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अंडमान की मक्खन सी सफेद रेत और सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सतरंगी आवरण ओढे़ समुद्र तट मन में अमिट छाप छोड़ गया. ढेर सारे मोतियों के आभूषण, आदिवासी हस्त शिल्प से बनी कलाकृतियां और रंगबिरंगी यादों के साथ वे बैंगलुरु आ गए.

हनीमून पीरियड गुजरते ही रितु के पुराने अरमान फिर मचल उठे. उस ने औनलाइन साइट देख कर मौडलिंग के लिए फार्म भर कर भेजने शुरू कर दिए. इन सब से बेखबर आदित्य रितु को घरगृहस्थी में मग्न देख कर खुश हो उठा.

रविवार की सुबह रितु को टमाटर, ऐलोवेरा को मिक्सी में पीसते

देख कर वह बोला, ‘‘कोई नई रैसिपी यू ट्यूब से ट्राई कर रही हो क्या?’’

‘‘अरे नहीं समुद्र में डुबकी लगा कर स्किन और बालों का बुरा हाल हो गया है. मुझे अपनी टैनिंग और बालों की चमक वापस लाने में अब बहुत मेहनत करनी पड़ेगी,’’ रितु ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा.

‘‘मगर तुम तो यों ही बहुत सुंदर दिख

रही हो?’’

‘‘तुम्हें टेनिंग नहीं दिख रही, यह देखो,’’ उस ने अपनी टीशर्ट ऊपर कर पेट की त्वचा और हाथों का मिलान कर दिखाया.

आदित्य उस की इस हरकत पर मुसकरा कर बोला, ‘‘चाय पीयोगी?’’ सोच रहा था रितु कहेगी कि रुको मैं बनाती हूं, मगर नतीजा उलटा निकला.

रितु ने लापरवाही से कहा, ‘‘ग्रीन टी चलेगी.’’

1 घंटे बाद भी रितु को टब के पानी में पैर डुबाए देख कर वह बोल पड़ा, ‘‘अब यह क्या?’’

‘‘मुझे मैनीक्योर और पैडीक्योर दोनों ही करनी हैं. मेरे पास टाइम ही नहीं रहा हफ्ताभर. घूमफिर कर इतनी थकान हो गई थी कि कुछ करने का मन ही नहीं था. आज संडे को फुरसत मिली है अपने ऊपर ध्यान दे पाने की.’’

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