दिया था कि जलज उसे बाई का दर्जा दे रहा. जलज ने जब खाने के बारे में पूछा तो समृद्धि ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे घर की बाई नहीं हूं. कल से घर में खाना बनाने वाली लगा लो, मैं ये सब काम नहीं करूंगी.’’

जलज समृद्धि की बातें सुन कर हैरान हुआ पर वह बहस नहीं करना चाहता था

इसलिए मैगी खा कर सोने चला गया. अब समृद्धि समीर के उकसाने से न तो वान्या और अनन्या के फोन उठाती, न ही अपनी सास से बात करती तथा न ही घर का कोई काम करती. उस ने बातबेबात जलज से भी उल?ाना शुरू कर दिया था. जलज वैसे ही थका हुआ देर से घर आता था तो वह पहले तो समृद्धि को मनाता था. फिर उस के तानों को अनसुना करने लगा.

उधर समीर अपनी योजना सफल होते देख खुश था. वह तो चाह ही रहा था कि समृद्धि का घर टूटे और वह वापस आए. एक दिन समृद्धि ने जलज से बिना बात के ?ागड़ा किया और समीर के घर चली गई. वहां पर समीर ने उसे इतना भड़काया कि 1 महीने बाद ही उस ने डिवोर्स के पेपर्स भेज दिए.

जलज को इस में समीर का हाथ साफ नजर आया पर उसे यह नहीं पता था कि उस ने समृद्धि को कितना भड़का रखा है. उसे सिर्फ समीर पर शक हुआ क्योंकि वही उस की पीठपीछे घर आता था. अनन्या ने भी वही कहा कि उसे अंदर की बात तो पता नहीं पर इस में समीर का हाथ हो सकता है.

केवल डिवोर्स तक ही मामला रहता तो ठीक भी था पर समीर के उकसाने पर समृद्धि ने वान्या और अनन्या पर भी दहेज के आरोप में केस कर दिया. यही नहीं, गांव में रह रही उन की मां का नाम भी उस में शामिल कर लिया. अनन्या, वान्या ने जब अपने ऊपर केस के बारे में सुना तो वे सन्न रह गईं. दोनों बहनों का प्यारा बड़ा भाई जिस की शादी उन्होंने इतने चाव से की थी, आज एक टूटे रिश्ते का दर्द सह रहा था. ये सब बातें अनन्या ने अपनी सहेलियों के साथ एक दिन चाय पर डिस्कस कीं. कोर्ट केस म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग पर सुल?ाने के समीर ने क्व25 लाख मांगे.

अनन्या ने कहा, ‘‘जब हम लोग गलत नहीं हैं तो एक भी पैसा नहीं देंगे. कोर्ट में केस चलने दो, हम भी देख लेंगे.’’

वान्या ने सम?ाया भी कि कोर्टकचहरी अपने देश में सालोंसाल लगा देते हैं, हम लोग पैसा दे कर ही छूट जाते हैं. समीर और समृद्धि क्व25 लाख से कम में केस बंद करने को तैयार नहीं थे.

हमेशा हंसनेखिलखिलाने वाली अनन्या अब अकसर परेशान रहने लगी. उन सब को कोर्ट में तारीख आने पर बुलाया जाता और जज हर बार अगली तारीख दे देता. जलज भी चुपचुप रहने लगा था.

एक दिन अचानक जलज अनन्या के घर आया और बोला कि वह जौब छोड़ रहा है. अनन्या ने फोन कर के वान्या को भी वहीं बुला लिया, ‘‘देखो न दीदी, भैया क्या कह रहे हैं, अच्छीखासी जौब छोड़ रहे हैं.’’

वान्या ने पूछा, ‘‘भैया आप जौब क्यों छोड़ रहे हैं?’’

जलज बोला, ‘‘क्या करूंगा जौब कर के? रोज सुबह जाओ, रात को घर आ कर खाना खा कर सो जाओ. किस के लिए पैसे कमाऊं?’’

यह सुन कर अनन्या और वान्या शौकड हो गईं. जलज से ऐसे व्यवहार की उन्हें बिलकुल उम्मीद नहीं थी. उधर जलज अब हर चीज से उदासीन होने लगा था. जिंदगी ने उस के साथ जो मजाक किया था उसे उस ने कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया था. वह घर में बंद हो गया. मां उस के पास वापस आ गई थीं. वे उसे बहुत सम?ातीं, मगर जलज ने चुप्पी ओढ़ ली थी. न तो वह दोस्तों से मिलने को तैयार था, न दूसरी जौब ढूंढ़ने को और न ही बहनों के साथ समय बिताने को.

