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जयंत और मृदुला को नहीं लगता था कि प्रमांशु कभी अपनी लतों से छुटकारा पा सकेगा. परंतु नहीं, प्रमांशु ने अपनी सारी लतों से एक दिन छुटकारा पा लिया. उस ने जिस तरह से अपनी आदतों से छुटकारा पाया था, इस की जयंत और मृदुला को न तो उम्मीद थी न उन्होंने ऐसा सोचा था. एक दिन प्रमांशु के किसी मित्र ने जयंत को फोन कर के बताया कि प्रमांशु कहीं चला गया है और उस का पता नहीं चल रहा है. जयंत तुरंत उस मित्र से मिले. पूछने पर उस ने बताया कि इन दिनों वह अपने पुराने दोस्तों को छोड़ कर कुछ नए दोस्तों के साथ रहने लगा था. इसी बात पर उन लोगों के बीच झगड़ा और मारपीट हुई थी. उस के बाद प्रमांशु कहीं गायब हो गया था. उस मित्र से नामपता ले कर जयंत उस के नएपुराने सभी दोस्तों से मिले, खुल कर उन से बात की, परंतु कुछ पता नहीं चला. जयंत ने अनुभव किया कि कहीं न कहीं, कुछ बड़ी गड़बड़ है और हो सकता है, प्रमांशु के साथ कोई दुर्घटना हो गई हो.

दुर्घटना के मद्देनजर जयंत ने पुलिस थाने में प्रमांशु की गुमशुदगी की रपट दर्ज करा दी. जवान लड़के की गुमशुदगी का मामला था. पुलिस ने बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया. परंतु जब जयंत ने प्रमांशु की हत्या की आशंका व्यक्त की और पुलिस के उच्च अधिकारियों से बात की तो पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और प्रमांशु के दोस्तों से गहरी पूछताछ की. जयंत लगभग रोज पुलिस अधिकारियों से बात कर के तफ्तीश की जानकारी लेते रहते थे, स्वयं शाम को थाने जा कर थाना प्रभारी से मिल कर पता करते. थानेदार ने उन से कहा भी कि उन्हें रोजरोज थाने आने की जरूरत नहीं थी. कुछ पता चलनेपर वह स्वयं उन को फोन कर के या बुला कर बता देगा, परंतु जयंत एक पिता थे, उन का दिल न मानता.

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