मायके के सुखदुख में सहभागी बनी सुवीरा ने अपना पूरा जीवन उन को समर्पित कर दिया. कदमकदम पर सुवीरा और उस के पति को न केवल अपमानित किया बल्कि उस से नाता भी तोड़ दिया. अपने अंतिम समय में अम्मां और भाई को एक नजर देखने की उस की अभिलाषा क्या पूरी..