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अपनी मंजिल पाने के लिए जनून एक हद तक सही है, लेकिन व्यक्ति मानमर्यादा की सीमा लांघ कर अपनी मंजिल पाए तो क्या उसे खुशी हासिल होगी? रश्मि भी अपने सपने को हकीकत बनाने की राह पर जा रही थी पर आगे धुंध ही धुंध थी.

‘‘मम्मी, आज आप खाना बना लो, मुझे टैस्ट की तैयारी करनी है, वो क्या है न, आज से मेरे टैस्ट शुरू हो रहे हैं और अगले महीने एग्जाम होंगे.

‘‘ठीक है, बेटी,’’ मां ने रूखेपन से जवाब दिया.

‘‘अरे मां, सच में टैस्ट है. मैं कोई बहाना नहीं कर रही.’’

‘‘अच्छा, ठीक है, कोई बात नहीं,’’ रश्मि की मां अनीता ने झिड़कते हुए जवाब दिया. रश्मि 16 वर्ष की बेहद खूबसूरत लड़की थी. अभी 12वीं में पढ़ रही थी. उस की खूबसूरती के किस्से हर किसी की जबां पर थे. रश्मि कई लड़कों के ख्वाबों की मल्लिका थी.

रश्मि अपने वजूद से महफिल की शमा को रोशन कर देती और अपनी किरण को आशिकों के दिलों में इस कदर उतार देती कि मानो उस के बिना पूरी कायनात अंधेरे में समा गई हो.

हुस्न के साथ ही तेज दिमाग सोने पे सुहागा होता है, रश्मि में ये दोनों खूबियां थीं. यही वजह थी उस के ऊंचे ख्वाब देखने की. वह एक मौडल बनना चाहती थी और चाहती थी कि हर किसी की जबान पर रश्मिरश्मि हो. इतनी मशहूर होने का सपना वह आंखों में संजोए थी.

मौडल बनने की इसी चाह में वह अपने जिस्म पर काफी ध्यान देती और खूब सजधज कर कालेज या किसी फंक्शन में जाती. इतना सब होने के बावजूद रश्मि को अपने बुने ख्वाब अफसाने ही लगते क्योंकि होशंगाबाद जैसे छोटे शहर में रह कर फेमस मौडल बनना मुमकिन न था. फिर, आज भी समाज में इस तरह के कामों को बुरी निगाहों से देखा जाता है.

लेकिन रश्मि ने मन ही मन ठान लिया था कि उसे अपने ख्वाबों को हकीकत बनाना ही है, चाहे उसे किसी भी हद तक जाना पड़े. अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए वह सबकुछ न्योछावर करने को तैयार थी.

‘‘यार सोनल, सुन न, मुझे तुझ से बहुत जरूरी बात करनी है,’’ रश्मि ने सोनल के कंधे को धीरे से पकड़ कर कहा.

‘‘हां, बोल न, क्या बात करनी है, रश्मि.’’

‘‘देख सोनल, तुझे तो पता है कि ‘‘मैं खूबसूरत हूं,’’ रश्मि की बात बीच में काटते हुए सोनल ने उस के चेहरे को एक आशिक की तरह पकड़ कर कहा, ‘‘सच में जान, तुम बहुत खूबसूरत हो. मैं तुम से

अभी इसी वक्त शादी करना चाहती हूं,

आई लव यूयूऊ…’’

‘‘सोनल, यार मेरा मूड मजाक का नहीं है. मैं सीरियस बात कर रही हूं और तुझे हंसीमजाक की लगी है.’’

‘‘सुन रश्मि, मैं सच कह रही हूं, तू बहुत खूबसूरत है. अच्छा यह सब जाने दे. अब बता क्या कह रही थी.’’

रश्मि संजीदगी से बोली, ‘‘मैं आगे की पढ़ाई के साथ मौडलिंग भी करना चाहती हूं.’’

‘‘हां, तो कर, तेरे लिए कौन सी बड़ी बात है. वैसे भी तू एकदम मौडल है ही,’’ सोनल ने रश्मि की हौसलाअफजाई की.

सोनल की बात सुन रश्मि ने कहा, ‘‘तेरी सारी बातें ठीक हैं, लेकिन मौडल कैसे बना जाता है? इस के लिए क्या पढ़ाई करनी पड़ती है? यह सब तो मुझे मालूम

ही नहीं.’’

‘‘हां रश्मि,’’ और सोनल ने गहरी सांस ले कर पूरी हवा को सिगरेट के धुएं के स्टाइल में मुंह बना कर हवा में उड़ा दी.

इस पर दोनों अपना सिर पकड़ कर ऐसे बैठ गईं, मानो कोई राह न दिख रही हो, लेकिन किसी ने सच ही कहा है कि जहां चाह, वही राह.

परीक्षा की घड़ी नजदीक आ गई और परीक्षा के बाद जब रश्मि अपने दोस्तों से मिली तो सभी एकदूसरे से सवालजवाब करने लगे.

तभी वहां पंकज आ गया.

