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‘‘मैं पाली को 4 सालों से जानता हूं. पूरे कैंपस में उस जैसी लड़की मु?ो कहीं नहीं दिखाई दी. मैं उस से बहुत प्यार करता हूं लेकिन वह मेरी किसी बात का जवाब नहीं देती. मैं क्या वह किसी से भी बात करना पसंद नहीं करती. परेशान हो कर मैं उस के बारे में जानने के लिए यहां आया हूं.’’

‘‘दी घर पर भी किसी से ज्यादा बात करना पसंद नहीं करती. मैं ही दी से बात करती रहती हूं इसीलिए मु?ा से थोड़ीबहुत बात कर लेती है. दी बचपन से ही ऐसी है. मैं ने हमेशा ऐसे ही देखा है.’’

‘‘मम्मी से तो खुल कर बात करती होगी?’’

‘‘वे दी की नहीं मेरी मम्मी हैं लेकिन वे उसे भी उतना ही प्यार करती हैं.’’

‘‘मैं आप के कहने का मतलब नहीं सम?ा?’’

‘‘दी की मम्मी बहुत पहले गुजर गई थीं. पापा ने दूसरी शादी की. शायद यही बात दी के मन में बहुत गहरे बैठ गई जिस से कभी निकल नहीं पाई.’’

‘‘छोटे बच्चों को इस का एहसास कहां होता है?’’

‘‘यही बात किसी की सम?ा में नहीं आती कि दी कैसे पता लगा कि ये उस की सौतेली मां हैं. कभी किसी ने दी कुछ बताने की कोशिश नहीं की. दी अपने ही खोल में रहती है. किसी से अपनी बात नहीं कहती. पापा को भी पराया सम?ाती है. दी को कुछ चाहिए होता है तो मैं ही दी की वकालत करती हूं. वह खुद किसी से कुछ नहीं मांगती. मैं ने दी के दिल में अपने लिए खुद घुस कर जगह बनाई है वरना वह मु?ा से भी कुछ नहीं कहती.’’

‘‘कहती होती तो मेरे बारे में भी जरूर बताती.’’

‘‘दी सब से अलग रहती है. प्यार के बारे में वह सोच भी नहीं पाती.’’

‘‘आप मेरी मदद कीजिए ताकि मैं उस के दिल में अपने लिए जगह बना सकूं.’’

‘‘इतने सालों में यह काम आप को कर लेना चाहिए था जब दी आप के इतने नजदीक थी.’’

‘‘ठीक कहा. यह काम मैं पहले कर लेता तो शायद मेरी परेशानी हल हो गई होती. जब तक वह मेरे नजदीक थी मु?ो इस बात का खयाल नहीं  रहा. अब मेरे लिए उस से दूर रहना मुश्किल हो रहा है इसीलिए मैं यहां चला आया. आप ने मेरी इतनी मदद की यही बहुत है. मैं उस से मिलने की कोशिश करता हूं. जरूरत पड़ी तो आप से फिर मदद लूंगा,’’ कह कर उस ने मौली से विदा ले कर पाली को फोन मिलाया. हमेशा की तरह उस का रिस्पौंस बड़ा ही ठंडा था.

‘‘पाली मैं लखनऊ में हूं और तुम से मिलना चाहता हूं. कब मिल सकती हो?’’

‘‘मिलना जरूरी है?’’

‘‘मैं चाहता था थोड़ी देर साथ बैठ कर हालचाल पूछूं.’’

‘‘मैं ठीक हूं.’’

‘‘प्लीज, एक बार मिलने का मौका दे दो. कल 11 बजे कौफीहाउस में मिलते हैं,’’ कह कर उस ने फोन काट दिया.

पाली को सम?ा नहीं आ रहा था पार्थ यहां क्यों आया? दूसरे दिन वह उस से मिलने चली आई. उसे देख कर भी उस के चेहरे पर खुशी का कोई भाव दिखाई नहीं दिया. लगता जैसे उस की उस से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं.

