सुबह के 7 बजे थे, गूंज औफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी कि मां के फोन ने उस का मूड खराब कर दिया,"गूंज बिटिया, मुझे माफ कर दो...मेरी हड्डी टूट गई है..."

"बीना को दीजिए फोन...," गूंज परेशान सा बोली. ‘’बीना क्या हुआ मां को?"

“दीदी, मांजी बाथरूम में गिर कर बेहोश हो गई थीं. मैं ने गार्ड को बुलाया और किशोर अंकल भी आ गए थे. किसी तरह बैड पर लिटा दिया लेकिन वे बहुत जोरजोर से रो रहीं हैं. सब लोग होस्पिटल ले जाने को बोल रहे हैं. शायद फ्रैक्चर हुआ है. किशोर अंकल आप को फोन करने के लिए बोल रहे थे."

“बीना, मैं डाक्टर को फोन कर देती हूं. वह देख कर जो बताएंगे फिर देखती हूं...’’

गूंज ने अपने फैमिली डाक्टर को फोन किया और औफिस आ गई. उसे मालूम हो गया था कि मां को हिप बोन में फ्रैक्चर हुआ है, इसी वजह से वे परेशान थीं. उसे अब काफी चिंता होने लगी थी.

किशोर अंकल ने ऐंबुलैंस बुला कर उन्हें नर्सिंगहोम में ऐडमिट करवा दिया था. इतनी देर से लगातार फोन से सब से बात करने से काम तो हो गया, लेकिन बीना है कि बारबार फोन कर के कह रही है कि मां बहुत रो रही हैं और एक बार आने को बोल रही हैं.

“गूंज, किस का फोन है जो तुम बारबार फोन कट कर रही हो?’’ पार्थ ने पूछा. पार्थ उस के साथ उसी के औफिस में काम करता है और अच्छा दोस्त है.

एक ही कंपनी में काम करतेकरते दोनों के बीच घनिष्ठता बढ़ गई थी. फिर दोनों कब आपस में अपने सुखदुख साझा करने लगे थे, यह पता ही नहीं लगा था.

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