सीमा ने औफिस से ही मोबाइल पर अपनी प्रमोशन की खबर अपने पति राजीव को दे दी. उस ने यह बात जब घर वालों को बताई, तो पूरे घर में खुशी और उत्साह की लहर दौड़ गई.
‘‘कितना फर्कपड़ेगा उस की पगार में?’’ राजीव के पिता रमाकांत की आंखों में लालच भरी चमक पैदा हुई.
‘‘मेरे खयाल से क्व30-40 हजार का फर्क पड़ना चाहिए. भाभी आखिर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करती है,’’ उन के सवाल का जवाब बड़े के बजाय छोटे बेटे संजीव ने उत्साहित अंदाज में दिया.
इस के बाद कुछ देर तक बैठक में खामोशी छाई रही. फिर एकएक कर सब ने अपने मन की इच्छाओं को शब्द देने शुरू किए.
‘‘अब मु?ो कोटा में एडमिशन करा देना, भैया,’’ सविता ने बड़े अपनेपन से राजीव को अपनी इच्छा बताई.
‘‘मेरी मोटरसाइकिल ‘लिस्ट’ में सब से ऊपर रहेगी,’’ संजीव का स्वर ?ागड़ालू सा हो गया, ‘‘मैट्रो में धक्के खातेखाते मैं तंग आ
गया हूं.’’
‘‘ये सब खर्चे बाद में होंगे. पहले छत पर
2 कमरों का सैट बनेगा,’’ रमाकांत की सख्त आवाज ने सविता और संजीव की आंखों में निराशा और नाराजगी के भाव पैदा कर दिए.
‘‘हमें अपनी गांठ में पैसा बचा कर भी रखना चाहिए,’’ राजीव की मां सुचित्रा ने सब को सम?ाया, ‘‘कल को सविता की शादी करनी है हमें. इस के नाम से कुछ पैसा हर महीने बैंक में जरूर जमा होगा.’’
राजीव ने अपने मन की इच्छा मुंह से नहीं निकाली. वह सरकारी स्कूल में रसायनविज्ञान पढ़ाता था कोई छोटीमोटी फैक्टरी लगाने या कोचिंग इंस्टिट्यूट खोलने की चाह मन में वर्षों से मौजूद थी. सीमा की बढ़ी पगार के बल पर अब बैंक से लोन मिल जाएगा. उस पैसे से वह छत पर 2 के बजाय 4 कमरे बनवाना चाहता था. फालतू बने कमरों में पहले कोचिंग सैंटर खोलने की इच्छा मन में पलपल अपनी जड़ें मजबूत करने लगी पर राजीव ने इस की चर्चा सब के समाने नहीं करी.