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उन की जिज्ञासा उन्हें कानपुर खींच ले गई. उन्होंने अस्पताल से सारी रिपोर्टें निकलवाईं, परंतु व्यर्थ. रिकौर्ड में तो एक ही बच्चा हुआ लिखा था. थोड़ी देर बाद उन्होंने सोचा, क्यों न नलिनी का रिकौर्ड देख लिया जाए. पहले तो अस्पताल के कर्मियों ने इनकार कर दिया परंतु डा. प्रशांत को वहां के डा. मल्होत्रा बहुत अच्छी तरह जानते थे. उन्होंने कहसुन कर नलिनी का रिकौर्ड निकलवा दिया.

विपुला के 2 जुड़वां बच्चे होने का रिकौर्ड था. साथ में यह भी लिखा था कि एक ही नाल से दोनों बच्चे जुड़े थे. उन्होंने देखा, वजन के स्थान पर एक बच्चे का वजन स्वस्थ बच्चे के वजन के बराबर काट कर लिखा गया था. यह बात वह समझ न सके कि आखिर एक ही नाल से जुड़े बच्चों के वजन में इतनी असमानता कैसे? जबकि जुड़वां बच्चों का वजन जन्म के समय एक स्वस्थ बच्चे जितना नहीं होता. ऊपर से लड़के का वजन काट कर लिखा हुआ था. यही नहीं, मात्रा भी कटी थी, मानो भूल से लड़की लिख दिया गया हो.

उन्होंने फिर अपनी फाइल देखी. कहीं कुछ कटापिटा नहीं था. इतना उन के दिमाग में दौड़ा भी नहीं कि बेटा को बेटी करने में या लड़का को लड़की करने में कहीं काटनेपीटने की जरूरत ही नहीं पड़ती. वे चुपचाप घर लौट आए.

पहेली हल नहीं हुई थी. यदि ज्योति नलिनी की बहन थी तो उन का बच्चा कौन था? वह कहां गया? उन की उत्सुकता इतनी तीव्र थी कि वे रातदिन सोचते ही रहते. नलिनी ज्योति से मिलने अकसर आ जाती. उसे बड़ा आनंद आता जब डा. प्रशांत उन दोनों के साथ गपशप में व्यस्त हो जाते.

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