प्रमोशन होने के कारण सीमा को लखनऊ जाना पड़ेगा, यह बात चंद मिनटों में ही घर के हर सदस्य को राजीव से मालूम पड़ गई. सब की आंखों में उत्साह व खुशी की चमक के बजाय तनाव और परेशानी के भाव नजर आने लगे.
रात का खाना सभी ने बु?ोबु?ो से अंदाज में खाया. उस के बाद सभी ड्राइंगरूम में आ कर बैठ गए. प्रमोशन को ले कर आपस में चर्चा का आरंभ रमाकांत ने किया.
‘‘शांति से सोचविचार करो, तो हर समस्या का हल मिल जाता है,’’ उन्होंने गंभीर लहजे में बोलना शुरू किया, ‘‘प्रमोशन का 2 साल को टलना सीमा के कैरियर के हित में नहीं होगा. दूसरी तरफ उस के लखनऊ जाने से कई समस्याएं पैदा होंगी. अब सवाल यह उठता है कि क्या हम उन समस्याओं का उचित समाधान ढूंढ सकते हैं या नहीं?’’
‘‘मेरे लिए अकेले लखनऊ जा कर रहना बिलकुल संभव नहीं है,’’ सीमा की आवाज में गहरी उदासी व निराशा के भाव साफ ?ालके.
‘‘भाभी, आप को यों हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. शादी से पहले आप ने होस्टल में अकेले रह कर एमबीए भी तो किया था. लखनऊ में अकेले रहना कठिन तो होगा, पर इस काम को आप असंभव न सम?ों,’’ संजीव ने जोशीले अंदाज में सीमा का हौसला बढ़ाया.
‘‘सब से दूर रहने की बात सोचते ही मेरा मन कांपने लगता है. यहां सब का कितना सहारा है मु?ो. दफ्तर से लौटती हूं, तो खाना तैयार मिलता है. बीमार पड़ने पर देखभाल करने वालों की कमी नहीं है यहां. न कपड़े धोने की फिक्र है, न उन्हें प्रैस कराने की. औफिस में 10-12 घंटे काम करने के बाद वहां इन सभी कामों को करने की हिम्मत व ताकत मु?ा में कहां से आएगी?’’ सीमा की आंखों में आंसू ?िलमिला उठे.