और्थोपैडिक डाक्टर अमित ने जब मुझे 10 दिन की बैडरैस्ट बताई तो तेज दर्द में भी मैं ने अपने होंठों पर आने के लिए तैयार हंसी रोक ली. मनमयूर नाच उठा. मन में दर्द में आह और बैडरैस्ट सोच कर वाह एकएक निकल रही थीं. मेरे पति विजय ने बैडरैस्ट सुन कर मुझे देखा तो मैं ने फौरन अपना चेहरा गंभीर कर लिया.
आप ने यह तो सुना ही होगा न कि हर औरत के अंदर एक अभिनेत्री होती है. विजय के मुंह से बैडरैस्ट सुन कर आह ही निकली थी. डाक्टर के सारे निर्देश समझ कर विजय ने जाने के लिए उठते हुए मुझे हाथ का सहारा दे कर उठाया. मेरे मुंह से एक कराह निकल ही गई.
‘‘बहुत ध्यान से जया... 10 दिन की बैडरैस्ट है,’’ मुझसे कह डाक्टर अमित ने मेरे दवा के परचे पर भी बड़ेबड़े अक्षरों में सीबीआर यानी कंप्लीट बैडरैस्ट लिख दिया.
डाक्टर अमित को हम काफी सालों से जानते हैं पर सच कहती हूं 60 साल के डाक्टर अमित आज तक मुझे इतने अच्छे नहीं लगे थे जितने आज लगे. अचानक मुझे अपनी कल्पना में डाक्टर अमित एक सुपरमैन की तरह लगे जो घर के कामों में पिसती औरत को कुछ दिन आराम करवाने आए हों. उन का मन ही मन शुक्रिया करते हुए मैं मन में खुद से कहने लगी कि जया, कर ले अब अपना सपना पूरा... कितने अरमान थे कभी बैडरैस्ट मिले... कम से कम कुछ दिन तो चैन से लेट कर टीवी देखेगी, किताबें पढ़ेगी. बस खाएगीपीएगी, नहाएगी फिर अच्छे से कपड़े पहन कर लेट जाएगी. फ्रैंड्स देखने आएंगी, गप्पें मारेंगे. बढि़या टाइम पास होगा. चलो, जया ऐंजौय योर बैडरैस्ट. जी ले अपनी जिंदगी. यह बैडरैस्ट डाक्टर रोजरोज नहीं बोलेगा. 40 साल में पहली बार बोला है. जया, जीभर कर इस बैडरैस्ट का 1-1 पल जी लेना.