7 बज चुके थे. मिशैल के आने में अभी 1 घंटा बचा था. मैं ने अपनी मनपसंद कौफी बनाई और जूते उतार कर आराम से सोफे पर लेट गया. मैं ने टेलीविजन चलाया और एक के बाद एक कई चैनल बदले पर मेरी पसंद का कोई भी प्रोग्राम नहीं आ रहा था. परेशान हो टीवी बंद कर अखबार पढ़ने लगा. यह मेरा रोज का कार्यक्रम था. मिशैल के आने के बाद ही हम खाने का प्रोग्राम बनाते थे. जब कभी उसे अस्पताल से देर हो जाती, मैं चिप्स और जूस पी कर सो जाता. मैं यहां एक मल्टीस्टोर में सेल्समैन था और मिशैल सिटी अस्पताल में नर्स.
दरवाजा खुलने के साथ ही मेरी तंद्रा टूटी. मिशैल ने अपना पर्स दरवाजे के पास बने काउंटर पर रखा और मेरे पास पीछे से गले में बांहें डाल कर बोली, ‘‘बहुत थके हुए लग रहे हो.’’
‘‘हां,’’ मैं ने अंगड़ाई लेते हुए कहा, ‘‘वीकएंड के कारण सारा दिन व्यस्त रहा,’’ फिर उस की तरफ प्यार से देखते हुए पूछा, ‘‘तुम कैसी हो?’’
‘‘ठीक हूं. मैं भी अपने लिए कौफी बना कर लाती हूं,’’ कह कर वह किचन में जातेजाते पूछने लगी, ‘‘मेरे कौफी बींस लाए हो या आज भी भूल गए.’’
‘‘ओह मिशैल, आई एम रियली सौरी. मैं आज भी भूल गया. स्टोर बंद होने के समय मुझे बहुत काम होता है. फूड डिपार्टमेंट में जा नहीं सका.’’
3 दिन से लगातार मिशैल के कहने के बावजूद मैं उस की कौफी नहीं ला सका था. मैं ने उसी समय उठ कर जूते पहने और कहा, ‘‘मैं अभी सामने की दुकान से ला देता हूं, वह तो खुली होगी.’’