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‘‘बताओ न हर्ष, तुम मुझ से कितना प्यार करते हो?’’

‘‘पीहू, रोजरोज यह सवाल पूछ कर क्या तुम मेरा प्यार नापती हो,’’ हर्ष ने पीहू की आंखों में आंखें डाल कर जवाब दिया.

‘‘यस मिस्टर, मैं देखना चाहती हूं कि जैसेजैसे हमारी रोज की मुलाकातें बढ़ती जा रही हैं वैसेवैसे मेरे लिए तुम्हारा प्यार कितना बढ़ रहा है.’’

‘‘क्या तुम्हें नजर नहीं आता कि मैं तुम्हारे लिए पागल हुआ रहता हूं. तुम्हारे ही बारे में सोचता रहता हूं. अब तो यारदोस्त भी कहने लगे हैं कि तू पहले वाला हर्ष नहीं रहा. कुछ तो बात है. पहले तो तू व्हाट्सऐप ग्रुप में सब के साथ कितना ऐक्टिव रहता था. इंस्टाग्राम पर रोज तेरी स्टोरी होती थी.’’

‘‘तो तुम उन्हें क्या जवाब देते हो?’’ पीहू हर्ष के बालों में उंगलियां फेरते

हुए बोली.

हर्ष ने पीहू की कमर में हाथ डाला और उसे अपने और करीब लाते हुए बोला, ‘‘क्या जवाब दूं कि आजकल मेरे ध्यान में, बस, कोई एक छाई रहती है, जिस की कालीकाली आंखों ने मुझे दीवाना बना दिया है. जिस की हर अदा मुझे मदहोश कर देती है. अब तुम्हारा दोस्त किसी काम का नहीं रहा.’’

हर्ष का यह फिल्मी अंदाज पीहू के मन को गुदगुदा गया. हर्ष की ये प्यारभरी बातें उसे बहुत भातीं. मन करता था कि वह उस की तारीफ करता रहे और वह सुनती रहे. एक अजीब से एहसास से सराबोर हो जाता था उस का तनमन.

वाकई हर्ष ने उस की जिंदगी में आ कर उसे जीने का नया अंदाज सिखा दिया था. जिंदादिल, दूसरों की मदद करने में हमेशा आगे, दोस्तों का चहेता, दिल से रोमांटिक, स्मार्ट, इंटैलिजैंट, कितनी खूबियां हैं उस में. बहुत खुशनसीब समझती है वह अपनेआप को कि हर्ष जैसा लवर उसे मिला.

वह अकसर सीमा को थैंक्यू कहती है कि उस दिन उस ने घर में बोर होती उसे मौल घूमने का आइडिया दिया था. तभी तो हर्ष उस की जिंदगी में आया था. कुछ महीने पहले की बात है…

‘यार पीहू, मैं तेरे साथ चलती लेकिन पापा टूर पर गए हैं और मम्मी को ले कर डाक्टर के पास जाना है,’ सीमा ने अपनी मजबूरी जताई.

‘कोई बात नहीं, टेक केयर औफ आंटी. वैसे, तेरा आइडिया बुरा नहीं है कि मौल में शौपिंग करो क्या फर्क पड़ता है, अकेले हैं या किसी के साथ.’

‘वही तो, अब जल्दी तैयार हो जा. कुछ अच्छा दिखे तो मेरे लिए भी ले लेना. समझी,’ सीमा हंसते हुए बोली.

‘हां, बस, तू पहले अपना शुरू कर दे, फैशन की मारी,’ पीहू ने सीमा की टांग खींची और ‘बाय’ कह कर फटाफट तैयार हो कर अपनी कार स्टार्ट की व मौल की तरफ गाड़ी मोड़ दी.

