औपचारिक बातचीत के बाद रश्मि ने पिछले दिनों अपने बेहोश होने की बात बताई. वर्षा के बताए कुछ टैस्ट्स की रिपोर्ट ले कर वह अगले दिन वर्षा के क्लीनिक पहुंची. उस की रिपोर्ट्स देखते ही वर्षा एकदम भड़क गई और गुस्से से बोली, ‘‘नौकरी के अलावा तु झे कभी अपनी परवाह भी होती है बीपी, शुगर दोनों की शिकार हो चुकी है तू और हीमोग्लोबिन एकदम बाउंडरी पर है. ऐसे में तू बेहोश नहीं होगी तो और क्या होगा.
वर्षा से प्रिस्क्रिप्शन लेकर रश्मि घर आ गई. उन्हीं दिनों उस के मम्मीपापा अपनी बेटी से मिलने मुंबई आए. रश्मि की हालत देख कर उस की मां की आंखों में तो आंसू ही आ गए. बोलीं, ‘‘क्या हालत बना ली तूने बेटा... कितनी कमजोर हो गई है... अपना ध्यान क्यों नहीं रखती?’’
मां हमेशा से उस की सब से अच्छी दोस्त रही थीं सो मां के प्यार भरे शब्दों को सुनते ही वह फट पड़ी और रोंआसे स्वर में बोली, ‘‘मां थक गई हूं अब मैं औफिस, घर और अक्षिता को संभालतेसंभालते,’’ यह कह कर उस ने सारी आपबीती मां को कह सुनाई.
‘‘जब तुम दोनों ही कामकाजी हों तो सारी जिम्मेदारियों को भी मिल कर ही संभालना चाहिए. यदि एक इंसान ही घरबाहर दोनों मोरचे पर लड़ेगा तो पस्त तो होगा ही. यदि अनुराग तु झे सपोर्ट नहीं कर पा रहे तो मेरी मान छोड़ दे तू नौकरी, अब तेरी बेटी बड़ी हो रही है उसे समय दे... और अपनी सेहत पर ध्यान दे. जब तेरी सेहत ही नहीं रहेगी तो नौकरी कर के भी क्या करेगी बेटा.’’