मुसकराती हुई सुकन्या ने कहा, ‘‘सारे अलग शादियों में नहीं, बल्कि राहुल की शादी में जा रहे हैं.’’
‘‘दिल खोल कर न्योता दिया है नंदकिशोरजी ने.’’
‘‘दिल की मत पूछो, फार्म हाउस में शादी का सारा खर्च वधू पक्ष का होगा, इसलिए पूरी सोसाइटी को निमंत्रण दे दिया वरना अपने घर तो उन की पत्नी ने किसी को भी नहीं बुलाया. एक नंबर के कंजूस हैं दोनों पतिपत्नी. हम तो उसे किटी पार्टी का मेंबर बनाने को राजी नहीं होते हैं. जबरदस्ती हर साल किसी न किसी बहाने मेंबर बन जाती है.’’
‘‘इतनी नाराजगी भी अच्छी नहीं कि मेकअप ही खराब हो जाए,’’ सुरेश ने कार स्टार्ट करते हुए कहा.
‘‘कितनी देर लगेगी फार्म हाउस पहुंचने में?’’ सुकन्या ने पूछा.
‘‘यह तो टै्रफिक पर निर्भर है, कितना समय लगेगा, 1 घंटा भी लग सकता है, डेढ़ भी और 2 भी.’’
‘‘मैं एफएम रेडियो पर टै्रफिक का हाल जानती हूं,’’ कह कर सुकन्या ने रेडियो चालू किया.
तभी रेडियो जौकी यानी कि उद्घोषिका ने शहर में 10 हजार शादियों का जिक्र छेड़ते हुए कहा कि आज हर दिल्लीवासी किसी न किसी शादी में जा रहा है और चारों तरफ शादियों की धूम है. यह सुन कर सुरेश ने सुकन्या से पूछा, ‘‘क्या तुम्हें लगता है कि आज शहर में 10 हजार शादियां होंगी?’’
‘‘आप तो ऐसे पूछ रहे हो, जैसे मैं कोई पंडित हूं और शादियों का मुहूर्त मैं ने ही निकाला है.’’
‘‘एक बात जरूर है कि आज शादियां अधिक हैं, लेकिन कितनी, पता नहीं. हां, एक बात पर मैं अडिग हूं कि 10 हजार नहीं होंगी. 2-3 हजार को 10 हजार बनाने में लोगों को कोई अधिक समय नहीं लगता. बात का बतंगड़ बनाने में फालतू आदमी माहिर होते हैं.’’
तभी रेडियो टनाटन ने टै्रफिक का हाल सुनाना शुरू किया, ‘यदि आप वहां जा रहे हैं तो अपना रूट बदल लें,’ यह सुन कर सुरेश ने कहा, ‘‘रेडियो स्टेशन पर बैठ कर कहना आसान है कि रूट बदल लें, लेकिन जाएं तो कहां से, दिल्ली की हर दूसरी सड़क पर टै्रफिक होता है. हर रोज सुबहशाम 2 घंटे की ड्राइविंग हो जाती है. आराम से चलते चलो, सब्र और संयम के साथ.’’
बातों ही बातों में कार की रफ्तार धीमी हो गई और आगे वाली कार के चालक ने कार से अपनी गरदन बाहर निकाली और बोला, ‘‘भाई साहब, कार थोड़ी पीछे करना, वापस मोड़नी है, आगे टै्रफिक जाम है, एफ एम रेडियो भी यही कह रहा है.’’
उस को देखते ही कई स्कूटर और बाइक वाले पलट कर चलने लगे. कार वालों ने भी कारें वापस मोड़नी शुरू कर दीं. यह देख कर सुकन्या ने कहा, ‘‘आप क्या देख रहे हो, जब सब वापस मुड़ रहे हैं तो आप भी इन के साथ मुड़ जाइए.’’
सुरेश ने कार नहीं मोड़ी बल्कि मुड़ी कारों की जगह धीरेधीरे कार आगे बढ़ानी शुरू की.
‘‘यह आप क्या कर रहे हो, टै्रफिक जाम में फंस जाएंगे,’’ सुकन्या ने सुरेश की ओर देखते हुए कहा.
‘‘कुछ नहीं होगा, यह तो रोज की कहानी है. जो कारें वापस मुड़ रही हैं, वे सब आगे पहुंच कर दूसरी लेन को भी जाम करेंगी.’’ धीरेधीरे सुरेश कार को अपनी लेन में रख कर आगे बढ़ाता रहा. चौराहे पर एक टेंपो खराब खड़ा था, जिस कारण टै्रफिक का बुरा हाल था.
‘‘यहां तो काफी बुरा हाल है, देर न हो जाए,’’ सुकन्या थोड़ी परेशान हो गई.
‘‘कुछ नहीं होगा, 10 मिनट जरूर लग सकते हैं. यहां संयम की आवश्यकता है.’’
बातोंबातों में 10 मिनट में चौराहे को पार कर लिया और कार ने थोड़ी रफ्तार पकड़ी. थोड़ीथोड़ी दूरी पर कभी कोई बरात मिलती, तो कार की रफ्तार कम हो जाती तो कहीं बीच सड़क पर बस वाले बस रोक कर सवारियों को उतारने, चढ़ाने का काम करते मिले.
फार्म हाउस आ गया. बरात अभी बाहर सड़क पर नाच रही थी. बरातियों ने अंदर जाना शुरू कर दिया, सोसाइटी निवासी पहले ही पहुंच गए थे और चाट के स्टाल पर मशगूल थे.
‘‘लगता है, हम ही देर से पहुंचे हैं, सोसाइटी के लोग तो हमारे साथ चले थे, लेकिन पहले आ गए,’’ सुरेश ने चारों तरफ नजर दौड़ाते हुए सुकन्या से कहा.