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गाड़ी चलाते हुए अचानक उसे ध्यान आया कि शायद पर्स में कैश तो है ही नहीं. डैबिट कार्ड तो दोदो रखे थे लेकिन कैश तो होना ही चाहिए. ‘कोई बात नहीं एटीएम से निकाल लेती हूं,’ सोचते हुए एक एटीएम के आगे गाड़ी रोक दी. एटीएम के अंदर गई. नई एटीएम मशीन थी, टच स्क्रीन थी. पीहू ने 2 बार ट्राई किया लेकिन ट्रांजैक्शन नहीं हो पाया.

‘उफ, अब क्या करूं’ सोचतेसोचते उस ने एटीएम का दरवाजा जैसे ही खोला वैसे ही एक लड़का उस से ‘एक्सक्यूज मी’ कहता हुआ फटाफट अंदर घुस गया.

पीहू ने बाहर से ही देखा. लड़का बड़ा ही स्मार्टली मशीन औपरेट कर रहा था और उस ने कैश भी निकाल लिया.

‘क्यों न इस से मदद ले लूं,’ वह अभी सोच ही रही थी कि वह लड़का एटीएम से बाहर निकल कर अपनी बाइक पर बैठ गया.

‘एक्सक्यूज मी, कैन यू डू मी अ फेवर, आप जरा देखेंगे. मेरा ट्रांजैक्शन नहीं हो रहा है.’

‘ओह श्योर, चलिए,’ लड़के ने कहा.

पीहू ने उसे अपना कार्ड पकड़ाया तो वह बोला, ‘मैडम, इस तरह किसी को अपना कार्ड नहीं देते.’

‘यू आर राइट. लेकिन आप मुझे शरीफ लगते हैं, इसलिए आप पर भरोसा कर रही हूं,’ पीहू भी जवाब देने में पीछे नहीं रही.

लड़का मुसकरा पड़ा. फिलहाल उस लड़के की मदद से कैश उस के हाथ में आ गया और उसे ‘थैंक्स’ बोल कर वह जल्दी से अपनी गाड़ी में बैठ कर मौल की पार्किंग की तरफ निकल पड़ी व सीधा वहीं जा कर गाड़ी रोकी.

मौल में खासी रौनक थी. पीहू को वहां बहुत अच्छा महसूस हो रहा था. लोगों की चहलपहल, खूबसूरत शोरूम, फूडकोर्ट से आती तरहतरह की डिशेज की महक, सब उसे बेहद पसंद था. पीहू ने पहले शौपर्स स्टौप से अपने लिए टीशर्ट ली. एक सीमा के लिए भी ले ली, वरना ताने देदे कर वह उस की जान खा जाती.

शौपिंग करतेकरते और घूमते हुए फूडकोर्ट तक पहुंच गई तो भला अपनी पसंदीदा कोल्ड कौफी विद आइसक्रीम कैसे न लेती.

कौफी हाथ में लिए वह बैठने के लिए खाली टेबल देखने लगी. कोने में एक छोटी टेबल खाली थी. पीहू फटाफट वहां जा कर बैठ गई. इत्मीनान से कौफी का मजा लेने लगी.

‘हाय, इफ यू डोंट माइंड, मे आइ सिट हियर?’ आवाज सुन कर पीहू ने मुंह ऊपर उठाया तो वही लड़का हाथ में अपनी ट्रे लिए खड़ा था.

‘ओह, यू. प्लीज. आप को भी मौल आना था?’ पीहू को उस लड़के को देख कर न जाने कुछ अच्छा सा लगा.

‘मैं ने तो आप को शौपिंग करते हुए भी देखा था,’ उस लड़के के मुंह से अचानक निकल गया तो पीहू हलका सा हंस दी और वह लड़का कुछ झेंप सा गया.

‘अच्छा, तो फिर मेरा पीछा करते हुए आप यहां आए हैं?’ पीहू को उस लड़के से बात करना अच्छा लग रहा था.

‘मैडम, मैं शरीफ लड़का हूं, और आप ने खुद यह बात कही थी,’ वह लड़का भोला सा मुंह बनाते हुए बोला.

‘आई एम जस्ट किडिंग, आप तो सीरियस हो गए. एनी वे आई एम पीहू.’

