0:00
12:24

सैकड़ों आंखें उसे एकटक निहार रही थीं. उन सभी आंखों से छलकते खारे पानी को वह अपनी आंखों में महसूस कर रही थी. रुलाई फूटने से पहले उस का गला भर आया. वह बोलना चाह रही थी पर शब्द उस के गले में बर्फ की तरह जम गए थे. जमे हुए वे शब्द ही तरल हो कर जब आंखों की राह बहने लगे तो फिर उन्हें थामना मुश्किल हो गया.

अपने आंसुओं को रोकने के लिए उस ने पूरी ताकत लगा दी. वह चाह रही थी कि अपना आखिरी संवाद पूरा कहे. अक्षर उस के मस्तिष्क में पालतू कबूतरों के झुंड की तरह उड़ रहे थे. उसे महसूस हो रहा था कि वह उन्हें पकड़ सकती है पर वह बोल क्यों नहीं पा रही? बस 5-7 पंक्तियां ही तो हैं. उसे बोलना ही होगा, यह बहुत जरूरी है.

अभिनेत्री ने पूरी शिद्दत से अपनी रुलाई रोकी. एक बार जो शब्दों को हवा में उछालना शुरू किया तो फिर वह बोलती ही गई. वह समझ नहीं पा रही थी कि जो संवाद उस के लिए तय थे, वही बोल रही है या दूसरे. बस, वह बोले जा रही थी.

अपनी भूमिका समाप्त होते ही वह चित्रवत खड़ी हो गई. धीरेधीरे प्रकाश उस पर कम से कमतर होता चला गया और पूरी रंगशाला में अंधकार छा गया. वह मंच से भागी. अब वह जी भर कर रोना चाह रही थी, सचमुच रोना. दौड़ कर वह रंगमंच के पिछले हिस्से में चली गई. दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.

कुछ पल के बाद उसे लगा कि तालियों की गूंज से सारी रंगशाला हिल उठी हो. वहां बेतहाशा शोर मच रहा था और रंगमंच के परदे के पीछे की एक कोने में बैठी अभिनेत्री की आंखों का पानी रुक नहीं पा रहा था.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...