Raksha Bandhan: कच्ची धूप-कैसे हुआ सुधा को गलती का एहसास
सुधा के सिर पर अपनी ससुराल की धनदौलत और रुतबे का ऐसा नशा चढ़ा था कि अब मायके की हैसियत उस के लिए दो कौड़ी की रह गई थी, लेकिन वह भूल गई कि जरूरत पड़ने पर पैसा ही नहीं, अपनों के मदद भरा हाथ भी चाहिए.