Hindi Kahaniyan : एक तरफ लैपटौप पर किसी प्राइवेट कंपनी की वैब साइट खुली थी तो दूसरी ओर शाहाना अपने फोन पर शुभम से चैटिंग में व्यस्त थी.

अचानक मां के पैरों की आहट सुनाई दी तो. उस ने फोन पलट कर रख दिया और लैपटौप पर माउस चलाने लगी. दोपहर के 2 बज रहे थे. इस समय कंपनी के काम से उसे ब्रेक मिलता था. मां ने खाने के लिए बुलाया शाहाना को.

शाहाना ने मां को कमरे में खाना देने को कहा. कहा कि ब्रेक नहीं मिला है आज.

46 साल की निशा यानी शाहाना की मां उस की पसंद का खाना उस के पास रख गई. हिदायत दी कि याद से खा ले.

21 वर्ष की शाहाना अभी 6 महीने पहले भुवनेश्वर से होटल मैनेजमैंट में ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी कर के लौटी है. उसे अपने रिजल्ट के आने का इंतजार है और तब तक उस ने खुद की कोशिश से एक प्राइवेट कंपनी में वर्क फ्रौम होम वाली जौब ढूंढ़ ली है. लेकिन बात यह है कि जैसे ही सालभर होने को होगा उसे इस कंपनी के मेन औफिस दिल्ली जा कर जौब करनी होगी. यह कितनी खुशी की बात है, शाहाना ही जानती है. लेकिन सामने इस से भी बड़ी चिंता की दीवार खड़ी है उस के, जिस का उसे समाधान ढूंढे़ नहीं मिल रहा. रोज वह औफिस जाती है, उसे शाबाशी मिलती है और खुश होने के बजाय वह और ज्यादा चिंतित हो जाती है.

शाहाना सुदेश की बेटी है. 50 साल का सुदेश रेलवे में नौकरी करता है और अकसर उस की नाइट शिफ्ट रहती है. सुदेश की पत्नी यानी निशा की मां अपने 70 और 78 साल के क्रमश: अपने सास और ससुर की सेवा में लगी रहती है क्योंकि वे कुछ ज्यादा ही लाचार हैं.

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