‘पीहू मल्होत्रा, डैबिट कार्ड पर पढ़ लिया था,’ उस लड़के के मुंह से फिर निकला तो पीहू इस बार जोर से हंस पड़ी.

इस बार वह लड़का भी हंस दिया और बोला, ‘हर्ष, हर्ष नाम है मेरा. जनकपुरी में रहता हूं. एमबीए इसी साल कंप्लीट किया और पिछले महीने ही हिताची कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर की पोस्ट मिली है और…’

‘अरे बसबस, तुम तो अपना पूरा प्रोफाइल बताने लगे.’

इस तरह दोनों के बीच बातों का सिलसिला चल पड़ा. पीहू की कौफी खत्म हो गई तो वह बोली, ‘अच्छा हर्ष, अच्छा लगा तुम से मिल कर.’

‘सेम हियर. प्लीज कीप इन टच,’ हर्ष पीहू को गहरी नजरों से देखता हुआ बोला.

पीहू ने कुछ जवाब नहीं दिया. बस, मुसकरा भर दी.

घर पहुंचतेपहुंचते 8 बज गए थे. जैसे ही घर पहुंची, मम्मी ने प्रश्नों की झड़ी लगा दी, ‘कहां, क्यों, किस के साथ, अचानक कैसे, क्या खरीदा?’

‘मम्मी प्लीज, मैं बहुत थक गई हूं. भूख बिलकुल नहीं है, इसलिए डिनर नहीं करूंगी. बस, चेंज कर के मैं सोने जा रही हूं.’

‘लेकिन बेटा, कुछ तो खा ले. तेरा मनपसंद पुलाव बनाया है,’ रेखा मनुहार करती पीहू से बोली.

‘अच्छा, थोड़ी देर बाद भूख लगी, तो खा लूंगी, पर अभी मुझे रैस्ट करने दो.’

‘बड़ी अजीब लड़की है. कभी भी, कहीं भी चल देती है. बड़ी जल्दी बोर हो जाती है. हमेशा लोगों के बीच रहना चाहती है. अब जब फैमिली ही छोटी है तो क्या करूं,’ रेखा मन ही मन बुदबुदाती रही.

मम्मी रेखा और पापा विनय की इकलौती संतान है पीहू. दिल्ली के कीर्तिनगर बाजार में फर्नीचर का अच्छा शोरूम है उन का. कीर्तिनगर में ही 300 गज की दोमंजिली कोठी है उन की. कुल मिला कर पीहू अमीरी में पलीबढ़ी है. सारे ऐशोआराम मिले हैं उसे. मम्मीपापा की तो जान है वह.

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पीहू पढ़ाईलिखाई में ठीकठाक थी. रचनात्मकता की उस में कमी नहीं थी. इसलिए स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए के बाद जेडी इंस्टिट्यूट औफ फैशन टैक्नोलौजी से उस ने 2 साल का इंटीरियर डिजाइन का पीजी डिप्लोमा किया.

पीहू ने कई बड़ी कंपनियों में अपना सीवी पोस्ट किया था. अगले हफ्ते के लिए उसे गुरुग्राम स्थित एक बड़ी फर्म से इंटरव्यू कौल आई हुई थी. पीहू ने अभी तक तय नहीं किया कि वह जाएगी भी या नहीं.

खैर, पीहू ने अपने कमरे में आ कर कपड़े चेंज किए और बैड पर लेट गई. सच में, मौल घूम कर वह काफी थक गई थी. पता नहीं क्यों उस की आंखों के आगे बारबार हर्ष का चेहरा आ रहा था. थकावट के मारे नींद नहीं आ रही थी. वह उठ कर बैठ गई और अपना मोबाइल चैक करने लगी. मोबाइल पर ही फेसबुक देखने लगी. हर्ष ने फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजी हुई थी. पीहू ने झट एक्सैप्ट कर ली. उस के बाद वह मोबाइल साइड में रख कर सो गई.

आगे पढें- घर लौटते हुए उस के पांव जमीं पर…

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