‘‘इतनी धीरे कार चलाते हो, जल्दी कैसे पहुंच सकते थे,’’ इतना कह कर सुकन्या बोली, ‘‘हाय मिसेज वर्मा, आज तो बहुत जंच रही हो.’’
‘‘अरे, कहां, तुम्हारे आगे तो आज सब फीके हैं,’’ मिसेज गुप्ता बोलीं, ‘‘देखो तो कितना खूबसूरत नेकलेस है, छोटा जरूर है लेकिन डिजाइन लाजवाब है. हीरे कितने चमक रहे हैं, जरूर महंगा होगा.’’
‘‘पहले कभी देखा नहीं, कहां से लिया? देखो तो, साथ के मैचिंग टाप्स भी लाजवाब हैं,’’ एक के बाद एक प्रश्नों की झड़ी लग गई, साथ ही सभी सोसाइटी की महिलाओं ने सुकन्या को घेर लिया और वह मंदमंद मुसकाती हुई एक कुरसी पर बैठ गई. सुरेश एक तरफ कोने में अलग कुरसी पर अकेले बैठे थे, तभी रस्तोगी ने कंधे पर हाथ मारते हुए कहा, ‘‘क्या यार, सुरेश…यहां छिप कर चुपके से महिलाआें की बातों में कान अड़ाए बैठे हो. उठो, उधर मर्दों की महफिल लगी है. सब इंतजाम है, आ जाओ…’’
सुरेश कुरसी छोड़ते हुए कहने लगे, ‘‘रस्तोगी, मैं पीता नहीं हूं, तुझे पता है, क्या करूंगा महफिल में जा कर.’’
‘‘आओ तो सही, गपशप ही सही, मैं कौन सा रोज पीने वाला हूं. जलजीरा, सौफ्ट ड्रिंक्स सबकुछ है,’’ कह कर रस्तोगी ने सुरेश का हाथ पकड़ कर खींचा और दोनों महफिल में शरीक हो गए, जहां जाम के बीच में ठहाके लग रहे थे.
‘‘यार, नंदकिशोर ने हाथ लंबा मारा है, सबकुछ लड़की पक्ष वाले कर रहे हैं. फार्म आउस में शादी, पीने का, खाने का इंतजाम तो देखो,’’ अग्रवाल ने कहा.
‘‘अंदर की बात बताता हूं, सब प्यारमुहब्बत का मामला है,’’ साहनी बोला.
‘‘अमा यार, पहेलियां बुझाना छोड़ कर जरा खुल कर बताओ,’’ गुप्ता ने पूछा.
‘‘राहुल और यह लड़की कालिज में एकसाथ पढ़ते थे, वहीं प्यार हो गया. जब लड़कालड़की राजी तो क्या करेगा काजी, थकहार कर लड़की के बाप को मानना पड़ा,’’ साहनी चटकारे ले कर प्यार के किस्से सुनाने लगा. फिर मुड़ कर सुरेश से कहने लगा, ‘‘अरे, आप तो मंदमंद मुसकरा रहे हैं, क्या बात है, कुछ तो फरमाइए.’’
‘‘मैं यह सोच रहा हूं कि क्या जरूरत है, शादियों में फुजूल का पैसा लगाने की, इसी शादी को देख लो, फार्म हाउस का किराया, साजसजावट, खानेपीने का खर्चा, लेनदेन, गहने और न जाने क्याक्या खर्च होता है,’’ सुरेश ने दार्शनिक भाव से कहा.
‘‘यार, जिस के पास जितना धन होता है, शादी में खर्च करता है. इस में फुजूलखर्ची की क्या बात है. आखिर धन को संचित ही इसीलिए करते हैं,’’ अग्रवाल ने बात को स्पष्ट करते हुए कहा.
‘‘नहीं, धन का संचय शादियों के लिए नहीं, बल्कि कठिन समय के लिए भी किया जाता है…’’
सुरेश की बात बीच में काटते हुए गुप्ता बोला, ‘‘देख, लड़की वालों के पास धन की कोई कमी नहीं है. समंदर में से दोचार लोटे निकल जाएंगे, तो कुछ फर्क नहीं पड़ेगा.’’
‘‘यह सोच गलत है. यह तो पैसे की बरबादी है,’’ सुरेश ने कहा.
‘‘सारा मूड खराब कर दिया,’’ साहनी ने बात को समाप्त करते हुए कहा, ‘‘यहां हम जश्न मना रहे हैं, स्वामीजी ने प्रवचन शुरू कर दिए. बाईगौड रस्तोगी, जहां से इसे लाया था, वहीं छोड़ आ.’’
सुरेश चुपचाप वहां से निकल लिए और सुकन्या को ढूंढ़ने लगे.
‘‘क्या बात है, भाई साहब, कहां नैनमटक्का कर रहे हैं,’’ मिसेज साहनी ने कहा, जो सुकन्या के साथ गोलगप्पे के स्टाल पर खट्टेमीठे पानी का मजा ले रही थी और साथ कह रही थी, ‘‘सुकन्या, गोलगप्पे का पानी बड़ा बकवास है, इतनी बड़ी पार्टी और चाटपकौड़ी तो एकदम थर्ड क्लास.’’
सुकन्या मुसकरा दी.
‘‘मुझ से तो भूखा नहीं रहा जाता,’’ मिसेज साहनी बोलीं, ‘‘शगुन दिया है, डबल तो वसूल करने हैं.’’
उन की बातें सुन कर सुरेश मुसकरा दिए कि दोनों मियांबीवी एक ही थैली के चट्टेबट्टे हैं. मियां ज्यादा पी कर होश खो बैठा है और बीवी मीनमेख के बावजूद खाए जा रही है.