‘‘शादी की सालगिरह मुबारक हो तूलिका दी,’’ मेरी भाभी ने मुझे फोन पर मुबारकबाद देते हुए कहा.
‘‘शादी की सालगिरह मुबारक हो बेटा. दामादजी कहां हैं?’’ पापा ने भी फोन पर मुबारकबाद देते हुए पूछा.
‘‘पापा, वे औफिस गए हैं.’’
‘‘ठीक है बेटा, मैं उन से बाद में बात कर लूंगा.’’
मेरी छोटी बहन कनिका और उस के पति परेश सब ने मुझे बधाई दी, पर मेरे पति रवि ने मुझ से ठीक से बात भी नहीं की. आज हमारी शादी की सालगिरह है और रवि को कोई उत्साह ही नहीं है. माना कि उन्हें औफिस में बहुत काम होता है और सुबह जल्दी निकलना पड़ता है, पर शादी की सालगिरह कौन सी रोजरोज आती है.’’
रवि कह कर गए थे, ‘‘तूलिका, आज मैं जल्दी आ जाऊंगा... हम बाहर ही खाना खाएंगे.’’
‘सुबह से शाम हो गई और शाम से रात. रवि अभी तक नहीं आए. हो सकता है मेरे लिए कोई उपहार खरीद रहे हों, इसलिए देरी हो रही है,’ मन ही मन मैं सोच रही थी.
‘‘मां भूख लगी है,’’ मेरी 5 साल की बेटी निया कहने लगी. वह सो न जाए, उस से पहले ही मैं ने उसे कुछ बना कर खिला दिया.
तभी दरवाजे की घंटी बजी. वे आते ही बोले, ‘‘बहुत थक गया हूं... तूलिका माफ करना लेट हो गया... अचानक मीटिंग हो गई. शादी की सालगिरह मुबारक हो मेरी जान... यह तुम्हारा उपहार... फूलों सी नाजुक बीवी के लिए गुलदस्ता... आज हमारी शादी को 6 साल हो गए और तुम अभी भी पहले जैसी ही लगती हो.’’
पर मैं ने उन की किसी भी बात पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की और उन के लाए गुलदस्ते को एक तरफ रख दिया. फिर बोलने लगे, ‘‘आज होटल में बहुत भीड़ थी... तुम्हारी पसंद का सारा खाना पैक करवा लाया हूं. जल्दी से निकालो... जोर की भूख लगी है.’’