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मालिनी क्लास में भी उस की दोस्ती किसी दूसरे से नहीं होने देती. उस की दबंगता की वजह से दूसरी लड़कियां निविदा के आसपास भी नहीं फटकतीं. मालिनी उस से मनचाहा व्यवहार करती. उस का दब्बूपन उस के लिए कुतूहल का विषय था. ऐसी लड़की पढ़ने में इतनी होशियार कैसे थी कि उसे इस कालेज में प्रवेश मिल गया.

मालिनी की हरकतों की वजह से निविदा भी कई बार डांट खा जाती थी.

एक दिन मालिनी टीचर्स के जाने के बाद क्लास में अपने गु्रप की लड़कियों के साथ टीचर्स की नकल कर उन का मजाक उड़ा रही थी. बाकी विद्यार्थी चले गए थे. लेकिन वह तो मालिनी की आज्ञा के बिना खिसक भी नहीं सकती. उस दिन मालिनी व उन लड़कियों की शिकायत चपरासी के जरीए टीचर्स तक पहुंच गई.

उन सब के साथ निविदा को भी खूब डांट पड़ी. कालेज में उस पूरे ग्रुप की तो छवि खराब थी ही, निविदा भी उस में शामिल हो गईर् थी. उन के क्लासरूम के आगे स्टाफरूम था जहां से निकल कर जाते समय टीचर्स की नजर विद्यार्थियों पर पड़ जाती थी.

दूसरे दिन मालिनी व उस की गु्रप की लड़कियां क्लासरूम की पीछे की खिड़की से कूद कर एडल्ट मूवी देखने की योजना बना रही थीं.

मालिनी ने उसे भी पकड़ लिया, ‘‘तू भी चल हमारे साथ.’’

‘‘नहीं, मैं नहीं जाऊंगी... मुझे क्लास अटैंड करनी है,’’ वह भीख मांगने वाले अंदाज में बोली.

‘‘एक दिन नहीं करेगी तो क्या आईएएस बनने से रह जाएगी?’’ चुपचाप चल हमारे साथ.

‘‘तुम मेरे साथ इतनी जबरदस्ती क्यों करती हो मालिनी?’’ वह घिघियाती हुई बोली, ‘‘तुम्हें जाना है तो तुम जाओ.’’

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