‘‘नहीं पापा, आप ऐसा नहीं कर सकते. आप ने मु झ से वादा किया था कि आप मेघा के पापा की तरह मु झे हर्ट करने के लिए नई मम्मी ले कर नहीं आओगे,’’ प्रज्ञा ने नाराज स्वर में कहा.
‘‘बेटा मैं मानता हूं मेघा की नई मम्मी अच्छी नहीं थी पर तेरी नई मम्मी बहुत अच्छी हैं. तु झे इतना प्यार करेंगी जितना तेरी अपनी मां भी नहीं करती होंगी,’’ प्रवीण ने बेटी को सम झाने की कोशिश की.
‘‘मैं यह बात कैसे मान लूं डैड? सारी सौतेली मांएं एक सी होती हैं.’’
‘‘चुप कर प्रज्ञा ऐसे नहीं कहते पता नहीं किस ने तेरे दिमाग में ऐसी बातें भर दी हैं,’’ प्रवीण ने झल्लाए स्वर में कहा.
‘‘दूसरी बातें छोड़ो पापा, जरा अपनी उम्र तो देखो मेरी सहेलियां क्या कहेंगी जब उन्हें पता चलेगा कि मेरे पापा दूल्हा बन रहे हैं. कितना मजाक उड़ाएंगी वे. मेरा.’’
प्रवीण अभी अपनी बिटिया प्रज्ञा को सम झाने की कोशिश कर ही रहा था कि तब तक श्वेता भी अपनी मां पर बिफर पड़ी, ‘‘मम्मी, आप ने पापा से तलाक लिया, मु झे उन से दूर कर दिया पर मैं ने कुछ भी नहीं कहा क्योंकि मैं आप को दुखी नहीं देख सकती थी. पर आज आप ने मेरे आगे किसी अजनबी को ला कर खड़ा कर दिया और कह रही हो कि ये तुम्हारे पापा हैं. मम्मी आप की यह बात मैं नहीं मान सकती. बोल दीजिए इन से मैं इन्हें कभी भी पापा का दर्जा नहीं दे सकती,’’ कहतेकहते श्वेता रोने लगी तो अमृता ने उसे बांहों में समेट लिया.
श्वेता के आंसू पोंछते हुए अमृता ने कहा, ‘‘नहीं बेटा ऐसे नहीं रोते. ठीक है तू जैसा कहेगी मैं वैसा ही करूंगी.’’
काफी देर तक इस तरह के इमोशनल सीन चलते रहे. प्रवीण और अमृता
इस परिस्थिति के लिए तैयार नहीं थे. दोनों ने एकदूसरे को उदास नजरों से देखा और अपनीअपनी बेटी को संभालने लगे. दोनों लड़कियां इस बात पर भड़की हुई थीं कि उन के पेरैंट्स दूसरी शादी करना चाहते हैं.
38 साल की अमृता और 42 साल के प्रवीण को उन के एक कौमन फ्रैंड ने मिलवाया था. दोनों ही तलाकशुदा थे और दोनों के पास 13-14 साल की
1-1 बेटी थीं. प्रवीण की बेटी प्रज्ञा 8वीं कक्षा में पढ़ती थी जबकि अमृता की बेटी श्वेता 9वीं क्लास में पढ़ रही थी. अमृता और प्रवीण को आपस में मिले करीब 6 महीने हो गए थे. दोनों ने एकदूसरे का साथ ऐंजौय किया था. दोनों को महसूस हुआ था जैसे उन के जीवन में जो कमी है वह पूरी हो गई है. जब अपने रिश्ते को ले कर वे सीरियस हो गए तो उन्होंने तय किया कि वे एकदूसरे को अपनीअपनी बेटी से मिलवाएंगे पर उन्हें कहां पता था कि दोनों बच्चियों का रिएक्शन ऐसा होगा.
किसी तरह खाना खत्म कर दोनों अपनीअपनी बेटी को ले कर घर लौट आए. दोनों के ही चेहरे पर शिकन के भाव थे. अपने रिश्ते को ले कर उन के मन में संशय उभरने लगा था क्योंकि बेटियों की रजामंदी के बगैर उन का यह रिश्ता अधूरा ही रहने वाला था.
रात के 11 बज रहे थे. श्वेता सो चुकी थी, मगर अमृता करवटें बदल रही थी. आज उस की आंखों से नींद रूठ गई थी. उसे अपनी पिछली जिंदगी याद आ रही थी. कितनी तड़प थी उस के मन में. कितनी मजबूरी में उस ने अपने पति को छोड़ा था. यह बात बेटी को कैसे सम झाए. बेटी तो अभी भी पापा के बहुत क्लोज थी.