अगली केस डेट पर समीर समृद्धि के साथ आया था. सब ने उसे और समृद्धि को देख कर मुंह फेर लिया. समीर अंदर से जलभुन गया और ऊपर से जलज को धमकी भरे स्वर में बोला, ‘‘तूने जौब छोड़ दी न? अच्छा किया. अब मैं देखता हूं तू कहां नौकरी करता है. तू जहां भी जाएगा मैं वहां जा कर तेरी ऐसी बदनामी करूंगा कि तू भी सोचेगा तूने मेरी बहन के साथ इतना गलत व्यवहार क्यों किया.’’

वान्या चिल्लाई, ‘‘एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी. भैया ने तुम्हारे साथ क्या गलत किया है?’’

अनन्या ने वान्या को समझाया कि कोर्ट में कुछ भी उलटासीधा न बोले. वह सब उन के खिलाफ जा सकता है. तीनों भाईबहन चुपचाप कोर्ट की प्रोसीडिंग के लिए अंदर चले गए.

इसी तरह 2-3 साल और गुजर गए. जलज के दोनों केसों का कोई भी निर्णय नहीं हुआ. आखिर वान्या, अनन्या और उन की मां ने फैसला किया कि एक बार फिर आउट औफ कोर्ट सैटलमेंट की बात की जाए. समीर भी हाथ में पैसा न आता देख कर फ्रस्ट्रेटेड हो रहा था. 8 लाख में 3 साल बाद म्यूचुअल सैटलमैंट से दोनों केस डिसाइड हो गए. अब समृद्धि और जलज के रास्ते कानूनी तौर पर अलग थे. कहने के लिए तो यह मुसीबत का अंत था मगर जलज के लिए एक और कुआं. सब रिश्तेदारों ने अनन्या और वान्या को सलाह दी कि जलज के लिए दूसरा रिश्ता देख कर उस की नई जिंदगी की शुरुआत करें. जलज इधर किसी और ही रास्ते पर चल पड़ा था, जहां सिर्फ अंधेरा ही था. वह सीवियर डिप्रैशन में चला गया था. वह कुछ दिन बैंगलुरु रहता और कुछ दिन गांव में पर अब उस की नौकरी करने की बिलकुल इच्छा नहीं थी. अनन्या और वान्या ने प्यार से बहुत सम?ाने की कोशिश की, मगर सब बेकार. जलज को लगता था कि जिंदगी ने उस के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी की है.

एक दिन अनन्या बोली, ‘‘भैया शुक्र है कि मुसीबत से जल्दी पीछा छूट गया. आप पीछे न देख कर आगे का जीवन बनाएं.’’

उस दिन पहली बार जलज अपनी छोटी बहन पर बरस पड़ा, ‘‘तेरे पास सबकुछ है न,

परिवार, पैसा, प्यार इसीलिए तू मुझे भाषण देती रहती है. मुझे तेरी कोई नसीहत नहीं चाहिए, न ही किसी और का लैक्चर मुझे सुनना है. वान्या से भी कह दे कि मुझे कुछ सिखाने की कोशिश न करे.’’

मां दूसरे कमरे में सो रही थीं. जलज का चिल्लाना सुन कर जब वे आईं तो देखा कि अनन्या रो रही थी और जलज फिर भी चिल्लाए जा रहा था. मां ने उसे जब शांत करने की कोशिश की तो वह बोला, ‘‘तुम अपनी प्यारी बेटियों के पास जा कर रहो. यहां रहोगी तो इन की तरह तुम भी मुझे सीख देती रहोगी.’’

अनन्या को लगा कि यह कुछ भी कहने या करने का वक्त नहीं. उस ने चुपचाप मां के कपड़े एक बैग में डाले और उसे जबरन अपने साथ ले गई. उसे लगा कि जलज को कुछ दिन अकेला छोड़ देंगे तो शायद वह संभल जाएगा. मगर जलज संभलने की राह पर नहीं चल रहा था. उस ने अपनी जिंदगी और भी बदतर कर ली. उसे जो मन में आता वह खा लेता, नहीं तो भूखा ही रह जाता. स्ट्रैस की वजह से उस की आंखों के नीचे काले घेरे पड़ गए थे और उस को स्किन प्रौब्लम भी हो गई थी. वह घर में हर समय परदे बंद रखता और कोई भी लाइट नहीं जलाता.

