11बजे औफिस में मोहन अपने वर्क स्टेशन पर बैठे लैपटौप पर एक रिपोर्ट बना रहे थे. औफिस बौय ने चाय उन की टेबल पर रखी. औफिस नियमों के अनुसार 11 बजे चाय टेबल पर मिलती थी. आगेपीछे पीनी हो तब कैफेटेरिया में जा कर पीनी होती है.
औफिस का टाइम सुबह साढ़े 9 बजे खुलने का है. स्टाफ भी टाइम पर आता है. कंपनी सैक्रेटरी योगेश कभी भी 11 बजे से पहले नहीं आते हैं. उस का कारण था, उन को सिर्फ नाम के लिए रखा गया था. कंपनी ऐक्ट के मुताबिक एक चार्टर्ड सैक्रेटरी होना जरूरी है. नाममात्र का काम होता है, सारा दिन खाली बैठ कर स्टाफ के साथ, कभी किसी के साथ तो कभी किसी के साथ गप्पें ठोंकता रहता है.
मोहन फाइनैंस और टैक्स का काम देखते हैं और एक वर्क स्टेशन छोड़ कर बैठते थे. 11 बजे योगेश औफिस आए, कुछ थके हुए. अपनी कुरसी पर पसर गए. डैस्कटौप को खोला. औफिस बौय ने चाय उन के सामने रखी. अनिरुद्ध तो आईटी डिपार्टमैंट में कार्यरत थे, योगेश से बहुत मित्रता थी. मित्रता का मुख्य कारण कंप्यूटर पर आई दिक्कत को दूर कराना और फिर बोतल की यारी, जो सब से पक्की यारी होती है. अनिरुद्ध टहलते हुए आया और योगेश के पास टहलते हुए बैठ गया. ‘‘और पाजी, आज ढीले लग रहे हो?’’ ‘‘यार क्या बताएं तु?ा को रात की बात. हम ने बेगम को और बेगम ने हमें सोने नहीं दिया.’’ ‘‘छुट्टी कर लेते, यहां कौन सा काम पड़ा है. मालिक विदेश यात्रा पर 1 हफ्ते के लिए निकल गए. अब तो औफिस में मौज ही मौज है.’’ ‘‘अबे क्या बात कर रहा है, उस ने तो 3 दिन बाद जाना था.’’ ‘‘प्रोग्राम बदल गया, कल रात को निकल गए.’’