‘‘मैं तुम्हें बहुत मिस करता हूं पाली. सच कहना तुम्हें मेरी याद नहीं आती?’’

‘‘4 साल हम ने साथ पढ़ते हुए गुजरे हैं इस से ज्यादा मैं कुछ याद नहीं रखना चाहती.’’

‘‘कैसी बातें करती हो? तुम्हारी उम्र में लड़कियां पुरुष दोस्तों से मिलने के लिए बेचैन रहती हैं. उन्हें अपने दिल का हाल बताती हैं. एक तुम हो जिस ने खुद को अपने में ही कैद कर रखा है. तुम इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती हो?’’

अपने लिए यह शब्द पाली को अच्छा नहीं लगा, ‘‘मैं ने तुम से कौन सा स्वार्थ सिद्ध किया पार्थ?’’

‘‘मैं अपनी बात नहीं कर रहा हूं. तुम मु?ो चाहती हो और यह बात स्वीकार करने में अपने साथ ज्यादती कर रही हो.’’

‘‘तुम्हें इस से कोई मतलब नहीं होना

चाहिए पार्थ. मेरी जिंदगी है. मेरी मरजी मैं उसे जैसे जीना चाहूं.’’

‘‘काश, तुम्हारी जिंदगी तुम्हारी होती. तुम नहीं जानती मैं तुम से कितना प्यार करता हूं.

तुम से मिले बिना रह नहीं सकता इसीलिए यहां चला आया. केवल अपने लिए नहीं औरों के

लिए भी जीना सीखो पाली. जवानी एक बार चली जाती है तो फिर कभी लौट कर नहीं आती. क्या पता जब तुम्हें होश आए तब तक बहुत देर हो जाए.’’

‘‘हो सकता है पार्थ तुम अपनी जगह सही हो लेकिन तुम ने मु?ो चुन कर गलती की है.

तुम्हें अपने ही जैसे स्वभाव की कोई खूबसूरत और स्मार्ट लड़की चुननी चाहिए जो तुम्हारे हर कदम पर तुम्हारे साथ मिल कर चल सके. मैं वह नहीं हूं.’’

‘‘तुम भी वह बन सकती हो. बस एक बार शुरुआत कर के देखो  तुम्हारे दिल की धड़कनें भी मेरा नाम ले सकती हैं लेकिन तुम उन्हें रोक रही हो. प्लीज, ऐसा मत करो. मेरे प्यार को कबूल करो. मैं तुम्हें हमेशा खुश रखूंगा. मेरा यकीन करो.’’

पाली को सम?ा नहीं आ रहा था वह क्या जवाब दे? उस ने कभी दिल की गहराइयों से

इस के बारे में सोचा ही नहीं था. वह बस इतना जानती थी कि वह बचपन में अपनी मम्मी से बहुत प्यार करती थी और वे उसे छोड़ कर चली गईं.

उन के साथ उस का सबकुछ चला गया. वह फिर किसी से कभी जुड़ नहीं सकी. एक मौली ही थी जो जिद कर के उस से अपनी बातें मनवा लेती थी वरना इतना अधिकार कभी किसी ने उस पर जताया ही नहीं.

‘‘मेरी बात का जवाब दो पाली वरना मैं तुम्हारे पापा के पास जा कर तुम्हारा हाथ उन से मांगूंगा. मु?ो यकीन है वे इस रिश्ते के लिए कभी मना नहीं करेंगे. यह मेरा प्यार है जो तुम से अपनी बात मनवाना चाहता है. तुम भी मु?ो पसंद करती हो वरना कालेज में इतने लड़के थे तुम्हें मैं ने कभी किसी के साथ बात करते हुए नहीं देखा. फिर मु?ा से इतनी दूरी क्यों? मेरे प्यार में क्या कमी है?’’

‘‘कमी तुम में नहीं मु?ा में है पार्थ. मैं किसी को अपना नहीं सकती.’’

‘‘एक बार अपना कर देखो तो सही मैं तुम्हारे लिए सारी हदें पार कर दूंगा,’’ पार्थ बोला तो पाली असहज हो गई.

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