अगले हफ्ते संगीता का जन्मदिन भी आने वाला था. पिछली बार नीरज ने उसे लैदर का कोट दिलवाया था. इस बार उस ने अपनी प्रेमिका को नया मोबाइल दिलाने का वादा काफी पहले कर लिया था. करीब 30-35 हजार का यह खर्चा भी उसे उठाना था.अनुराधा की पगार के कारण उसे ऐसे फालतू खर्चों के लिए कभी बैंक में जमापूंजी में से कुछ भी कभी नहीं निकलवाना पड़ता था.
उस के अकाउंट में वैसे भी ज्यादा रुपए पिछले डेढ़दो सालों से बच नहीं रहे थे क्योंकि संगीता के ऊपर अपना बढि़या प्रभाव जमाए रखने के लिए उस ने काफी अनापशनाप खर्चा किया था.अनुराधा की पगार सिर्फ 1 महीने के लिए उसे उपलब्ध नहीं हुईर् थी और इतने कम समय में ही इन 2 खर्चों को ले कर उस का दिमाग भन्ना उठा था.संगीता से तो उस ने कुछ नहीं कहा, पर अनुराधा से वह कम खर्चा करने की जिद पकड़ कर खूब उल झा.‘‘आप तो हमेशा डंके की चोट पर कहा करते थे कि सिर्फ अपनी पगार के बलबूते पर आप सारा खर्चा आराम से उठा सकते हो.
मैं ने नौकरी करने से जुड़ी परेशानियां भी झेलीं और कभी आप के मुंह से धन्यवाद तो सुना ही नहीं, बल्कि अपमानित जरूर हुई. अब मैं ने नौकरी छोड़ दी है और रोहित व मेरे सारे खर्चे आप को उठाने ही होंगे,’’ अनुराधा ने सख्त लहजे में अपनी बात कह कर खामोशी अख्तियार कर ली.नीरज खूब चीखताचिल्लाता रहा, पर उस ने उस के साथ बहस और झगड़ा कतई नहीं किया. हार कर नीरज ने उसे रुपए दिए जरूर, पर ऐसा कर के उस ने अपनी सुखशांति गंवा दी.
पहली बार संगीता को कीमती तोहफा देना भी नीरज को खला. वह अपनी प्रेमिका से सीधेसीधे तो कुछ कह नहीं सका, पर आर्थिक कठिनाइयां उस का मूड खराब रखने लगीं.वह संगीता के सामने अपनी परेशानियों का रोना रोता. उन के बीच रोमांटिक वार्त्तालाप के बजाय बढ़ती महंगाई को ले कर चर्चा ज्यादा होने लगी. अनुराधा की हर मांग और रुपए खर्च करने का हर मौका नीरज का गुस्सा भड़का देता.‘‘सब ठीक चल सकता है, नीरज. मेरी सम झ से तुम जरूरत से ज्यादा परेशान रहने लगे हो. हर वक्त खर्चों का रोना रो कर तुम अपना और मेरा मूड खराब करना बंद करो, यार,
’’ सब्र का घड़ा भर जाने के कारण एक रात संगीता ने चिढ़ कर ये शब्द नीरज को सुना ही दिए.‘‘मेरी परेशानियों को न मेरी पत्नी सम झ रही है, न तुम,’’ नीरज ने फौरन नाराजगी प्रकट करी.‘‘तुम्हारी पत्नीका मु झे पता नहीं, पर मेरे जन्मदिन पर तुम मु झे मोबाइल मत दिलाना. उस खर्चे को बचा कर तुम्हारे चेहरे पर मुसकान लौट आए तो सौदा बुरा नहीं होगा.’’नीरज को लगा कि संगीता ने उस पर कटाक्ष किया है. उस ने चिड़ कर जवाब दिया, ‘‘मैं ने सचमुच ही गिफ्ट नहीं दिया, तो तुम्हारी मुसकान जरूर गायब हो जाएगी, मैडम.’’‘‘सुनो, नीरज,’’ संगीता ऊंची आवाज में बोली,
‘‘मैं तुम्हारे रुपए ऐंठने को तुम्हारे साथ नहीं जुड़ी हुई हूं. हमारे बीच प्रेम का संबंध न होता, तो तुम से सौ गुणा बड़ा धन्ना सेठ मैं बड़ी आसानी से फांस कर दिखा देती.’’
