हम 4 एक ही छत के नीचे रहने वाले लोग एकदूसरे से इतने अजनबी कि अपनेअपने खोल में सिमटे हुए हैं.

मैं रश्मि हूं. इस घर की सब से बड़ी बेटी. मैं ने अपने जीवन के 35 वसंत देख डाले हैं. मेरे जीवन में सब कुछ सामान्य गति से ही चलता रहता यदि आज उन्होंने जीवन के इस ठहरे पानी में कंकड़ न डाला होता.

मैं सोचती हूं, क्या मिलता है लोगों को इस तरह दूसरे को परेशान करने में. मैं ने तो आज तक कभी यह जानने की जरूरत नहीं समझी कि पड़ोसी क्या कर रहे हैं. पड़ोसी तो दूर अपनी सगी भाभी क्या कर रही हैं, यह तक जानने की कोशिश नहीं की लेकिन आज मेरे मिनटमिनट का हिसाब रखा जा रहा है. मेरा कुसूर क्या है? केवल यही न कि मैं अविवाहिता हूं. क्या यह इतना बड़ा गुनाह है कि मेरे बारे में बातचीत करते हुए सब निर्मम हो जाते हैं.

अभी कल की ही बात है. मकान मालकिन की बहू, जिसे मैं सगी भाभी जैसा सम्मान देती हूं, मेरी नईनवेली भाभी से कह रही थी, ‘‘देखो जलज, जरा अपनी बड़ी ननद से सावधान रहना. जब तुम और प्रतुल कमरे में होते हो तो उस के कान उधर ही लगे रहते हैं. मुझे तो लगता है कि वह ताकझांक भी करती होगी. अरी बहन, बड़ी उम्र तक शादी नहीं होगी तो क्या होगा, मन तो करता ही होगा...’’  कह कर वह जोर से हंस दी.

मैं नहीं सुन पाई कि मेरी इकलौती भाभी, जिस ने अभी मुझे जानासमझा ही कितना है, ने क्या कहा. पर मेरे लिए तो यह डूब मरने की बात है. मैं क्या इतनी फूहड़ हूं कि अपने भाई और भाभी के कमरे में झांकती फिरूंगी, उन की बातें सुनूंगी. मुझे मर जाना चाहिए. धरती पर बोझ बन कर रहने से क्या फायदा?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 24 प्रिंट मैगजीन
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...