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‘‘सुनो, आप को याद है न कि आज शाम को राहुल की शादी में जाना है. टाइम से घर आ जाना. फार्म हाउस में शादी है. वहां पहुंचने में कम से कम 1 घंटा तो लग ही जाएगा,’’ सुकन्या ने सुरेश को नाश्ते की टेबल पर बैठते ही कहा.

‘‘मैं तो भूल ही गया था, अच्छा हुआ जो तुम ने याद दिला दिया,’’ सुरेश ने आलू का परांठा तोड़ते हुए कहा.

‘‘आजकल आप बातों को भूलने बहुत लगे हैं, क्या बात है?’’ सुकन्या ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा.

‘‘आफिस में काम बहुत ज्यादा हो गया है और कंपनी वाले कम स्टाफ से काम चलाना चाहते हैं. दम मारने की फुरसत नहीं होती है. अच्छा सुनो, एक काम करना, 5 बजे मुझे फोन करना. मैं समय से आ जाऊंगा.’’

‘‘क्या कहते हो, 5 बजे,’’ सुकन्या ने आश्चर्य से कहा, ‘‘आफिस से घर आने में ही तुम्हें 1 घंटा लग जाता है. फिर तैयार हो कर शादी में जाना है. आप आज आफिस से जल्दी निकलना. 5 बजे तक घर आ जाना.’’

‘‘अच्छा, कोशिश करूंगा,’’ सुरेश ने आफिस जाने के लिए ब्रीफकेस उठाते हुए कहा.

आफिस पहुंच कर सुरेश हैरान रह गया कि स्टाफ की उपस्थिति नाममात्र की थी. आफिस में हर किसी को शादी में जाना था. आधा स्टाफ छुट्टी पर था और बाकी स्टाफ हाफ डे कर के लंच के बाद छुट्टी करने की सोच रहा था. पूरे आफिस में कोई काम नहीं कर रहा था. हर किसी की जबान पर बस यही चर्चा थी कि आज शादियों का जबरदस्त मुहूर्त है, जिस की शादी का मुहूर्त नहीं निकल रहा है उस की शादी बिना मुहूर्त के आज हो सकती है. इसलिए आज शहर में 10 हजार शादियां हैं.

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