कुमार के साथ अमृता ने लव कम अरेंज्ड मैरिज की थी. शादी से पहले दोनों ने काफी समय तक डेटिंग करने के बाद शादी का फैसला लिया था. उसे कुमार काफी मैच्योर और सम झदार लगता था. शादी के बाद उस की जिंदगी खुशियों से भर गई थी. कुमार उसे बहुत प्यार करता था. जल्द ही अमृता की गोद में श्वेता आ गई. सब बढि़या चल रहा था. इस बीच कुमार को बिजनैस में बड़ा घाटा हुआ. उस ने स्थिति सुधारने का काफी प्रयास किया मगर सबकुछ बिगड़ता जा रहा था. कुमार काफी परेशान रहने लगा था.
एक दिन कुमार घर आया तो बहुत खुश था. अमृता को बांहों में भर कर बोला, ‘‘यार अमृता अब सबकुछ ठीक हो जाएगा… हमारे अच्छे दिन आने वाले हैं.’’
श्वेता ने कहा, ‘‘ऐसा क्या हो गया? तुम्हें ऐसी कौन सी नागमणि मिल गई?’’
‘‘नागमणि ही सम झो. मु झे मेरे दोस्त ने एक बाबा से मिलवाया है. बहुत पहुंचे हुए स्वामी हैं. बस जरा सी भस्म दे कर सारे कष्ट दूर डालते हैं. मु झे भी भस्म मिल गई है. यह देखो, इसे अपने औफिस के गमले की मिट्टी में डालना है. फिर सब ठीक हो जाएगा.’’
‘‘इतने पढ़ेलिखे हो कर तुम ऐसी बातों में विश्वास करते हो? भला भभूत गमले की मिट्टी में डालने से तुम्हारा बिजनैस कैसे सुधर जाएगा?’’ अमृता ने आश्चर्य से कहा.
‘‘देखो अमृता स्वामीजी की शक्ति पर शक करने की भूल न करना… मु झे उन से मेरे दोस्त ने मिलवाया है. बहुत सिद्ध पुरुष हैं. पता है तुम्हें मेरे दोस्त की बीवी कंसीव नहीं कर पा रही थी. बाबाजी के आशीर्वाद से उस के गर्भ में जुड़वां बच्चे आ गए. सोचो कितनी शक्ति है उन के आशीर्वाद में.’’
‘‘प्लीज कुमार ऐसी अंधविश्वास भरी बातें मेरे आगे मत करो.’’
‘‘बस एक बार तुम उन से मिल तो लो फिर देखना कैसे तुम भी उन की शिष्या बन जाओगी,’’ कुमार ने अमृता को सम झाते हुए कहा.
कुमार के बहुत कहने पर आखिर अमृता को स्वामी के पास जाना पड़ा. शहर से करीब
12 किलोमीटर दूर बहुत बड़े क्षेत्र में स्वामीजी का आश्रम था. आश्रम क्या था एक तरह से बंगला ही था. एक बड़े हौल में एक कोने में नंगे बदन केवल धोती पहने स्वामीजी बैठे थे. सामने सैकड़ों अधीर भक्तों की भीड़ एकटक उन्हें निहार रही थी. स्वामीजी के बारे में यह बात प्रसिद्ध थी कि आंखें बंद कर वे किसी का भी अतीत, वर्तमान और भविष्य बता देते हैं.
कई जानेमाने रईस भक्तों की कृपा से उन की कुटिया बंगले में तबदील हो चुकी थी. स्वामी जी का बड़ा सा कमरा कहिए या शयनकक्ष, एक से बढ़ कर एक लग्जरी आइटम्स से सुसज्जित था. स्वामीजी रात 9 बजे से सुबह 9 बजे तक का समय वहीं बिताते थे. उन की सेवा के लिए कम उम्र की कई शिष्याएं नियुक्त थीं.
अमृता और कुमार जा कर आगे वाली लाइन में बैठ गए. कुमार ने आगे बैठने के लिए बाकायदा ऊंची फीस अदा की थी. 10-15 मिनट बाद ही स्वामीजी ने आंखें खोलीं. उन की नजरें पहले कुमार पर और फिर बगल में बैठी अमृता पर पड़ीं और फिर कुछ देर तक उस के चेहरे पर ही टिकी रह गईं. अमृता को देख कर उन की आंखों में चमक आ गई.