एक बार वान्या उसे डाक्टर के पास ले गई. डाक्टर ने कहा कि उसे बहुत स्ट्रैस है. जब तक वह कम नहीं होता तब तक जलज की स्किन प्रौब्लम ठीक नहीं होगी.

अनन्या जलज से अब बात नहीं करती थी. फिर एक दिन जलज ने उसे सौरी बोलने के लिए फोन किया और कहा कि वह मां को घर छोड़ जाए. अनन्या को लगा कि शायद जलज को पछतावा हो रहा है. मगर जलज अब किसी के बारे में सोचनासम?ाना ही नहीं चाहता था. वह जिंदगी से पूरी तरह उखड़ चुका था. अलबत्ता बहनों से वह वापस मिलने लगा था. पर वह पहले जैसा लाड़ करने वाला भाई न हो कर एक चिड़चिड़ा और बददिमाग इंसान बन गया था.

एक दिन शाम को जलज अनन्या के घर गया तो उस ने एक नई सूरत देखी. तभी अनन्या ने उस का इंट्रोडक्शन कराया, ‘‘भैया, यह है हमारी नई पड़ोसिन कमल. यह अभी 2 हफ्ते पहले ही हमारे पड़ोस में शिफ्ट हुई है.’’

जलज ने निर्विकार भाव से अभिवादन किया और दूसरे कमरे में जा कर टीवी देखने लगा. थोड़ी देर में उसे बाहर से हंसने की आवाजें सुनाई देने लगीं. वह थोड़ा इरिटेट तो हुआ पर उस ने अपने पर काबू रखा. फिर उसे लगा कि अनन्या और कमल शायद कुछ गुनगुना रही हैं. करीब 1 घंटे बाद बाहर से आवाजें आनी बंद हुईं तो जलज उठ कर उस रूम में गया. वहां पर अनन्या अकेली बैठी हुई थी. अनन्या ने जलज को कमल के बारे में बताना शुरू किया. असल में कमल के पति ने किसी और लड़की के प्यार में फंस कर उसे छोड़ दिया था. पर कमल ने परिस्थितियों से हार नहीं मानी. वह बहुत अच्छा गाती थी तो उस ने सिंगिंग कंपीटिशंस में पार्ट लेना शुरू कर दिया था और बाद में गाने को ही अपना प्रोफैशन और जिंदगी दोनों बना लिया था. उस के साथ भी जीवन में काफी कुछ घटा था पर वह बिलकुल निराश या दुखी नहीं थी. यह सब अनन्या ने जानबू?ा कर जलज को बताया ताकि वह थोड़ा मोटिवेट हो सके.

अनन्या अब कोशिश करती थी कि जब जलज उस के घर आए तो वह वान्या और कमल को भी बुला ले. कमल आते ही महफिल में चार चांद लगा देती. उस का दिल बड़ा साफ था और उसे किसी से कोई शिकायत नहीं थी. एकाध बार अनन्या ने जलज और कमल को अकेले भी छोड़ दिया. जलज को कमल में एक हमदर्द दिखाई देने लगा. वह अपने दिल की बात मां व बहनों से नहीं करता था पर उसे लगा कि कमल शायद उसे समझा कर उस के साथ सिंपैथाइज करेगी. जलज ने बिलकुल गलत सोचा था.

कमल ने न तो कोई अफसोस जताया और न ही सिंपैथाइज किया. उस ने जलज को कहा कि जो बीत गया उस को अपना आज बना कर बैठने में कोई बुद्धिमानी नहीं. कमल ने कहा, ‘‘मूव

औन जलज. सब की लाइफ में कोई न कोई प्रौब्लम आती है. अगर हम प्रौब्लम को पकड़ कर बैठ जाएंगे तो जिंदगी की असली ख़ूबसूरती नहीं देख पाएंगे.’’

