जिस दादी अम्मा के साए में घर और बच्चों को सुरक्षित समझते हुए बेटे और बहुएं अपनेआप में मगन थे, आज उसी दादी अम्मा के चले जाने के बाद घर के लोगों को पछतावा हो रहा था.