मातापिता के ऊपर गाज गिर पड़ी. निशानिका की मां ने आश्चर्य में पूछा, ‘‘लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? हम लोग तो पूरा समय बच्चे के साथ रहते हैं. हमें तो संक्रमण न था जो बच्चे को हम से हुआ हो और न ही हमें बच्चे से हुआ है.’’
नर्स का प्रत्युत्तर सुन वे हैरान रह गए, ‘‘आप लोगों ने वैक्सीन लगाई हुई है. आप ने बच्चे को वैक्सीन लगाना उचित नहीं समझ.’’
मांबाप दोनों अपनाअपना सिर पकड़ कर वहीं अस्पताल की बैंच पर बैठ गए.
नर्स ने तुरंत कहा, ‘‘आप लोगों को फौरन उन सभी व्यक्तियों को सूचित करना होगा जिन के संपर्क में यह बच्चा आया है.’’
बच्चे की आगे की जिंदगी के लिए यह कितना घातक साबित होगा, यह बात तीनों को ही पता थी. क्या उस नन्ही सी जान के फेफड़े वायरस के इस आतंकी हमले को झेल पाएंगे?
वेकाश ने नर्स से पूछा, ‘‘दवाई कौन सी दे रहे हैं?’’
नर्स ने कहा, ‘‘सिर्फ बुखार की वरना संक्रमण जब तक पूरा अपनेआप ही नहीं चला जाता तब तक जबरदस्ती दवा देते रहने से कोई लाभ नहीं है.’’
शायद यह सुन कर दोनों को थोड़ी राहत मिली कि बच्चे पर दवा की बमबारी नहीं होगी.
नर्स ने आगे कहा, ‘‘संक्रमण की प्रगति देखने के लिए बच्चे को कुछ दिनों के लिए औब्जर्वेशन में रखना पड़ेगा.’’
शाम को बुझे हुए चेहरों से जब दोनों अपने घर पहुंचे, तो निशानिका ने सभी को व्हाट्सऐप पर सूचित कर दिया कि निशांधेता को कोरोना टैस्टिंग में पौजिटिव पाया गया है. उस ने विशेष कर उन सभी मेहमानों को सूचित करना उचित समझ जो फैंसी ड्रैस पार्टी में आए थे. तुरंत सांत्वना के संदेशों की भरमार लग गई, ‘सुन कर बहुत दुख हुआ,’ ‘बड़े अफसोस की बात है,’ ‘इतने नन्हे से बच्चे को ऐसे कैसे हो गया?,’ ‘तुम लोग तो ठीक हो?’