जलज को अभी तक कोई ऐसा नहीं मिला था जिस ने उस के साथ सिंपैथाइज न किया हो. मगर कमल तो शायद किसी दूसरी मिट्टी की ही बनी थी. दूसरी बार जलज ने जब फिर अपने लिए कमल से सिंंपैथी चाही तो कमल ने उसे जवाब दिया, ‘‘मैं जीवन को भरपूर जीने में विश्वास रखती हूं. मेरे सामने प्लीज अपना दुखड़ा मत रोइए. हो सके तो जीवन के सारे रंगों को ऐंजौय करना सीखिए.’’

यह जलज के लिए एक बहुत बड़ा झटका था पर कहते हैं न अपोजिट्स अट्रैक्ट. शायद जलज को कहीं पर कमल की बात सही लगी. अब अगर वह कमल से मिलता तो उस की बातों को सम?ाने की कोशिश करता. बोलता वह अभी भी कम ही था पर वान्या, अनन्या और उन की मां के लिए यह एक बहुत बड़ा पौजिटिव साइन था. अब वे लोग पिकनिक, शौपिंग के प्रोग्राम बनाते और जलज को भी जबरदस्ती ले जाते.

फिर एक दिन कमल ने उसे अपने सिंगिंग प्रोग्राम के लिए इनवाइट किया. उस प्रोग्राम में कमल ने इतने अच्छे गाने गाए कि जलज भी मुग्ध हो गया. आखिर एक दिन जलज ने अपनी दोनों बहनों और मां को बुला कर कहा कि वह कमल के साथ आगे की जिंदगी गुजारना चाहेगा.

अनन्या तो यही चाहती थी, मगर उस ने फिर भी कहा कि उन सब को कमल से बात करनी चाहिए. कमल जब अगली बार मिली तो अनन्या ने ही अपने भाई का प्रपोजल उस के सामने रखा. कमल को इस बात की बिलकुल आशा नहीं थी. बोली, ‘‘जलज मैं तुम्हारा साउंडिंग बोर्ड नहीं बनना चाहती. मैं बेचारी भी नहीं हूं. न ही मैं तुम्हारी तरह हूं. जो बीत गया वह मेरे जीवन का एक हिस्सा था लेकिन उसे पकड़ कर मैं रोती नहीं हूं. तुम आगे बढ़ने में विश्वास नहीं करते हो. हमारा कोई मेल ही नहीं है.’’

जलज को कुछ ऐसे ही जवाब की अपेक्षा थी इसलिए उस ने थोड़ा समय मांगा. उस ने कमल का दोस्त बनने की इच्छा जाहिर की. कमल ने उसे एक ही शर्त पर अलौ किया कि वह पुरानी या कोई भी नैगेटिव बात नहीं करेगा और सब से पहले काउंसलर को मिल कर अपने डिप्रैशन का इलाज कराएगा. जलज इस के लिए भी तैयार हो गया.

काउंसलिंग सैशंस में जलज कमल के साथ जाने लगा. इस चीज के लिए वह कमल को मना पाने में कामयाब हो गया था. डाक्टर ने उसे बताया कि उसे दवाई की जरूरत नहीं है मगर अपना आउटलुक चेंज करना होगा. दुनिया कितनी खूबसूरत है, यह सम?ाना था और बीती हुई जिंदगी को भी ऐक्सैप्ट करना था. धीरेधीरे ही सही मगर जलज भी यह सब सम?ाने लगा. कमल ने उसे एक पौजिटिव दोस्त की तरह बहुत हिम्मत दी. अनन्या, वान्या और मां तो उस के सपोर्ट सिस्टम थे ही. इस सब में लगभग सालभर लग गया.

नए साल के दिन जलज कमल को ले कर अनन्या के घर गया और उस ने बताया कि उस ने फिर से एक आईटी कंपनी में इंटरव्यू दिया था और उस का चयन भी हो गया है. फिर उसने सब के सामने कमल से कहा, ‘‘क्या अब मैं तुम्हारे साथ आगे का जीवन प्लान कर सकता हूं?’’

कमल ने मुसकराते हुए हां कह दी. घर में जैसे एक बार फिर उत्सव का सा माहौल हो गया. गाड़ी कुछ समय के लिए पटरी से उतर जरूर गई थी मगर अब फिर से वापस नई राह पर चलने वाली थी. हां, इस सफर में एक नया और बेहतरीन साथी भी अब जुड़ गया था. खुशियां फिर से लौट आई थीं.

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