Family Story in Hindi: परिवार हमारी लाइफ का सबसे जरुरी हिस्सा है, जो हर सुख-दुख में आपका सपोर्ट सिस्टम बनती है. साथ ही बिना किसी के स्वार्थ के आपका परिवार साथ खड़ा रहता है. इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आये हैं गृहशोभा की 10 Best Family Story in Hindi. रिश्तों से जुड़ी दिलचस्प कहानियां, जो आपके दिल को छू लेगी. इन Family Story से आपको कई तरह की सीख मिलेगी. जो आपके रिश्ते को और भी मजबूत करेगी. तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने के शौक तो पढ़िए Grihshobha की Best Family Story in Hindi 2022.
1. सुबह अभी हुई नहीं थी: आखिर दीदी को क्या बताना चाहती थी मीनल
अपनी बङी दीदी को मीनल कुछ बताना चाहती थी, मगर फोन में मैसेज लिख चुकने के बाद भी वह सालों से उसे पढ़ तो लेती, पर भेजने का साहस नहीं जुटा पा रही थी. आखिर क्यों…
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2. ध्रुवा: क्या आकाश के माता-पिता को वापस मिला बेटा
आकाश के मातापिता, जो बेटे को खो कर अपने लिए जीने की वजह खो चुके थे, उस कागज के टुकड़े को पढ़ते ही दौड़ कर बाहर आए. ध्रुवा को घर के अंदर लेते वक्त सभी ने आकाश को अपने आसपास महसूस किया जैसे उन का बेटा लौट आया हो.
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3. हमारे यहां ऐसा नहीं होता: धरा की सास को क्यों रहना पड़ा चुप
घर में नई बहू धारा ने आ कर परंपरावादी सास सुधा का दिल जीत ही लिया. परंतु बहू में ऐसा कौन सा गुण था, जिस से सास भी अछूती न रह सकी? हर वक्त हमारे यहां तो ऐसा नहीं होता है, पर तुम्हारे यहां… सास की हिदायत सुन बहू धारा तर्क करती तो सास को क्यों चुप रहना पड़
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4. मां का बटुआ: कुछ बातें बाद में ही समझ आती हैं
कुछ बातें एक उम्र गुजर जाने के बाद ही समझ में आती हैं. मां की हर बात का फलसफा मुझे अब समझ आने लगा है. क्या करूं मां बन कर, सोचना जो आ गया है.
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5. चक्रव्यूह भेदन : वान्या क्यों सोचती थी कि उसकी नौकरी से घर में बरकत थी
वान्या सोचती थी कि उस की नौकरी से घर में बरकत थी. लेकिन असलियत जान कर उसे अपने निर्णय पर गर्व क्यों हो आया?
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6. वह बेमौत नहीं मरता: एक कठोर मां ने कैसे ले ली बेटे की जान
बड़बड़ा रही थीं 80 साल की अम्मां. सुबहसुबह उठ कर बड़बड़ करना उन की रोज की आदत है, ‘‘हमारे घर में नहीं बनती यह दाल वाली रोटी, हमारे घर में यह नहीं चलता, हमारे घर में वह नहीं किया जाता.’’ सुबह 4 बजे उठ जाती हैं अम्मां, पूजापाठ, हवनमंत्र, सब के खाने में रोकटोक, सोनेजागने पर रोकटोक, सब के जीने के स्तर पर रोकटोक. पड़ोस में रहती हूं न मैं, और मेरी खिड़की उन के आंगन में खुलती है, इसलिए न चाहते हुए भी सारी की सारी बातें मेरे कान में पड़ती रहती हैं….
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7. सहारा: कौन बना अर्चना के बुढ़ापे क सहारा
रजनीश सिगरेट फूंकता हुआ फुटपाथ पर खड़ा नजरें इधरउधर दौड़ा रहा था कि अचानक एक महिला को एक दुकान से निकलता देख चौंक पड़ा, ‘अर्चना?’ हां, यह अर्चना ही तो है. वही चेहरामोहरा, वही चालढाल…’ वह खुद से बुदबुदाया और अनायास ही उस की ओर बढ़ गया.
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8. मेरा घर: बेटे आरव को लेकर रंगोली क्यों भटक रही थी
पति का घर पति का होता है, मम्मीपापा का घर मम्मीपापा का. रंगोली का तो कोई घर ही नहीं. पुत्र आरव को ले कर वह कहां रहे? सहेली अतिका ने एक सुझाव दिया जिस को मान उस ने फैसला कर लिया.
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9. आखिरी प्यादा: क्या थी मुग्धा की कहानी
सायरन बजाती हुई एक एम्बुलेंस अस्पताल की ओर दौड़ पड़ी. वहां की औपचारिकताएं पूरी करने में दोतीन घंटे लग गए थे. सारी कार्यवाही कर जब वे वापस आए तब घर में केवल राघव और मैं थे. राघव और ‘मैं’ यानी पड़ोसी कह लीजिए या दोस्त, हम दोनों का व्यवसाय एक था और पारिवारिक रिश्ते भी काफी अच्छे थे. हम सब मित्रों की संवेदनाएं राघव के साथ थीं कि इस उम्र में पत्नी मुग्धा जी मानसिक असंतुलन खो बैठी हैं और उन्हें अस्पताल में भरती करवाना पड़ा था.
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10.संबंध : भैया-भाभी के लिए क्या रीना की सोच बदल पाई?
जिस भाभी के लिए रीना के मन के किसी कोने से अस्फुट सी एक आवाज उठती थी कि वे इस दुनिया से चली जाएं और भैया का जीवन बंधनों से मुक्त हो जाए…