‘‘रश्मि, तुम्हारा पेपर कैसा हुआ?’’ पंकज ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘जी भैया, बहुत अच्छा हुआ,’’ रश्मि नजरें झुका कर बोली.

पंकज, रश्मि का बड़ा भाई था. रश्मि के अलावा घर में मम्मीपापा और एक छोटी बहन रागिनी थी, जो 10वीं के पेपर दे रही थी. रश्मि के पापा दीपक पाटीदार थे. आमदनी सालभर में इतनी हो जाती कि घर का खर्च आसानी से चल जाता, लेकिन शौक पूरे नहीं किए जा सकते. रागिनी एकदम सिंपल लड़की थी. उसे अपनी दीदी की तरह सजनेसंवरने का बिलकुल भी शौक नहीं था.

12वीं के बाद कोई काम ढूंढ़ने के लिए परेशान होता है तो कोई अच्छी जगह एडमिशन के लिए. रोहित आते ही सोनल को देख कर मुसकराया, ‘‘कैसा हुआ पेपर?’’

‘‘ठीक ही हुआ है,’’ सोनल मुंह बना कर बोली, ‘‘अपना बताओ?’’

‘‘सब ठीक है, यार, इतने नंबर आ जाएंगे कि फिर से इस स्कूल में नहीं पढ़ना पड़ेगा,’’ यह कहते हुए रोहित की नजर रश्मि की तरफ टिक गई. लेकिन रश्मि उस की इस हरकत से बेपरवा आलिया से बातों में मशगूल थी.

दरअसल, रोहित पिछले 2 वर्षों से रश्मि की चाहत में पागल था, लेकिन कभी दाल नहीं गली. हार कर रोहित अब उस की राह से हट कर सोनल की जिंदगी में आ गया.

‘‘रश्मि, तुम आगे की पढ़ाई करोगी या नहीं,’’ आलिया ने पूछा.

‘‘हां आलिया, मुझे बीकौम करना है,’’ रश्मि ने जल्दी से जवाब दिया.

‘‘इस के लिए तुम्हें बड़े शहर में दाखिला लेना होगा,’’ सोनल तपाक से बोल पड़ी.

रश्मि रेशम जैसे बालों को उंगलियों में नचाते हुए बोली, ‘‘यही तो मुश्किल है. किस शहर जाऊं और किस के साथ.’’ इसी उलझन में शाम हो गई और सभी एकदूसरे से गले मिल कर विदा लेने लगे.

घर पहुंच कर रश्मि ने अपनी बांहों की माला मां के गले में डाल कर जिस्म को ढीला छोड़ दिया. मां मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘बेटा, क्या बात है? आज अपनी मां पर बहुत प्यार आ रहा है.’’

‘‘मम्मी, आप से एक बात कहूं,’’ रश्मि झिझकते हुए बोली.

‘‘हां, बोल क्या बात है? वैसे भी आज मैं बहुत खुश हूं,’’ अनीता उस के गालों को प्यार से खींच कर बोली.

अब रश्मि के सामने दिक्कत यह थी कि वह मम्मी से किस तरह बात शुरू करे और कहां से, लेकिन शुरू तो करना था. इसलिए उस ने हिम्मत कर के मम्मी से कहना शुरू किया.

‘‘मम्मी, बात यह है कि मैं आगे की पढ़ाई के लिए बाहर जाना चाहती हूं.’’ यह कहने के साथ रश्मि अपनी मां की आंखों में आंखें डाल कर बड़ी बेसब्री से उन के जवाब का इंतजार करने लगी.

अनीता की सांस जहां की तहां रुक गई. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस का क्या जवाब दें, क्योंकि पति को अच्छी तरह जानती थीं. कुछ लमहों के बाद गहरी सांस छोड़ कर यह कहते हुए खड़ी हो कर जाने लगीं कि इस बात की इजाजत तेरे पापा ही देंगे.

रश्मि को एक पल के लिए ख्वाब टूटते हुए लगे, लेकिन दूसरे ही पल संभल कर बोली, ‘‘मम्मी, आप पापा से बात कर लो. मुझे बड़ा शौक है कि पढ़लिख कर आप लोगों का नाम रोशन करूं.’’

‘‘हूं, अच्छा, ठीक है,’’ मां ने इशारे से हामी भरी और अंदर चली गईं.

रश्मि का सोचसोच कर बुरा हाल हो गया था, ‘अगर पापा ने मना कर दिया तो,’ ‘नहीं, नहीं ऐसा नहीं हो सकता,’ खुद ही सवाल कर के जवाब भी खुद ही देती. उस रात रश्मि की आंखों से नींद कोसों दूर थी. सारी रात करवट बदलबदल कर सुबह कर दी.

लेकिन अगली सुबह इतनी खूबसूरत होगी, उस ने सोचा न था. अब ख्वाबों को हकीकत बनाने वाली वह जादुई छड़ी रश्मि को मिल गई थी. पापा मान गए थे कि रश्मि आगे की पढ़ाई कर सकती है.

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