नीचे से साची की चहकती हुई आवाज आई, मैं झट से सीढ़ियां उतरती हुई बोली, “क्या हो गया, इतनी खुश क्यों लग रही है? मम्मी पापा बाहर जा रहे हैं क्या?’’
मेरी इस बात पर मम्मी ने मुझे घूर कर देखा तो मैं हंस दी. साची ने मुझे इशारा किया कि ऊपर तेरे रूम में ही चलते हैं. मैं ने कहा, आ जा, साची, मेरे रूम में ही बैठते हैं, मम्मी यहां स्कूल का रजिस्टर खोल कर बैठी हैं, उन्हें डिस्टर्ब होगा.’’
पर मम्मी तो मम्मी हैं, ऊपर से टीचर. मेरे जैसी पता नहीं कितनी लड़कियों से दिनभर स्कूल में निबटती हैं, बोलीं, “नैना, आ जाओ, यहीं बैठ जाओ, कुछ डिस्टर्ब नहीं होगा.’’
“हम ऊपर ही जाते हैं,’’ कह कर मैं साची को अपने रूम में ले गई. मैं ने कहा, “चल बोल, आज सुबहसुबह 10 बजे कैसे आई?’’
साची ने थोड़ा ड्रामा करते हुए गुनगुनाया, “चलो रे डोली उठाओ कहार, पिया मिलन की रुत आई...’’
मैं ने उस की कमर पर एक धौल जमाया, बकवास नहीं, जल्दी बताओ.’’
“वह जो पिछले हफ्ते लड़के वाले देखने आए थे न, उन्होंने हां कर दी है और वे शादी भी जल्दी करना चाह रहे हैं. वही ध्रुव, जो मुझे देखते ही पसंद आ गया था. हाय, क्या बताऊं कितनी ख़ुशी हो रही है.’’
“अरे वाह, मुबारक हो, मुबारक हो,’’ कहते हुए मैं ने उसे गले से लगा तो लिया पर मैं मन ही मन जल मरी. देखो तो, कैसी खुश हो रही है, हाय, इस की भी शादी हो रही है. एकएक कर के सब ससुराल चली जा रही हैं और मैं क्या इन की शादियों में बस नाचती रह जाऊंगी. दुख से मुझे रोना आ गया, मेरे आंसू सच में बह निकले जिन्हें देख कर वह चौंकी, बचपन की सहेली है नालायक, सारी खुराफातें साथ ही तो की हैं, एकदूसरे की नसनस तो जानती हैं हम, बोली, “क्या हुआ नैना, फिर वैसी ही जलन हो रही है जैसे हमें अब तक अपनी दूसरी सहेलियों की शादी होते देख होती है?’’