बहुत देर से ऐसी अस्तव्यस्त गतिविधियों को देख रही हूं. वे शीशे की मेज पर पेपरवेट नचा रही हैं. कभी पिनकुशन से पिन निकाल कर नाखूनों का मैल साफ करती हैं. अब नाखून ही कुतरना शुरू कर दिया. हैरानी होती है. होनी ठीक भी है. कोई और ऐसे करे तो समझ भी आए. ये सब बातें कोई संसार का 8वां आश्चर्य नहीं. अकसर लोग करते हैं. पर माधवीलता ऐसा करेंगी, यह नहीं सोचा जा सकता. फिर जब उन्होंने शून्य में ताकते हुए उंगली नाक में डाल कर घुमानी शुरू की तो सचमुच हैरानी अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई. ऐसी असभ्य, अशिष्ट हरकत माधवीलता तो कतई नहीं कर सकतीं.
माधवीलता हमारे कार्यालय में निदेशिका हैं. सुशिक्षित, उच्च अधिकारी. पति भी भारत सरकार में उच्चाधिकारी हैं. सुखी, संपन्न, सद्गृहस्थ. अब उम्र हो चली है, पर अभी खंडहर नहीं हुईं. उम्र 50-52 के करीब. बालों में सफेदी की झलक है, जिसे उन्होंने काला करने की कोशिश नहीं की. वे सुंदर हैं. अच्छी कदकाठी की हैं. पहननेओढ़ने का सलीका है उन में.
वे माथे पर बिंदी सजाती हैं. मांग में सिंदूर की हलकी सी छुअन. कार स्वयं चला कर आती हैं. 2 बच्चे हैं. बेटा आईपीएस में चुना गया है और आजकल प्रशिक्षण पर है. बेटी की हाल ही में धनीमानी व्यापारी परिवार में शादी की है. लड़का इकलौता है. उस के मांबाप अशिक्षित, आढ़तिए नहीं हैं, खूब पढ़ेलिखे हैं.
व्यापारी वर्ग के लोग भी अब जब बहू की तलाश करते हैं तो सुंदर, सुशील, कौनवैंट में पढ़ी, भले घर की कन्या चाहते हैं. व्यापारी घराने की न हो तो उच्च अधिकारी परिवार की कन्या की जोड़ी भी ठीक मानी जाती है. शायद सोचते होंगे कि सरकारी अधिकारी रिश्तेदार हो तो शायद कुछ न कुछ सरकारी काम निकाल सकें.
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