जब निशानिका दंपती ने पार्टी में प्रवेश किया, तो पार्टी के मेजबान शांतलू ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘समय से पहले ही आ गए तुम लोग.’’
निशानिका ने अनायास कहने की कोशिश की, ‘‘हम लोगों ने सोचा कि ...’’
शांतलू ने उसे बीच में ही काट दिया, ‘‘ठीक है, कोई बात नहीं. बिलकुल सही किया तुम ने. सभी दोस्त मदद करने में लगे हैं.’’
पार्टी शांतलू के घर के पिछवाड़े के आंगन में थी, जो बहुत बड़ा था. घर से आंगन में प्रवेश करने के दरवाजे पर नीले रंग के गुब्बारों का झंड लगा था. ऐसे ही नीले रंग के गुब्बारों के सैट
2-3 और जगहों पर लगे थे. बच्चों के खेलने के लिए कृत्रिम फिसल पट्टी रखी हुई थी. शांतलू के 2 दोस्त स्टेज बना रहे थे, जिन पर उन्होंने माइक्रोफोन रखने का इंतजाम किया था. शायद कोई गीत गाएगा या फिर पार्टी में तरहतरह की घोषणाएं की जाएंगी. बीचबीच में प्लास्टिक की मेजें और कुरसियां रखी हुई थीं. एक जगह पर भोजन की बडी टेबल व्यवस्थित की जा रही थी. पानी का बड़ा पारदर्शी कनस्तर इस टेबल के एक कोने पर रखा था.
शांतलू का एक मित्र, जेवन अपनी एक बच्ची के बाल ठीक कर रहा था. उस की दूसरी बच्ची आंगन में टेबलों के चारों ओर दौड़दौड़ कर चक्कर लगा रही थी. इक्कादुक्का और बच्चे दिख रहे थे. वे शायद स्टेज सजाने वाले मित्रों के बच्चे थे.
शांतलू स्वयं डैकोरेशन की ?िल्लियां लगा रहा था. उस ने ?िल्लियों को नीचे रखते हुए वेकाश सुमेरा से कहा, ‘‘अब वेकाश आ ही गया है तो वही इन ?िल्लियों को लगाएगा.’’