4 शादियां कर के सईद मास्साब ने अपनी जिंदगी को रंगीन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन अपनी मनमरजी पर जीने वाले मास्साब भूल गए थे कि खुदगर्जी की सजा उन्हें कभी न कभी तो भुगतनी ही पड़ेगी.