‘‘आईएम सौरी, डियर,’’ उस की नाराजगी व गुस्से से घबरा कर नीरज ने माफी मांगना ही बेहतर सम झा. यह बात जुदा है कि संगीता का मूड फिर उखड़ा ही रहा. नीरज ने उसे आगोश में भर का प्यार करने का प्रयास किया भी, पर उसे मजा नहीं आ रहा था.नीरज जब विदा ले कर उस के फ्लैट से निकला, तो पहली बार वह बड़बड़ा उठा था,
‘‘इन औरतों की कौम ही साली स्वार्थी होती है. इन का हंसनामुसकराना. इन का प्यार, इन की अदाएं, इन का सबकुछ रुपए से जुड़ा हुआ है.’’अनुराधा जिस दिन रोहित को ले कर अपने मामा के घर चली गई, उस के 2 दिन बाद संगीता का जन्मदिन आना था. नीरज ने शादी से सिर्फ 1 दिन पहले पहुंचने का फैसला किया था.‘‘मेरी अनुपस्थिति का गलत फायदा मत उठाना. मेरी कई सहेलियां मु झे तुम्हारी रिपोर्टदेती हैं,’’ अनुराधा ने चलते समय हलकी मुसकराहट के पीछे छिपा कर यह चेतावनी नीरज को दे डाली.‘‘मेरा मन जो कहेगा, मैं करूंगा,’’ नीरज चिड़ उठा.‘‘ऐसी बात है,
तो ठीक है मेरा मन मायके से कभी इस घर में लौटने का न हुआ, तो मेरा वह फैसला तुम भी स्वीकार कर लेना, पतिदेव.’’नीरज ने उस के स्वर की सख्ती को पहचान कर उस से आगे उल झने का इरादा त्याग दिया. गलत काम करने वाले के पास वैसे भी आंखों में आंखें डाल कर बोलने की हिम्मत नहीं होती है.
अनुराधा की अनुपस्थिति में नीरज ने रोज संगीता के फ्लैट पर जाने का कार्यक्रम बना लिया. अगले ही दिन उस ने संगीता को मोबाइल खरीदवा दिया, तो उस का मूड खुशी से खिल उठा. फिर संगीता ने अचानक 3 दिनों के लिए मनाली चलने की अपनी इच्छा उस के सामने जाहिर कर नीरज का दिल ही बैठा दिया.‘‘नहीं, यार, अभी और खर्चा करने की हिम्मत नहीं बची है,
’’ नीरज ने फौरन मनाली चलने से इनकार कर दिया था.‘‘क्रैडिट कार्ड्स हैं तो तुम्हारे पास. कुछ रुपए मैं ले चलूंगी साथ. प्लीज हां कहो न,’’ संगीता ने उस के गले में बांहें डाल कर प्यार से अनुरोध किया.‘‘मनाली चलना है तो इस ट्रिप का सारा खर्च इस बार तुम उठाओ.
मैं तुम्हें बाद में रुपए लौटा दूंगा.’’‘‘स्वीटहार्ट, क्रैडिट कार्ड…’’‘‘क्रैडिट कार्ड इमरजैंसी के लिए रखता हूं मैं. एक बार कार्ड के कर्जे में उल झा, तो निकलना मुश्किल हो जाएगा. अनुराधा की नौकरी भी अब नहीं रही.’’‘‘अब उस की नौकरी छोड़ देने का रोना मत शुरू करो, प्लीज,’’ संगीता ने बड़े नाटकीय अंदाज में हाथ जोड़ दिए.‘‘तब तुम भी मनाली जाने की जिद छोड़ दो.’’
‘‘ठीक है, अब यहीं मरेंगे दिल्ली कीगरमी में.’’‘‘यह तो हुआ नहीं कि मनाली का ट्रिप तुम फाइनैंस करने को राजी हो जाती. अरे, क्या एक बार का खर्च तुम नहीं कर सकती हो?’’‘‘कर सकती हूं, पर प्रेमिका की दौलत पर ट्रिप का आनंद उठाना क्या तुम्हारे जमीर को स्वीकार होगा?’’‘‘तुम ने यह सवाल पूछ लिया है, तो अब बिलकुल स्वीकार नहीं होगा क्योंकि तुम्हारी सोच अब मेरी सम झ में आ गई है.’’‘‘क्या सोच है मेरी?’’ संगीता के माथे में बल पड़ गए.‘‘यही कि हमारी मौजमस्ती तभी संभव है जब मेरा पर्र्स नोटों से भरा रहे.’’‘‘ऐसी बात मुंह से निकाल कर तुम मेरा अपमान कर रहे हो, नीरज. तुम मेरे चरित्र को घटिया बता रहे हो.’’‘‘अब छोड़ो भी इस बहस को और ्रचलो कोई फिल्म देख कर आते हैं,’’ परेशान नीरज ने वार्त्तालाप का विषय बदलने कीकोशिश करी.‘‘सौरी, मैं तुम्हारा 5-6 सौ का खर्चा भी नहीं कराऊंगी. वैसे भी मेरा सिर अचानक दर्द से फटने लगा है.’’‘‘तुम्हारे सिरदर्द के पीछे मनाली न जाने का मेरा फैसला है, यह बात मैं खूब सम झ रहा हूं.’’