मैं ने शादी का कार्ड निशा को देते हुए कहा, ‘‘देखना, यह कार्ड हम दोनों की शादी के लिए ठीक रहेगा. अगले महीने की 10 तारीख का कार्ड है.’’
निशा आश्चर्यचकित एकटक मेरी ओर देख रही थी. गुस्से से बोली, ‘‘ऐसा भद्दा मजाक आप करोगे, मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था.’’ फिर मेरे गंभीर चेहरे को गौर से देखते हुए वह बोली, ‘‘मैं आप को बता चुकी हूं कि मैं राहुल को तलाक देने के पक्ष में नहीं हूं. आप का सम्मान करती हूं लेकिन राहुल को जीजान से चाहती हूं. मैं उस के बगैर कदापि नहीं रह सकती. मैं अपना टूटता हुआ घर दोबारा बसाना चाहती हूं.’’
‘‘निशा, धीरज रखो. मैं अपनी योजना तुम्हें बताता हूं. यह मेरी अद्भुत सी कोशिश है. शायद इस से तुम्हारी बिगड़ी हुई बात बन जाए,’’ यह सुन कर निशा खुश दिखाई दी.
मैं ने निशा की पीठ प्यार से थपथपाई और उसे आश्वस्त करते हुए विनम्रता से कहा, ‘‘मैं तुम्हारा दोस्त हूं और यह चाहता हूं कि जब राहुल को यह कार्ड दिखाया जाएगा तो उस के अहं को चोट पहुंचेगी. वह अवश्य सोचेगा कि तुम्हारे दूसरे विवाह की कोई संभावना नहीं होनी चाहिए. वैसे भी वह तुम से दूर रह कर पछता रहा होगा.’’
‘‘मुझे नहीं लगता है कि मुझ से दूर रह कर वह परेशान है. मुझे तो पता चला है कि दोस्तों के साथ उस की हर शाम मौजमस्ती में गुजर रही है. उस की एक महिला दोस्त उस के साथ विवाह के सपने देख रही है,’’ निशा ने कहा.
मैं ने निशा को आगे बताया कि शादी के कार्ड की कुछ गिनीचुनी प्रतियां ही छपवाई हैं. राहुल के एक मित्र को कार्ड दिखा भी दिया है. अब तक तो वह उसे कार्ड दिखा चुका होगा. वैसे एक कार्ड मैं ने उसे राहुल के लिए भी दे दिया था.